निकिल लौह बैटरी: संरचना, कार्यविधि | Nickel-Iron Battery in Hindi

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि निकिल लौह बैटरी की संरचना , निकिल लौह बैटरी की कार्यविधि के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

निकिल लौह बैटरी की संरचना | Nickel-Iron Battery in Hindi

इसे संक्षेप (short) में Ni-Fe सैल कहा जाता है। इस प्रकार की बैटरी की धन (+) प्लेटें निकिल हाइड्रोक्साइड Ni(OH), लेपित छिद्रमय इस्पात की घुमावदार नलियों की बनी होती है।

इन नलियों में निकिल हाइड्रोक्साइड [Ni(OH)4] के साथ निकिल धातु के कण (flakes) भर दिए जाते हैं जो आंतरिक प्रतिरोध कम करते हैं और चालकता बढ़ाते हैं। निकिल धातु अपघट्य की चालकता बढ़ाता है।

ऋण प्लेटें इस्पात की खोखली (hollow) नलिकाओं की बनी होती हैं जिनमें लौह चूर्ण (iron powder) तथा लौह ऑक्साइड (iron oxide) भरा होता है। बैटरी प्लेटें सैल समूहों से जुड़ी होती हैं।

प्रत्येक सैल समूह में समान ध्रुवता की प्लेटें होती हैं अर्थात् धन (+) या ऋण समूह को चूड़ीदार उभयनिष्ट टर्मिनल पोस्ट (post) से युजित कर दिया जाता है।

धन (+) तथा ऋण प्लेटों के मध्य होने से सुरक्षा के लिए दोनों प्लेटों के बीच कठोर रबड़ (hard rubber) के छिद्रदार (perforated) पृथक्कारी ( separator) लगाए जाते हैं ।

निकिल-लौह संचायक (storage) बैटरी के लिए अपघट्य (electrolyte) आसुत जल (distilled water) में 21% पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH) तथा लघु मात्रा ( 1%) में लीथियम हाइड्रोक्साइड (LiOH) डालकर पानी में मिलाकर बनाया जाता है। LiOH, संचायक की क्षमता बढ़ाता है। निकिल लौह- बैटरी को क्षारीय बैटरी (Alkaline battery) भी कहा जाता है।

निकिल लौह बैटरी की कार्यविधि (Working of a Nickel Iron Battery in Hindi)

 बैटरी आवेशक के धन (+) को बैटरी के धन से तथा आवेशक के ऋण (-) टर्मिनल को बैटरी के ऋण (-) टर्मिनल से जोड़ा जाता है। आवेशन के समय अपघट्य में धारा धन (+) प्लेट से ऋण (-) प्लेट की दिशा में प्रवाहित होती है।

प्रवाहित धारा अपघट्य को पोटेशियम आयन (K) तथा हाइड्रोक्साइड आयन (OH) में विभक्त कर देती है। पोटेशियम K+ आयन ऋण प्लेट की ओर तथा OH आयन धन (+) प्लेट की ओर आकर्षित होते हैं। आवेशन के समय नीचे दी गई रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं|

Ni (OH)2 + 20H → Ni (OH) 4 कम मात्रा का निकिल हाइड्रोक्साइड, हाइड्रोक्साइड से मिलकर निकिल हाइड्रोक्साइड बनाता है। बैटरी आवेशन होने पर धन (+) प्लेट निकिल हाइड्रोक्साइड [Ni (OH).] तथा ऋण प्लेट आयरन ( Fe) की बन जाती है।

इस प्रकार के संचायक के अपघट्य का आपेक्षिक घनत्व 1.17 से 1.18 रखा जाता है। इसके प्रति सैल की वोल्टता 1.2 से 1.4V होती है। इसकी बैटरी या संचायक की आयु लगभग 5 वर्ष होती है। इसकी एम्पीयर घंटा दक्षता 80% होती है ।

निकिल लौह क्षारीय बैटरी का विसर्जन (Discharging of NickelIron Alkaline Battery in hindi)

ज़ब बैटरी को विसर्जित किया जाता है। चित्र के अनुसार बैटरी के बाह्य परिपथ में धारा धन (+) प्लेट से ऋण प्लेट की ओर प्रवाहित होती है व बैटरी के अंदर ऋण (-) प्लेट से धन (+) प्लेट की ओर प्रवाहित होती है।

अपघट्य में से प्रवाहित होने वाली धारा इसे पोटेशियम आयन (K+) तथा हाइड्रोक्साइड आयन (OH) में विभक्त करती है। पोटेशियम आयन K+ (anode) की ओर व OH आयन ऋणाग्र (cathode) की ओर अग्रसर होते हैं। प्रत्येक प्लेट पर निम्न रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं


आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि निकिल लौह क्षारीय बैटरी का विसर्जन (Discharging of NickelIron Alkaline Battery in hindi), निकिल लौह बैटरी की संरचना (Nickel-Iron Battery in Hindi), निकिल लौह बैटरी की कार्यविधि (Working of a Nickel Iron Battery in Hindi). इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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