ऊर्जा किसे कहते है , ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम – What is Energy in Hindi

इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि ऊर्जा किसे कहते है (What is Energy in Hindi),ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics in hindi). इस आर्टिकल में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं

ऊर्जा किसे कहते है (What is Energy in Hindi)

कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। किसी निकाय में ऊर्जा के आदान प्रदान से उसके गुणों में परिवर्तन होता है। ऊर्जा को हम प्रत्यक्ष रूप से देख नहीं सकते हैं। ऊर्जा को उसके प्रभाव से ही समझा जाता है। इसका अनुभव निकाय में गुणधर्मों के परिवर्तन से किया जाता है। ऊर्जा में निकाय के गुणों में परिवर्तन की क्षमता होती है। ऊर्जा को मुख्यतया दो भागों में विभक्त किया जाता है

(a) संचयी ऊर्जा (Stored Energy)-जो ऊर्जा तंत्र या पदार्थ में उसकी परिसीमा में संग्रहित होती है वह संचयी ऊर्जा कहलाती है। यह पदार्थ में कई रूपों में पाई जाती है।

जैसे – आन्तरिक ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, चुम्बकीय ऊर्जा आदि।

(b) संक्रमण ऊर्जा (Energy in Transit)-जो ऊर्जा केवल तंत्र की परिसीमा से अंतरण करती है वह संक्रमण ऊर्जा कहलाती है। जैसे – ऊष्मा, कार्य, विद्युत ऊर्जा आदि।।

 

ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics in hindi) 

प्रथम नियम ऊष्मा व कार्य के रूपान्तरण के बारे में ही बतलाता है। प्रथम प्रकार की शाश्वत गति मशीन का बनाया जाना असम्भव है। इसके अंतर्गत प्रथम प्रकार की शाश्वत गति मशीन, वह मशीन है जो बिना किसी बाह्य ऊर्जा के कार्य करती हो। प्रथम नियम के अनुसार इस प्रकार की मशीन को नहीं बनाया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, किसी भी मशीन द्वारा कार्य प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि उसे किसी न किसी प्रकार की ऊर्जा प्रदान की जाए।

इस नियम के अनुसार ऊष्मा व कार्य आपस में परिवर्तित किए जा सकते हैं अर्थात् ऊष्मा को कार्य में तथा कार्य को ऊष्मा में परिवर्तित किया जा सकता है।

                                                                ΔW=ΔQ

यह नियम जूल द्वारा प्रतिपादित किया गया, अतः इसमें समानुपाती स्थिरांक को J से दर्शाया जाता है ।

                                                               ΔW=JΔQ

प्रथम नियम को अधिक व्यापक तौर पर किसी भी वक्र के लिए परिभाषित किया जा सकता है।

किसी बंद तंत्र में, जो कि वक्र से गुजरता है, ऊष्मा का वक्रीय समाकलन कार्य के वक्रीय समाकलन के तुल्य होता है।

इस नियम को “प्रकृति नियम” माना गया है। .

ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम-इस नियम के अनुसार किसी निकाय को दी गई ऊष्मा उस निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि तथा किए गए कार्य के योग के तुल्य होती है।

माना किसी निकाय को dU ऊष्मा दी जाती है जिससे उसकी आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि dQ व लिया गया कार्य dW हो तो

                                                          dU = dQ+dW

अतः ऊर्जा नष्ट नहीं होती, बल्कि एक रूप से दूसरे रूप में बदल जाती है।

 

आज आपने क्या सीखा :-

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