तो दोस्तों इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि कोचरन बॉयलर हिंदी में | cochran boiler in hindi, कोचरन बॉयलर की कार्यप्रणाली | Working Principle of cochran boiler in Hindi. इस आर्टिकल में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं
कोचरन बॉयलर हिंदी में | cochran boiler in hindi
cochran boiler in hindi- इसमें एक बेलनाकार कोश होता है, जिसका ऊपरी सिरा अर्ट गालाकार होता है। यह भाग भाप स्थान कहलाता है। बॉयलर के नीचे के भाग में भट्टी होती है। इस भट्टी का शीर्ष भी अर्द्ध गोलाकार होता है। इस प्रकार के शीर्ष से यह लाभ है कि यह अधिकतम विकिरण ऊष्मा का अवशोषण करता है व व्याकुलन को भी रोकता है। यह एक ही हर को दबाकर बनाया जाता है जिससे ज्वाला के ऊपर कोई भी सीधा जोड़ नहीं आता है तथा साथ ही सामर्थ्य भी अधिकतम होती है। इस भट्टी में एक झंझरी होती है जिसके नीचे राख गर्त होता है जिसमें ईंधन के जलने से उत्पन्न राख एकत्रित होती रहती है। इस भट्टी में दो द्वार होते हैं। झंझरी के पास एक अग्निद्वार होता है जिसे धूम्र नल कहते हैं।
यह धूम्र नल एक दहन कक्ष से जुड़ा रहता है। इस दहन कक्ष का सम्बन्ध अनेक क्षैतिज धूम्र नलिकाओं द्वारा एक धूम्र बॉक्स से होता है। ये क्षैतिज नलिकाएं दो प्लेटों पर दहन कक्ष तथा धूम्र बॉक्स के मध्य लगी रहती हैं। ये नलिकाएं काफी संख्या में होती हैं जिससे जल की ऊष्मक सतह बढ़ जाती है व भाप बनने की दर बढ़ जाती है। जल के तल का आवश्यकता से कम होने पर इन नलिकाओं के नुकसान का डर रहता है। अतः एक संगलनीय प्लग दहन कक्ष के ठीक ऊपर लगाया जाता है। धूम्र बॉक्स का सम्बन्ध एक चिमनी से होता है। जहां से व्यर्थ गैसें बॉयलर से बाहर वायुमण्डल में निकलती रहती हैं।
कोचरन बॉयलर की कार्यप्रणाली | Working Principle of cochran boiler in Hindi
दहन कक्ष के चारों ओर भी कोश में एक छिद्र होता है जिसके आंतरिक भाग में अग्नि सह ईंटे लगी रहती हैं। इन ईंटों का तापमान इतना अधिक रहता है कि अगर कोयले के कुछ कण अदग्ध अवस्था में इस कक्ष में पहुंचते हैं तो उनका पूर्ण दहन हो जाता है, साथ ही ये ईटे विकिरण ऊष्मा जो वायुमण्डल में जाती हैं उनको भी रोकती हैं। इस छिद्र से जब भी धूम्र नलिकाओं की सफाई या उन्हें परिवर्तित करना हो तो आसानी से किया जा सकता है। इसी प्रकार धम्र बॉक्स में भी सफाई के लिए एक छिद्र होता है। परंतु इस ओर अग्नि सह ईंटे नहीं लगी रहती हैं, क्योंकि यहां पर तापमान तुलनात्मक कम होता है। इस बॉयलर में यदि आवश्यक हो तो अतितापक भी लगाया जा सकता है परंतु अतितप्त अंश अधिक नहीं हो सकता है। यह अतितापक चिमनी के ठीक नीचे धूम्र बॉक्स में लगाया जाता है। बॉयलर के अंदर के भाग की सफाई करने के लिए प्रवेशद्वार तथा हस्तद्वार उचित स्थान पर होते हैं। बॉयलर पर विभिन्न आरोपिकाएं उचित स्थान पर लगी रहती हैं, जैसे-सुरक्षा वाल्व, भापरोध वाल्व ।
ईंधन को अग्निद्वार से डालकर झंझरी पर जलाया जाता है। ईंधन के दहन से उत्पन्न गर्म दग्ध गैसें भट्टी से उठाकर धूम्र नल से होती हुई दहन कक्ष में पहंचती हैं और राख भटटी के नीचे राख गर्त में एकत्रित होती रहती है। दहन कक्ष में गर्म गैसे धूम्रनलिकाओं से होती हुई धूम्र बॉक्स में पहुचती हैं। इन नलिकाओं के चारों तरफ जल भरा रहता है, जो इन गर्म गैसों व भट्टी के छत्र के सम्पर्क से संवहन ऊष्मा से गर्म होकर भाप में बदलकर कोश के ऊपरी भाग में एकत्रित होता रहता है। जहां से यह भाप रोध वाल्व द्वारा इंजन आदि को भेजी जाती है। गर्म गैसें जल को ऊष्मा देने के बाद ठण्डी हो जाती हैं तथा चिमनी द्वारा वायुमण्डल में चली जाती हैं। चिमनी में प्रवात नियंत्रक लगा होता है, जिससे दग्ध गैसों के निकास तथा झंझरी को प्राप्त हवा का नियंत्रण किया जाता है। कई बार चिमनी में एक भाप नॉजल भी लगाया जाता है जिसमें से भाप प्रवाहित की जाती है जिससे दग्ध गैसों का वेग बढ़ जाता है तथा तीव्रता से निष्कासित होता है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि कोचरन बॉयलर हिंदी में | cochran boiler in hindi, कोचरन बॉयलर की कार्यप्रणाली | Working Principle of cochran boiler in Hindi. इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
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