बहुकला प्रणाली क्या है? | Polyphase System in hindi

दोस्तों  इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि बहुकला प्रणाली क्या है, Polyphase System kya hai, Polyphase System in hindi, Advantages of Polyphase System in hindi, Phase Sequence in hiindi. इस आर्टिकल में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

बहुकला प्रणाली क्या है? (Polyphase System in hindi)

अगर हम एक कला से अधिक कला या फेज की बात करें तो उससे हमारा तात्पर्य मशीन में उपस्थित आर्मेचर कुण्डलन से होता है। अगर हम यह मान लें कि किसी मशीन के आर्मेचर में एक कुण्डलन है, तो मशीन एकल कला (single phase) कहलाती है, अगर उसमें दो कला (double phase) हैं तो वह द्विकला कहलाती है और यदि तीन कला हैं तो त्रिकला कहलाती है आदि एक से ज्यादा हैं तो हम इसे बहुकला कहते हैं। 

दो या दो से अधिक कला प्रणालियों को बहुकला प्रणाली कहते हैं। कला से तात्पर्य मशीन में कुण्डलन की संख्या से है। दो कला प्रणाली में कुण्डलन का विस्थापन 90° वैद्युत है तो वह विकला की है। त्रिकला मशीनों में 120° का कलान्तर होता है। अतः n संख्या कला मशीनों में कलान्तर 360°/n होगा ।

अगर हम एक कला की बात करें तो उसमें एक कलीय धारा एवं वोल्टता को एकल तरंग (single wave) से प्रदर्शित किया जाता है परन्तु बहुकलीय मशीनों में धारा एवं वोल्टता की तरंगे कुण्डलन की संख्या पर निर्भर करती है। इस कुण्डलन को हम कला के अनुरूप निश्चित कोणों पर विस्थापित करते हैं। जैसे उदाहरण के तौर पर द्विकलीय मशीनों के आर्मेचर का विस्थापन कोण 90° होता है और त्रिकलीय में 120° और पट-कलीय मशीनों में 60° होता है, द्विकलीय मशीनों के अतिरिक्त अन्य बहुकला मशीनों में कला या फेज की संख्या 360 कुण्डलन की संख्या सूत्र पर निर्धारित की जाती है।

polyphase system in hindi

बहुकला प्रणाली के लाभ (Advantages of Polyphase System in hindi)

  1. उच्च शक्ति गुणांक
  2. समरूप बलाघूर्ण (torque)
  3. स्वचालित मोटरें
  4. मोटर की उच्च निर्गत शक्ति
  5. मोटर की उच्च दक्षता

त्रिकला फेज प्रणाली की आवश्यकता एवं लाभ (Need and Advantage of 3-phase system in hindi)

एकल कला या फेज प्रणाली की अपेक्षा त्रिकला प्रणाली के निम्नलिखित लाभ हैं :

(i) समान आकार वाली त्रिकलीय मोटर या जनित्र का निर्गत (output) एक कलीय मोटर या जनित्र से अधिक होता है।

(ii) त्रिकलीय मोटरें स्वंय चालित होती हैं जबकि दिक् परिवर्तक (commutator) मोटरों को छोड़ कर सभी एक कलीय मोटरें स्वयं चालित नहीं होती हैं।

(iii) त्रिकलीय मोटरों का बल आघूर्ण (Torque) समरूप होता है जबकि दिक् परिवर्तक मोटरों के अलावा सभी एक कलीय मोटरों का बल आघूर्ण स्पंदमान (Pulsating) होता है ।

(iv) त्रिकलीय मशीनों का शक्ति गुणक एक कलीय मशीनों की अपेक्षा उच्च होता है।

(v) त्रिकलीय मशीनों की दक्षता एक कलीय मशीनों की अपेक्षा अधिक होती है।

(vi) एक कलीय जनित्रों में स्पंदमान आर्मेचर प्रतिक्रिया के कारण उन्हें समानान्तर में बिना अवमन्दक कुण्डलन के चलाना बहुत कठिन है जबकि त्रिकलीय जनित्रों में ऐसी कोई बात नहीं होती।

(vii) किसी दी हुई शक्ति को दी हुई वोल्टता पर किसी निश्चित दूरी के लिए त्रिकलीय संचारण (Transmission) लाइन के लिए ताम्र की आवश्यकता एक कलीय लाइन से कम होती है।

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कला या फेज अनुक्रम (Phase Sequence)

फज अनुक्रम से हमारा तात्पर्य उस क्रम से है, जिसम कि तीनों फेजों में वोल्टता का मान अधिकतम प्राप्त होता है। इसी के अनुसार मशीन के चलने की दिशा हो तो सर्वप्रथम कुण्डलन R का मान अधिकतम प्राप्त होगा और 120° या 27/ 3 घूमने के पश्चात कुण्डलन Y तथा 240° या 4r/3 घूमने के पश्चात कुण्डलन B वोल्टता का अधिकतम मान प्राप्त करेगी अर्थात हम यह कह सकते हैं कि फेज अनुक्रम RYB होंगें । परन्तु मशीन के चलने की दिशा दक्षिणावर्त (clockwise) की बजाय वामावर्त (Anticlockwise) कर दी जावे तो विभिन्न कुण्डलन में अधिकतम वोल्टता का क्रम RYB न होकर RBY हो जावेगा।

अतः अगर हम मशीन के घूमने की दिशा बदलना चाहते हैं तो हमे फेज अनुक्रम को बदलना होगा जिससे गति की दिशा बदल जाती है।

किसी त्रिकला प्रेरण मोटर के दो फेजों को परस्पर बदलने से उसकी दिशा परिवर्तित हो जाती है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि विद्युत वितरण विभाग फेज अनुक्रम सही रखें अन्यथा प्रेरण मोटरों की जो आधुनिक युग में लगभग सभी कार्यों में उपयोग में आने वाली मोटरें हैं, उनकी दिशा बदलती रहेगी और फलस्वरूप मोटर को काम में लाने वाले व्यक्ति को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

नोट: यदि फेज अनुक्रम RYB, YBR, BRY है तो गति को दिशा नहीं बदलेगी परन्तु फेज अनुक्रम यदि RBY, YRB या BYR कर दिया गया है तो मोटर की दिशा पहले की अपेक्षा विपरित हो जावेगी। फेज को RYB, abc व 1,2,3 से भी व्यक्त किया जाता है, परन्तु ज्यादातर RYB से व्यक्त करते हैं।

त्रिकला वोल्टता उत्पादन (Generation of Three Phase Voltage in hindi)

तीन एक समान कुण्डलियां A1, A2,B1, B2 तथा C1,C2 स्थाई चुम्बक या विद्युत चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित (situated) हैं जैसा कि चित्र (a) में दर्शाया गया है।

ये कुण्डलियां धुरी (shaft) पर 120° की दूरी पर विस्थापित कर चढ़ाई गई हैं। प्रत्येक कुण्डली के छः टर्मिनलों को धुरी पर लगे सिरों पर पृथक से जोड़ा जाता है।

एक कुण्डली A1 A2 को सर्पीवलय (slip ring) से जुड़ा दिखाया गया है। जब इन कुण्डलियों को वामावर्त घुमाया जाता है तो फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियमानुसार इन कुण्डलियों में वि.वा.ब. (emf) प्रेरित होता है। इन वि. वा. बलों का परिमाण (magnitude) कुण्डलियों की चुम्बकीय क्षेत्र में स्थिति पर निर्भर करता है। माना कि कुण्डली A, A, का तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है और शून्य वि.वा.ब. प्रेरित हो रहा है। इस कुण्डली के 90° घूमने पर कुण्डली अधिकतम फ्लक्स को काटती है और अधिकतम वि.वा.ब. उत्पन्न होता है।

कुण्डली A1,A2 के 180° तथा 360° घूमने पर पुनः वि.वा.ब. शून्य प्रेरित करती है और जब कुण्डली 270° से घूमती है तब उत्पन्न वि.वा.ब. का मान ऋण (-) होगा। 

त्रिकलीय पद्धति, एकल कला पद्धति से बेहतर है?

  • समान आकार होने पर बहु कला जनित्र (generator) अथवा मोटर की निर्गत शक्ति एकल कला मोटर या जनित्र से अपेक्षाकृत अधिक होती है।
  • बहु कला प्रेरण मोटरें स्वतः चालित (self starting) होती हैं परंतु एक कला मोटरें स्वयं चालित नहीं होती हैं । त्रिकला का बलाघूर्ण (torque) समरूप होता है परंतु एकल कलीय मोटरों का बलाघूर्ण स्पंदमान प्रकृति (pulsating nature) का होता है।
  • बहु कला मोटरों की दक्षता ( efficiency) एकल कला मोटरों की तुलना में अधिक होती है।
  • त्रिकला मशीनों का शक्ति गुणांक (PF) एकल कला मशीनों की अपेक्षा उच्च (high) होता है।
  • निश्चित शक्ति का किसी निश्चित दूरी संचारण (transmission) तक त्रिकला प्रणाली में एकल कलीय पद्धति की अपेक्षा अधिक होता है। ताम्र भी कम लगता है।
  • एक कलीय जनित्रों में स्पंदमान (pulsating) आर्मेचर प्रतिक्रिया (armature reaction) के कारण उन्हें समान्तर में बिना अवमंदन कुण्डलन के चलाना कठिन है जबकि त्रिकला जनित्रों में इस प्रकार की कोई समस्या नहीं है।
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आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि बहुकला प्रणाली क्या है, Polyphase System kya hai, Polyphase System in hindi, बहुकला प्रणाली के लाभ (Advantages of Polyphase System in hindi, त्रिकला फेज प्रणाली की आवश्यकता एवं लाभ (Need and Advantage of 3-phase system in hindi), कला या फेज अनुक्रम (Phase Sequence in hiindi), त्रिकला वोल्टता उत्पादन (Generation of Three Phase Voltage in hindi). इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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