तो दोस्तों इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि वेलॉक्स बॉयलर क्या है, वेलॉक्स बॉयलर का कार्य सिद्धांत, वेलॉक्स बॉयलर के लाभ | What is Velox Boiler in hindi. इस आर्टिकल में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं
वेलॉक्स बॉयलर क्या है | Velox Boiler in hindi
ऐसा पाया गया कि जब दग्ध गैसों की गति, ध्वनिक गति से अधिक होती है तो ऊष्मान्तरण दर उपध्वनिक प्रवाह (sub sonic flow) की तुलना में बहुत अधिक होती है। इस सिद्धान्त का उपयोग वेलॉक्स बॉयलर में कम सतह से अधिक ऊष्मान्तरण प्राप्त करने के लिये किया जाता है। अगर दहन वायु का दाब 2 bar से अधिक होता है तो वायु की गति वायु में ध्वनिक गति से अधिक होती है।
वेलॉक्स बॉयलर का कार्य सिद्धांत
वेलॉक्स बॉयलर के विभिन्न अवयवों की व्यवस्था चित्र में दिखाई गई है। यह एक अग्नि नलिका, प्रणोदित परिसंचरित, ऊर्ध्वाधर बॉयलर है। इसमें एक वायु सम्पीडित्र में वायु को 2.5 bar तक सम्पीडित कर एक ऊर्ध्वाधर दहन कक्ष में भेजा जाता है। वायु को इस दाब पर भेजने से दहन कक्ष और गैस नलियों में प्रवाहित गैस की गति अतिध्वनिक हो जाती है जिससे उच्च ऊष्मा निष्कासन दर (8 से 10 x 10 kJ/ms) प्राप्त होती है। प्रारम्भ में सम्पीडित्र एक विद्युत मोटर से चलता है परन्तु बॉयलर के चालू होने पर दग्ध गैसों से चलने वाले गैस टरबाइन से चलता रहता है। दहन कक्ष के अन्दर चारों तरफ लगभग 100 mm व्यास की ऊर्ध्वाधर नलियाँ लगी होती हैं जिनमें से जल प्रवाहित होता है। इन नलियो के अन्दर लगभग 25 mm व्यास की नलियाँ होती हैं जिनमें लगभग 200 से 300 m/s की गति में दग्ध गैसें प्रवाहित होती हैं। ईधन व सम्पडित वायु का दहन कक्ष में नीचे की तरफ अन्तःक्षेपित किया जाता है। ईंधन के दहन से उत्पन्न दग्ध गस कक्ष में चित्र में दिखाये अनुसार वाष्पक नलियों में ऊपर की तरफ प्रवाहित होती हैं। इन नलियो के चारा तरफ प्रवाहित टाध गैसो से ऊष्मा प्राप्त कर भाप में परिवर्तित हो जाता है। यह भाप व जल का मिश्रण एक भाप पृथक्कारकम अवस सा है। यहाँ पर भाप मिश्रण से पृथक होकर अतितापक में प्रवाहित होती है। जहाँ से अतितप्त भाप प्रथम चालक हा जाती है। पृथक्कारक में पृथक् हुए जल कण एक जल परिसंचरण, पम्प द्वारा बॉयलर दाब से 2 bar अधिक दाब पर वापस जल नलियों में भेज दिया जाता है। जल नलिकाओं को अतितप्त होने से बचाने के लिये उत्पन्न भाप से 10 से 20 गुणा अधिक जल को प्रवाहित किया जाता है।
दहन कक्ष में स्थित गैस नलियों से निकली दग्ध गैसें एक अतितापक में प्रवाहित होती है जहाँ इन गैसों की ऊष्मा भाप को अतितप्त करने के काम आती है। अतितापक से निकलने वाली गैसों का दाब 2.5 bar व तापमान 500°C होता है। अब ये गैसें एक गैस टरबाइन में प्रसारित होती हैं जिससे उत्पन्न शक्ति से सम्पीडित्र को चलाया जाता है। गैस टरबाइन से निकलने वाली गैस अन्त में एक मितोपयोजित्र में से प्रवाहित होती हुई एक चिमनी से बाहर वायुमंडल में निकल जाती है। इस गैस का तापमान 90°C व गति 120 m/s होती है। इसमें वायु को पूर्व तप्त नहीं किया जाता है क्योंकि सम्पीडित्र में वायु के सम्पीडन से उसका तापमान लगभग 150°C हो जाता है।
वेलॉक्स बॉयलर 100 tonne/h से अधिक क्षमता के नहीं बनाये जाते हैं क्योंकि इस निर्गत के लिये वायु सम्पीडित को चलाने के लिए 4500 kW की आवश्यकता पड़ती है।
वेलॉक्स बॉयलर के लाभ
- ऊष्मान्तरण की दर बहुत अधिक होती है।
- सम्पीडित वायु काम में लेने से कम अधिक वायु की आवश्यकता पड़ती है तथा प्रवात की समस्या भी नहीं होती है।
- यह बहुत ही संहत संयत्र होता है।
- इस बॉयलर को शीघ्र चालू किया जा सकता है।
- इसका नियन्त्रण पूर्णतया स्वचालित होता है जिससे तापीय क्षमता 90% तक बनाई रखी जा सकती है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि वेलॉक्स बॉयलर क्या है | What is Velox Boiler in hindi, वेलॉक्स बॉयलर का कार्य सिद्धांत, Working principle of Velox boiler in hindi, वेलॉक्स बॉयलर के लाभ, Advantages of Velox Boilers in hindi. इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
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