उच्च वोल्टता दिष्ट धारा प्रणाली के लाभ, हानियां, सीमाएं – HVDC In Hindi

नमस्कार पाठको, क्या आप उच्च वोल्टता दिष्ट धारा प्रणाली के लाभ, हानियां, सीमाएं – HVDC In Hindi पर पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं? यदि हां तो तो इस लेख में आपको उच्च वोल्टता दिष्ट धारा प्रणाली in Hindi से संबंधित पूरी जानकारी जानने को मिलेगी।

उच्च वोल्टता दिष्ट धारा प्रणाली के लाभ

उच्च वोल्टता प्रत्यावर्ती धारा की तुलना में उच्च वोल्टता दिष्ट धारा प्रणाली के निम्न लाभ है

  1. HVDC निकाय में शक्ति के प्रवाह के लिए. HVAC निकाय की तुलना में कम चालक की आवश्यकता पड़ती है।
  2. समान क्षमता के लिए HVDC शिरोपरि लाइन की लागत एक HVAC शिरोपरि लाइन की अपेक्षा 1/3 गुणा कम होती हैं। 
  3. 3.HVAC निकाय में लाइन की दूरी बढ़ने से लागत बढ़ती है जबकि HVDC निकाय में ऐसा नहीं होता है। 
  4. उच्च वोल्टता दिष्ट धारा संचारण में उच्च वोल्टता प्रत्यावर्ती धारा की तुलना में राइट ऑफ-वे कम होता है।
  5. HVAC सिस्टम की अपेक्षा HVDC सिस्टम में केबलों की प्राकृतिक डाइ-इलेक्ट्रिक स्ट्रेन्थ वास्तव में बहुत अधिक होती है। 
  6. उच्च वोल्टेज DV लाइन को उच्च वोल्टेज AC की अपेक्षा कम जगह की आवश्यकता होती है।
  7. एक सिंगल उच्च वोल्टेज केबल को यदि HVDC पावर ट्रांसमिट करने के लिए प्रयोग में लिया जाए तो यह HVAC की अपेक्षा 3 गुणा अधिक पावर ट्रांसमिट की सकती है।

उच्च वोल्टता दिष्ट धारा संचरण (HVDC) तंत्र की हानियां:-

उच्च वोल्टता दिष्ट धारा संचरण की कमियां या HVDC तंत्र की हानियां:-

  1. मल्टीटर्मिनल DC तंत्र में सर्किट ब्रेकिंग खर्चीली तथा कठोर होती है। 
  2. हार्मोनिक जनरेशन तथा उनका फिल्टरेशन आवश्यक है। 
  3. AC साइड पर विभव ट्रांसफॉर्मर की आवश्यकता होती है। 
  4. इन्सुलेटर का मेन्टीनेंस बहुत अधिक है। 
  5. HVDC कन्वर्टर की ओवरलोड क्षमता न्यून होती है। 
  6. कन्वर्टर स्टेशनों को प्रतिघात शक्ति की आवश्यकता होती है जो सामान्यतः बाह्य रूप से लोड को सप्लाई की जाती है। यह HVDC में उत्पन्न नहीं होती है।
  7. 500 km से कम दूरी पर संप्रेषण में कन्वर्टर, फिल्टर, कम्पनसेटर आदि की आवश्यकता के कारण खर्चीला होता है।

 

उच्च वोल्टता दिष्ट धारा संचरण की सीमाएं (limitations)

उच्च वोल्टता दिष्ट धारा संचरण की सीमाएं (limitations) निम्न हैं

  1. कन्वर्टर ऑपरेशन में हारमोनिक उत्पन्न होने के कारण, कन्वर्टर ट्रांसफॉर्मर में अ-ज्या (non-sinusoidal) रूपी धारा बहने लगती है, जिससे टेलिफोन लाइन की ऑडियों आवृत्ति में व्यवधान उत्पन्न होता है, अतः हारमोनिक को कम करने के लिए AC तथा DC दोनों साइडों में फिल्टर उपयोग किए जाते हैं। 
  2. स्टेटिक VAR कम्पनसेशन आवश्यक होता है। 
  3. कन्ट्रोलिंग में जटीलता पाई जाती है। 
  4. कन्वर्जन उपकरणों की लागत ज्यादा होती है। 
  5. ट्रांसफॉर्मर के द्वारा वोल्टेज लेवल परिवर्तन में असमर्थ होता है। 
  6. HVDC लाइन में कुचालक (insulator) की व्यवस्था अधिक करनी पड़ती है। 
  7. वोल्टता का स्थानान्तरण AC पर किया जाता है|

आज आपने क्या सीखा :-

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