कन्डेंसर क्या है ? (What is Condenser in Hindi )
Condenser in Hindi : कन्डेंसर को इस प्रकार परिभाषित किया जाता है कि जब “दो चालक (प्लेटें) एक कचालक पदार्थ के द्वारा अलग रखी जाती हैं और इसका उपाय यह है कि उसके द्वारा हम विद्युत एनर्जी को एकत्रित कर सकते हैं और जब हमें आवश्यकता हो तो काम ले सकते हैं।
कन्डेसर का सिद्धान्त (Working Principle of condenser in hindi)
माना कि दिये हुये चित्र में A बैट्री के धनात्मक सिरे को स्विच के धनात्मक सिरे से व बैट्री के ऋणात्मक सिरे को स्विच के ऋणात्मक सिरे से जोड़ते हैं। फिर हम जैसे ही स्विच को चालू करेगें तो क्षणभर तो इलैक्ट्रोन चलेंगे और जब इलैक्ट्रोन चलेगें तब हम देखेंगे कि कुछ इलैक्ट्रान प्लेट A से निकलेंगे और प्लेट Aधनात्मक रूप से चार्जड हो जायेगी और जब वह इलैक्ट्रान प्लेट B पर पहुचेंगे और इसको वे ऋणात्मक चार्जड कर देगें। इलैक्ट्रोन का चलना ही प्लेटों को चार्ज करना है जिनका बाद में चलना बंद हो जाता है तब बैट्री का वोल्टेज और कन्डेसर का वोल्टेज बराबर हो जाता है। अब हम कह सकते हैं कि कन्डेसर चार्ज है और उसमें एनर्जी इकट्ठी हो गयी है। अब यदि तार बैट्री से हटाकर आपस में मिला दी जाये तो स्पार्क होगा और ये धारा का उसमे होना सिद्ध करना |
कन्डेंसर के प्रकार ( Types of Condenser in hindi)
अधिकार कन्डेंसर तीन प्रकार के होते हैं
- माइका कन्डेसर
- वेरिएबल एयर कन्टेंसर
- इलैक्ट्रोलाइटिक कन्डेंसर।
माइका कन्डेसर (Mica Condenser )
इस प्रकार के कन्डेंसर अधिकार रेडिया सर्किट में लगाये जाते हैं और जहां पर स्थिर मान ( Value) के कन्डेंसरों की जरूरत हो। इस प्रकार के कन्डेंसरों की बनावट में दो टीन की बहुत पतली (कागजा–सी) चद्दरों को, जो काफी लम्बी होती हैं, एक-दूसरे से माइका की पतली चद्दर या पैराफिन की पतली चद्दरके द्वारा इंसूलेट करके रखते हैं। इन सबको लपेट देते हैं। टीन की चद्दरों से ही कनेक्शन बाहर लिए जाते हैं। दो से अधि कि चद्दरें भी कभी-कभी लगायी जाती हैं जो एक-दूसरे से अलग रखी जाती हैं और इस प्रकार कनेक्शन करते हैं कि बाहर दो ही टर्मिनल रहते हैं।
वेरियेबल एयर कंन्डेंसर (VariableAir Condenser )
इस प्रकार के कन्डेंसर रेडियो रिसीवर में लगते हैं कि किसी प्रकार की ट्रांसमिशन वाइस को पकड़ने के लिए काम करते हैं (अर्थात टयूनिंग के लिए)। इस प्रकार के कन्डेंसरों में कुछ पत्तियाँ अर्ध गोले के रूप में एक ही लोहे की छड़ पर फिक्स की होती हैं जिसको रोटर कहते हैं। कुछ पत्तियाँ स्थिर रूप में अर्ध गोले की शक्ल में होती हैं जिसको स्टेटर कहते हैं। ये दोनों ऐसे रखे जाते हैं कि रोटर स्टेटर के बीच आसानी से घूम सकता है। ये एक-दूसरे से अलग रहते हैं यानी डाई-इलैक्ट्रिक हवा होती है। इसकी कैपेसिटी पत्तियों के अन्दर बाहर आने से (स्टेटर ) कम अधिक होती रहती है। रोटर पर एक प्वांइट लगा देते हैं जो कि डायल पर प्लेटों के घूमने की दिशा बताता है। इस प्रकार के कन्डेंसरों की कैपेसिटी 0 से 500 ufतक होती है।
इलैक्ट्रोलाइटिक कन्डेंसर (Electrolytic Condenser)
यह एक अधिक कैपेसिटी का बनने वाला कन्डेंसर है जिसकी कैपेसिटी 10 से 100 uf तक हो सकती है। ये कन्डेंसर भी रेडियो या बिजली के काम में लाये जाते हैं।
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आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि कन्डेंसर क्या है, What is Condenser in Hindi, कन्डेसर का सिद्धान्त, Working Principle of condenser in hindi, कन्डेंसर के प्रकार, Types of Condenser in hindi. इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
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