इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि Resistance क्या है? या प्रतिरोध क्या है( resistance in hindi) और यह कितने प्रकार के होते है, प्रतिरोधों का संयोजन, प्रतिरोध पर तापक्रम प्रभाव, प्रतिरोध के नियम के बारे में. इस आर्टिकल में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
What is Resistance in hindi | प्रतिरोध क्या है ?
परिभाषा – प्रतिरोध पदार्थ का वह गुण है जो कि विद्युत धारा प्रवाह का विरोध करता है उसे प्रतिरोध कहते है। प्रतिरोध की इकाई ओम है। वह प्रतिरोध जिसमें एक एम्पीयर की स्थिर धारा प्रवाहित करने पर एक जूल प्रति सैकण्ड की दर से ताप उत्पन्न हो, वह एक ओह्म होगा।
Resistance को Ohm Ω से प्रदर्शित करते है और इसका Symbol नीचे Image में है हिंदी में इसे प्रतिरोध (Resistance in hindi) कहते है
प्रतिरोधों का संयोजन | combination of resistors
श्रेणी क्रम संयोजन (Series Combination)
प्रतिरोधों को इस प्रकार संयोजित किया जाए कि उनमें धारा का मार्ग केवल एक ही बने ऐसा संयोजन श्रेणी क्रम संयोजन कहलाता है| चित्र में प्रतिरोध r1, r2, r3 को श्रेणीबद्ध दिखाया गया है और उनमें प्रदाय वोल्टता (V) पर धारा (I) प्रवाहित हो रही है।
R = R1 + R2 + R3
विभिन्न प्रतिरोधों पर वोल्टतापात = V1, V2,V3
कुल वोल्टता विभिन्न वोल्टतापात के तुल्य होती है।
V=V1+V2+V3
V = IR
समान्तर क्रम संयोजन (Parallel Combination)
जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध इस प्रकार संयोजित किए जाएं कि उनका एक सिरा एक साथ तथा दूसरा सिरा समान्तर में एक साथ जोड़ा जाए तो इस प्रकार का संयोजन समान्तर क्रम संयोजन कहलाता है। चित्र में तीन प्रतिरोध r1, r2 तथा r3 समान्तर संयोजन में प्रयुक्त वोल्टता V से संयोजित दिखाए गए हैं।
I = प्रदाय धारा
I1, I2, I3 प्रतिरोध R1, R2, R3 में क्रमशः धारा मान है।
ओह्म के नियमानुसार,
I=V/R
प्रतिरोध पर तापक्रम प्रभाव (Effect of Temperature on Resistance)
शुद्ध धातुओं जैसे तांबा, चांदी, सोना आदि का प्रतिरोध तापक्रम बढ़ाने पर बढ़ता है, अतः इनका प्रतिरोध तापक्रम गुणांक धनात्मक (+) होता है। मिश्र धातुओं का तापक्रम बढ़ाने पर प्रतिरोध तापक्रम गुणांक बहुत कम बढ़ता है। जैसे-कांसटैन्टन, मैग्नीन, जर्मन सिल्वर आदि। अर्द्धचालकों का प्रतिरोध ताप वृद्धि के साथ घटता है, ऐसे पदार्थों का प्रतिरोध तापक्रम गुणांक ऋणात्मक (-) होता है।
प्रतिओम प्रति °C प्रतिरोध में परिवर्तन को प्रतिरोध तापक्रम गुणांक कहते हैं। यह परिवर्तन के अनुसार धनात्मक (+) तथा ऋणात्मक (-) प्रकार का होता है।
प्रतिरोध के नियम (Laws of Resistance)
किसी संवाहक के प्रतिरोध के लिए निम्नलिखित नियमों का निर्धारण किया जा सकता है
(i) चालक की लम्बाई (l) पर- चालक का प्रतिरोध उस चालक की लम्बाई के समानुपाती होता है। इसलिए
R∝ l
संवाहक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई बढ़ाने पर बढ़ता है तथा लम्बाई कम करने पर घटता है।
(ii) संवाहक के अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल (a) पर- संवाहक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के विलोमानुपाती (inversely proportional) होता है। a इसलिए Rocअर्थात्, चालक का प्रतिरोध अनुच्छेदीय क्षेत्रफल बढ़ाने पर कम होता है और अनुच्छेदीय क्षेत्रफल घटाने पर प्रतिरोध बढ़ता है।
R∝ l / a
(iii) संवाहक का प्रतिरोध संवाहक के पदार्थ के गुणधर्मों पर निर्भर करता है अर्थात निश्चित लम्बाई और अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले तांबे के तार से उतनी ही लम्बाई और अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले यूरेका, मैंगेनिन, नाइक्रोन आदि तारों का प्रतिरोध कई गुणा अधिक होता है।
(iv) संवाहक का प्रतिरोध ताप पर भी निर्भर करता है, यदि ताप बढ़ाया जावे तो बहुत से पदार्थों का प्रतिरोध बढ़ जाता है, परन्तु कुछ पदार्थ ऐसे भी होते हैं, जिनका प्रतिरोध ताप बढ़ने पर घटता है
Unit of Resistance – प्रतिरोध की इकाई
प्रतिरोध की इकाई ओम (Ω) हे। इसे रेजिस्टेंस (R) द्वारा दर्शाया जाता हे।
यह भीं पदे :-
Conclusion
हमे आशा है Resistance क्या है? या प्रतिरोध क्या है- Resistance in hindi, और यह कितने प्रकार के होते है, प्रतिरोधों का संयोजन, प्रतिरोध पर तापक्रम प्रभाव, प्रतिरोध के नियम, समझ आ गया होगा. इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
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