दोस्तों इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि प्रत्यावर्ती धारा क्या है? परिभाषाए, लाभ, प्रत्यावर्ती धारा किसे कहते हैं | Alternating Current in hindi. इस आर्टिकल में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
प्रत्यावर्ती धारा किसे कहते हैं
प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current in hindi)- ए.सी. का पूरा नाम आल्टरनेटिंग करन्ट है। वह करन्ट जो किसी निश्चित समय में अपनी दिशा एवं मान ( value) परिवर्तित करती है आन्टरनेटिंग करन्ट कहलाती है।
प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) से निम्न लाभ होते है | advantages of Alternating Current in Hindi-
(a) उच्च वोल्टेज (High Voltage) : ए. सी. 66 कि वो. या उससे अधिक वोल्ट तक उत्पन्न की जा सकती है। जबकि डी.सी. केवल 650 वोल्ट तक ही उत्पन्न की जा सकती है। ए.सी. जनरेटर, डी.सी. जनरेटर की अपेक्षा अधिक शक्ति के बनाए जाते हैं।
(b)साधारण बनावट (Simple Construction) : ए.सी. जनरेटर में कम्युटेटर नहीं होता है। इससे ताँबे की बचत होती है और बनावट भी डी.सी. जनरेटर की अपेक्षा सरल व साधारण होती है। इसमें कम्युटेशन, आर्मेचर रियेक्शन आदि दोष भी नहीं होते हैं।
(c) सुगम वोल्टेज परिवर्तन (Easy Voltage Transformation) : ए.सी. में एक उपकरण जिसे ट्रान्सफार्मर कहते हैं का प्रयोग किया जाता है। यह कम वोल्टेज को अधिक और अधिक वोल्टेज को कम कर देता है। यही कारण है कि 250 वोल्ट को 1.5 वोल्ट में और 6600 वोल्ट को 220kV में सुगमता से परिवर्तित किया जा सकता है।
(d) डी. सी. में परिवर्तन (Convert into D.C.) : ए. सी. को रेक्टीफायर, मोटर जनरेटर सैट या कनवर्टर के द्वारा डी. सी. में परिवर्तित किया जा सकता है। डी.सी., बैट्री चार्जिग, इलैक्ट्रोप्लेटिंग, एक्साइटेशन, आर्क लैम्प आदि में अधिक प्रयुक्त होती है।
(e) कम ट्रान्समीशन लॉस (Less Transmission Losses) : ए.सी. वोल्टेज को अधिक मात्रा में काफी दूरी की लाइनों में प्रवाहित करने पर पावर लॉस कम होती है।
(f) ताँबे की बचत (Saving of Copper) : ए.सी. की लाइन में वोल्टेज को ट्रान्सफॉर्मर के द्वारा अधिक बढ़ा लिया जाता है जिससे करन्ट बहुत कम हो जाती है। कम करन्ट के लिए पतले तार प्रयोग किए जाते हैं। इस प्रकार तार में लगने वाले ताँबे की बचत हो जाती है।
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प्रत्यावर्ती धारा के पद और परिभाषाए | Terms and definitions of alternating current in hindi
(a) प्रत्यावर्ती धारा चक्र (Cycle) : प्रत्यावर्ती धारा के मान और दिशा में एक पूर्ण परिवर्तन को एक चक्र (Cycle) कहते हैं। आन्टरनेटिंग क्वान्टिटी (quantity) (वोल्टेज या करन्ट) की पॉजिटिव और नैगेटिव वेव को एक साइकिल कहा जाता है। प्रत्येक पूर्ण साइकिल 360° इलैक्ट्रिकल में बनी होती है। वेव, शून्य से चलकर उच्चतम (maximum) पर पहुँचकर शून्य पर आती है और पॉजिटिव वेव बनाती हुई उच्चतम मान से शून्यं पर पहुँचती है। इस प्रकार बनी पूर्ण वेव साइकिल (cycle) होती है।
(b) प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति (Frequency) : प्रत्यावर्ती धारा में एक सैकण्ड में बने चक्रों की संख्या को आवृत्ति (frequency) कहते हैं । दूसरे शब्दों में आवृत्ति=ध्रुवों के युग्मों की संख्या : गति (घूर्णन प्रति सेकण्ड में) अथवा f= Pxn चक्र सेकेण्ड | एक सेकिन्ड में जितनी साइकिल बनती हैं वह ए. सी. की फ्रीक्वेन्सी कहलाती है। यदि एक आल्टरनेटर में दो पोल हों तो उसमें एक साइकिल कॉइल के एक चक्कर में उत्पन्न होगी। जब मशीन में P पोलों के जोड़े (pair of poles) हों तो प्रत्येक चक्कर में Pसाइकिल उत्पन्न होगी। यदि आल्टरनेटर N चक्कर प्रति सेकिन्ड से घूमता है तो इसमें Px N साइकिल प्रति सेकन्ड उत्पन्न होगी। इसी को फ्रीक्वेन्सी कहा जाता हैं।
(c) प्रत्यावर्ती धारा पश्चगामी (Lagging) : यदि धारा वोल्टता से पीछे रह जाती है अर्थात यह वोल्टता की अपेक्षा बाद में अपने अधिकतम मान पर पहुँच जाती है तब यह कहा गया है कि धारा अग्रगामी (Leading) है और वोल्टता पश्चगामी (Lagging) है । प्रायः धारिता परिपथ जैसे कि संधारित्र आदि में होता है।
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(d) प्रत्यावर्ती धारा का ज्या तरंग (Sine Wave) : यह किसी भी क्षण में ए.सी. के मान और दिशा को प्रदर्शित करती है। इस वक्र को बनाने के लिए धारा और वोल्टता के उतरोत्तर तात्क्षणिक मान (Successive Instantaneous Values ) के बीच लेखा चित्र बनाया जाता है। किसी भी क्षण पर ए.सी. या e.m.f. के मानों को उनका तात्क्षणिक मान कहते हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए एक चक्रकुंडली को एक समान गति पर एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता हैं।
(e) प्रत्यावर्ती धारा का कला (Phase) : कला शब्द कुण्डलन के लिये प्रयोग किया जाता है और यह किसी प्रत्यावर्ती परिपथ या उपकरण में वोल्टता और धारा के बीच सम्बन्ध भी प्रदर्शित करता है ।
(f) प्रत्यावर्ती धारा का एक कलीय (Single Phase) : इससे यह पता चलता है कि मशीन में ठीक तरह से जुड़ा हुआ है या नहीं, फिर कुंडलियों का केवल एक ही सैट है अर्थात उसमें धारा संधारित्र करने के लिए एक ही मार्ग है।
(g) प्रत्यावर्ती धारा का बहुकलीय (Poly Phase) : यह दो या दो से अधिक कलाओं का तंत्र प्रदर्शित करता है।
(h) प्रत्यावर्ती धारा का कला विचति (Phase Opposition) : जब एक मात्रा शून्य अंश से आरंभ होती है और दूसरी 180 से आरम्भ होती है तो इन दोनों के बीच का कलांतर को कला त्रियति (Phase Opposition) कहते हैं, जैसा कि स्वप्रेरकत्व (self inductance) में होता है।
(i) प्रत्यावर्ती धारा का कला कोण (Phase Angle ) : दो प्रत्यावर्ती मात्रा के बीच अधिकतम और निम्नतम मानों के कोणीय अंतर को कला अंतर (phase difference) और उन दोनों के बीच के कोण को कला कोण (Phase Angle) कहते हैं।
(j) प्रत्यावर्ती धारा का विषम कला (Out of Phase) : जब दो प्रत्यावर्ती मात्राएँ एक ही समय पर और एक ही दिशा में अपने अधिकतम और निम्नतम मान नहीं देती हैं, तब उन मात्राओं को विषम कला ( out of phase) कहते हैं।
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आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि प्रत्यावर्ती धारा क्या है? परिभाषाए, लाभ, प्रत्यावर्ती धारा किसे कहते हैं| Alternating Current in hindi. इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
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