इन्सुलेटर के प्रकार व उपयोग- Type of Insulators in Hindi

हेलो दोस्तों, आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे की इन्सुलेटर के प्रकार व उपयोग- Type of Insulators in Hindi, विधूतरोधक के प्रकार व उपयोग: अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं 

इन्सुलेटर के प्रकार (Type of Insulators in Hindi)

 विभिन्न प्रकार के विधुत रोधक होते हैं। कुछ विशेष प्रकार के विधुत रोधक निम्नानुसार हैं

  1. पिन-प्रारूपी विधुत रोधक (Pin-type insulators) 
  2. झूला-प्रारूपी विधुत रोधक (Suspension type insulators) 
  3. विकृति-प्रारूपी विधुत रोधक (Strain type insulators) 
  4. शैकल-प्रारूपी विधुत रोधक (Shackle-type insulators),

इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नानुसार है।

पिन-प्रारूपी इन्सुलेटर (Pin-Type Insulators)

विधूतरोधक को इंसुलेटर भी कहा जाता है, ये पिन प्रारूपी विधुत रोधक खम्भे पर स्थित क्रास-आर्म पर लगे होते हैं। इसके ऊपरी हिस्से पर खड्डा होता है जो चालक की हाउसिंग (housing) के लिए काम आता है। चालक को इस खड्डे (groove) में से गुजारा जाता है तथा उसी मेटेरियल के same annealed वायर से वाउण्ड होता है।

पिन-प्रारूपी विधुत रोधक को 33 kV तक उपयोग में लाया जाता है तथा 33 kV से ज्यादा वोल्टता पर ये ज्यादा भारी हो जाते हैं जो कि मितव्ययी नहीं है।

Insulators in Hindi

 

झूला-प्रारूपी इन्सुलेटर (Suspension Type Insulators) 

पिन प्रारूपी विधुत रोधक की लागत, कार्यकारी वोल्टता के बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है। पिन प्रारूपी विधुत रोधक 33 kV से ज्यादा वोल्टता पर मितव्ययी नहीं रहते हैं। अतः उच्च्तम वोल्टता के लिए सामान्यतया झूला प्रारूपी विधुत रोधक का उपयोग किया जाता है।

Suspension Type Insulators

इन विधुत रोधकों में अनेक पोर्सलीन डिस्क एक धातु कड़ी के द्वारा श्रेणीक्रम में जुड़ी होती है। अतः चालक, लड़ी के सबसे नीचले वाले भाग में लगता है तथा लड़ी का सबसे ऊपर वाला भाग क्रास-आर्म पर स्थित होता | है। इसमें प्रत्येक इकाई या डिस्क एक निश्चित न्यून वोल्टता के लिए निर्मित की जाती है, जो कि लगभग 11 kV तक होती है तथा श्रेणी में लगी डिस्क की संख्या कार्यकारी वोल्टता पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए यदि कार्यकारी वोल्टता 33 kV है तो लड़ी में लगी हुई डिस्क की संख्या 3 होगी। चित्र में झूला प्रारूप की विधुत रोधक को दर्शाया गया है।

विकृति-प्रारूपी इन्सुलेटर (Strain Type Insulators)

जब लाइन में यदि कोई अन्तिम सिरा या किनारा या शार्प वक्र हो तो लाइन में बहुत ज्यादा तनाव होता है। इन लाइनों में तनाव को कम करने हेतु विकृति विधुत रोधक उपयोग किया जाता है। झूला प्रारूपी तथा विकृति प्रारूपी विधुत रोधक की संरचना में कोई विशेष अन्तर नहीं होता है।

Strain Type Insulators

जब क्षैतिज स्थिति में झूला प्रारूपी विधुत रोधक को उपयोग में लाया जाता है तो उसे विकृति प्रारूपी कहते हैं। न्यूनतम वोल्टता (11kV) के लिए विकृति विधुत रोधक के स्थान पर शैकल विधुत रोधक का उपयोग करते है। उच्च वोल्टता संचरण लाइन के लिए विकृति विधुत रोधक को उपयोग में लेते हैं, जब लाइन में तनाव अत्यधिक होता है तो समान्तर में दो या दो से अधिक लड़ी का उपयोग किया जाता है। विकृति प्रारूपी विधुत रोधक को चित्र में दिखाया गया है।

 

शैकल-प्रारूपी इन्सुलेटर (Shackle-Type Insulators)

कुछ समय से शैकल विधुत रोधक विकृति विधुत रोधक की तरह उपयोग में लाए जा रहे हैं। शैकल प्रारूपी विधुत रोधक न्यून वोल्टता वितरण लाइन हेतु उपयोग में लाए जाते हैं। इन विधुत रोधकों को क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर स्थिति में उपयोग में लाया जाता है। शैकल विधुत रोधक पोर्सलीन के बने होते हैं। इसका उपयोग किसी भी स्थिति के लिए किया जा सकता है। ये क्रास आर्म पर सीधे ही बोल्ट द्वारा कसे जाते हैं। चालक को खड्डे में नरम वाइडिंग तार के द्वार स्थिर किया जाता है। एक शैकल विधुत रोधक को चित्र में दर्शाया गया है।

Shackle-Type Insulators

आज आपने क्या सीखा :-

इन्सुलेटर के प्रकार व उपयोग- Type of Insulators in Hindi, विधूतरोधक के प्रकार व उपयोग, पिन-प्रारूपी इन्सुलेटर, झूला-प्रारूपी इन्सुलेटर, विकृति-प्रारूपी इन्सुलेटर, शैकल-प्रारूपी इन्सुलेटर के बारे में.

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