अर्न्तसंयोजन प्रणाली के प्रकार और लाभ- Types, Benefits of Interconnection System

दोस्तों आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे अर्न्तसंयोजन प्रणाली के प्रकार और लाभ- Types and Benefits of Interconnection System in hindi: अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं 

अर्न्तसंयोजन प्रणाली के प्रकार (Types of Interconnection System)

शक्ति केन्द्रों को आपस में संयोजित करके शक्ति का वितरण अर्न्तसंयोजन प्रणाली के द्वारा होता है। अर्न्तसंयोजन प्रणाली मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है

     
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  1. संयुक्त (Integrated) अर्न्तसंयोजन प्रणाली 
  2. असंयुक्त (Unintegrated) अर्न्तसंयोजन प्रणाली

1. संयुक्त अर्न्तसंयोजन प्रणाली (Integrated Interconnection System)

संयुक्त अर्न्तसंयोजन प्रणाली तब संचालित होती है जब अलग-अलग इकाइयां, एक एकल इकाई के रूप में संचालित होती है। विशिष्ट प्रणालियों की पहचान लगभग लुप्त हो चुकी है। सभी ऑपरेशन जैसे-योजना के अन्तर्गत उत्पादन सुविधा, नए उपकरणों का संस्थापन, संचयी क्षमता में वृद्धि, जनरेटरों की incremental लोडिंग, बिल्डिंग तथा अनुरक्षण के लिए समन्वय तथा संचरण सुविधा में बढ़ोतरी होती है। इस प्रकार के निकाय में केन्द्रीय कार्यालय द्वारा विभिन्न प्रकार की लोडिंग, लेखा-जोखा अनुरक्षण समय-सारणी, प्रेषण आदि का कार्य किया जाता है।

2.असंयुक्त अर्न्तसंयोजन प्रणाली (Unintegrated Interconnection System)

असंयुक्त अर्न्तसंयोजन प्रणाली में विशिष्ट प्रणालियों की पहचान लुप्त नहीं होती है। इस प्रणाली का प्राथमिक उत्तरदायित्व यह है कि विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में भार को किस प्रकार आवंटित करना है। इस प्रणाली में कोई केन्द्रीय कार्यालय नहीं होता है। एक प्रणाली के द्वारा दूसरी प्रणाली का नियंत्रण किया जा सकता है। असंयुक्त प्रणाली में सीमित समय के लिए सीमित ऊर्जा सप्लाई की जाती है। इसमें कई प्रकार के लाभ एक-दूसरे से संयोजित होते हैं। संयुक्त अतसंयोजन प्रणाली अधिक मितव्ययी होती है, परन्तु कई मुख्य प्रणालियों के आधार पर असंयुक्त अतसंयोजन प्रणाली प्रयोग में ली जाती है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार की उपयोगिता जैसे-आपातकालिन सुविधा, आर्थिक अनुरक्षण, जुड़ा हुआ अनुरक्षण, योजना आदि उपलब्ध रहती है। विभिन्न प्रकार के जनरेटिंग केन्द्रों को परस्पर निम्न प्रकार से अतसंयोजित कर सकते हैं

(i) हाइड्रो इलेक्ट्रिक शक्ति केन्द्रों का अर्न्तसंयोजन (Interconnection of Hidro-electric Power Stations): हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति कन्द्रों में से कुछ केन्द्र ऐसे भी होते हैं जो केवल बरसाती नदियों के पानी के कारण चलते हो और तब तक शक्ति को उत्पन्न कर सकते हो जब तक कि उनमें उचित जल प्रवाह होता हो।

कुछ हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति केन्द्र ऐसे भी होते हैं कि जिनमें कुछ पानी को संग्रहित किया जा सकता है एवं कुछ दिनों के लिए शक्ति का उत्पादन किया जा सकता हो।

इनके अतिरिक्त कुछ हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति केन्द्र ऐसे भी होते हैं जिसमें पानी की काफी मात्रा को बांध (dam) में एकत्रित किया जा सकता है एवं कई महीनों तक लगातार शक्ति का उत्पादन किया जा सकता है।

यदि इन शक्ति केन्द्रों से अधिकतम लाभ  परस्पर अतसंयोजन कर वर्षा ऋतु में अधिकतर शक्ति का उत्पादन, नदी के जल से चलने पाले कम संग्रहण क्षमता वाले हाइड्रो-इलैक्ट्रिक शक्ति तंत्रों से किया जाता है क्योंकि इन शक्ति तंत्रों के लिए वर्षा ऋतु के समय पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध होता है और अधिक संग्रहण क्षमता वाले हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति तंत्रों पर भार डालना चाहिए ताकि वर्षा ऋतु के पश्चात्/इनसे अधिकतर आवश्यक शक्ति को प्राप्त किया जा सके। इसके लिए चित्र में अतसंयोजन शक्ति तंत्र के एकल रेखा आरेख को दर्शाया गया है।

Types and Benefits of Interconnection System

विभिन्न प्रकार के हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति तंत्रों को परस्पर अतसंयोजन करने पर वर्षा के पानी का उचित उपयोग किया जा सकता है और वर्ष भर अधिक से अधिक शक्ति को जनरेट किया जा सकता है।

(ii) हाइड्रो-इलेक्ट्रिक और तापीय शक्ति केन्द्रों का अर्न्तसंयोजन (Interconnection of Hydro electric and Thermal Power Stations): शक्ति तंत्र के अन्तर्गत हाइड्रो-इलेक्ट्रिक और थर्मल शक्ति केन्द्रों को परस्पर अतसंयोजन कर जल एवं ईंधन दोनों का उचित उपयोग किया जा सकता है क्योंकि वर्षा ऋतु में बाढ़ के समय बांध को अधिकतम पानी spillway से व्यर्थ चला जाता है। इस पानी का अधिकतम उपयोग करने के लिए हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति तंत्रों पर अधिकतम भार डालकर उन्हें आधार भार पर संचालित किया जा सकता है और तापीय शक्ति केन्द्रों पर बहुत कम भार डाला जाता है अथवा उन्हें शिखर भार की स्थिति में संचालित किया जाता है।

इसके विपरीत वर्षा ऋतु के समाप्त होने पर जब हाइड्रो-इलेक्ट्रिक केन्द्रों के बांधों में पानी की मात्रा काफी कम हो जाती है, तो तापीय शक्ति केन्द्रों को आधार भार पर एवं हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति केन्द्रों को केवल शिखर भार के लिए संचालित किया जाता है।

इस प्रकार शक्ति प्रणाली के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के जनरेटिंग केन्द्रों को परस्पर अतसंयोजन कर जल एवं ईधन दोनों का उचित उपयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार अन्य शक्ति तंत्रों का अतसंयोजन भी संभव है जो कि निम्न प्रकार है

(a) पवन और तापीय शक्ति केन्द्रों का अतसंयोजन। 

(b) पवन और हाइड्रो-इलेक्ट्रिक शक्ति केन्द्रों का अतसंयोजन।

अर्न्तसंयोजन प्रणाली के लाभ- advantages of interconnection in hindi

(i) सप्लाई की निरन्तरता (Continuity of Supply) – शक्ति संयंत्र प्रणाली में सप्लाई की निरन्तरता हमेशा बनी रहनी चाहिए। सप्लाई में निरन्तरता किसी भी शक्ति संयंत्र के लिए संभव नहीं है। जनरेटिंग केन्द्र पर सिस्टम में किसी भी तरह का फॉल्ट आने पर या अनुरक्षण के समय पूरे प्रणाली को शट-डाउन करना पड़ता है। यदि जनरेटिंग केन्द्र किसी दूसरे जनरेटिंग केन्द्र से अतसंयोजन हो तो सप्लाई में निरन्तरता संभव है।

(ii) सप्लाई की विश्वसनीयता में वृद्धि (Increase in Reliability of Supply)- शक्ति संयंत्रों के आपस में अतसंयोजन के कारण संयंत्र की विश्वसनीयता में वृद्धि होती है क्योंकि प्रणाली की वोल्टेज एवं आवृत्ति समान रहती है तथा वोल्टेज fluctuation समाप्त हो जाता है।

(iii) ऑपरेटिंग लागत की बचत (Saving ofOperating Cost)- दो विभिन्न शक्ति संयंत्रों को अलग-अलग चलाने से उनकी प्रत्येक इकाइयों को मितव्यता से चलाना पड़ता है, जबकि दोनों शक्ति संयंत्रों को आपस में अतसंयोजन करने पर इसे अनुकूल समय पर चलाया जाता है जिससे संचालन लागत कम हो जाती है। इसलिए दो केन्द्रों के मध्य ऊर्जा का आदान-प्रदान दोनों के लिए बचत करवाता है।

(iv) शिखर भार का विनिमय (Exchange of Peak Load)- शक्ति प्रणाली में अतसंयोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें शिखर भार का आदान-प्रदान किया जा सकता है। यदि शक्ति केन्द्र का भार वक्र उस केन्द्र के निर्धारित भार से अधिक शिखर भार को प्रदर्शित करता है तो प्राप्त अतिरिक्त भार को उस केन्द्र से अतसंयोजन केन्द्र के द्वारा विभाजन किया जा सकता है।

(v) पुराने शक्ति संयंत्रों का उपयोग (Use of older Power Plants)- इन्टरकनैक्टेड प्रणाली के द्वारा पुराने एवं निम्न दक्षता वाले संयंत्र का उपयोग कम समय के लिए शिखर भार हेतु किया जा सकता है, जबकि ये अकेले ऐसे कार्यों के लिए अपर्याप्त होते हैं।

(vi) आर्थिक ऑपरेशन (EconomicalOperation)- इन्टरकनैक्टेड शक्ति प्रणाली, संबंधित शक्ति केन्द्र के ऑपरेशन को आसान बना देता है क्योंकि इन्टरकनैक्टेड प्रणाली के मध्य भार का विभाजन इस प्रकार होता है कि अधिक दक्षता वाले शक्ति केन्द्र वर्षभर उच्च भार गुणांक पर नियमित कार्य करते हैं तथा कम दक्षता वाले शक्ति संयंत्र केवल शिखर भार के लिए कार्य करते हैं

(vii) डाइवर्सिटी फैक्टर में वृद्धि (Increase in Diversity Factor)- शक्ति प्रणाली को इन्टरकनैक्ट करने पर प्रणाली की अधिकतम डिमाण्ड प्रत्येक संयंत्र की अधिकतम डिमाण्ड के योग से कम होती है। इससे प्रणाली का डाइवर्सिटी फैक्टर अच्छा हो जाता है और प्रणाली की दक्षता में वृद्धि होती है।

(viii) शक्ति संयंत्र की क्षमता में कमी (Reduce the Power Plant Capacity)- किसी भी केन्द्र पर भार डिमाण्ड स्थिर नहीं होती है। प्रत्येक शक्ति केन्द्र को हम उसकी शिखर भार क्षमता के आधार पर संस्थापित करतेहैं। यदि जनरेटिंग केन्द्र अन्य केन्द्रों के साथ इन्टरकनैक्ट है तो उसे हम उसकी शिखर भार से कम क्षमता पर भी संस्थापित कर सकते हैं।

(ix) संयंत्र की रिजर्व क्षमता में वृद्धि (Increase in Plant Reserve Capacity)- प्रत्येक संयंत्र की एक stand by यूनिट होती है और यह आपातकालीन समय में काम आती है। अनेक शक्ति केन्द्रों को समान्तर में अतसंयोजन करने पर यह क्षमता बहुत कम हो जाती है, जिससे प्रणाली की दक्षता बढ़ती है।

आज आपने क्या सीखा :-

दोस्तों आज आपने सीखा कि अर्न्तसंयोजन प्रणाली के प्रकार और लाभ- Types and Benefits of Interconnection System in hindi,  अर्न्तसंयोजन प्रणाली के प्रकार (Types of Interconnection System in hindi), अन्तसंयोजन प्रणाली के लाभ- advantages of interconnection in hindi.

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