हेलो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपको बताने वाला हूं कि SMPS क्या है? SMPS की कार्यप्रणाली और गुण – What is SMPS, SMPS का मुख्य सिद्धान्त, SMPS की कार्यप्रणाली, SMPS के गुण, SMPS के दोष :अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं
SMPS क्या है?
SMPS (स्विच मोड पावर सप्लाई)-विभिन्न अनुप्रयोगों में दिष्ट वोल्टता की आवश्यकता होती है। जिसमें दूरदर्शन ग्राह्मी मुख्य है जहां 121 से 160V तक की विभिन्न दिष्ट वोल्टता की आवश्यकता होती है। प्रारम्भ में निवेश वोल्टता के परिवर्तन व भार के परिवर्तन के विरूद्ध निर्गत वोल्टता को स्थिर करने हेतु श्रेणी नियामक काम में लिये जाते थे। बाद में SCR नियन्त्रित दिष्टकारी के साथ छनित्र परिपथ लोकप्रिय हुए। इनमें आवश्यक सुधार हुए जिसमें पूर्णतरंग दिष्टकारी व विच्छेद परिमाणित्र का उपयोग मुख्य है। फिर भी उच्च शक्ति अपव्यय, व विच्छेद परिमाणित्र के बड़ा आकार के कारण आज के रंगीन टूरदर्शन ग्राह्मी परिपथ में इसका उपयोग जटिल हो गया है। स्विच मॉड पावर सप्लाई जिसको संक्षिप्त में SMPS कहते हैं, को आज सभी प्रकार के रंगीन दूरदर्शन ग्राह्मी में अब उपयोग में ली जाती है।
SMPS का मुख्य सिद्धान्त (SMPS Main principles)-
प्रत्येक SMPS शक्ति प्रदाय में सर्वप्रथम मुख्य स्त्रोत वोल्टता को उच्च वोल्टता दिष्टकारी द्वारा दिष्टकृत कर एवं संधारित्र छनित्र द्वारा छाना जाता है। प्राप्त अनियमन दिष्ट वोल्टता को एक स्वीच ट्रांजिस्टर द्वारा जो कि एक नियन्त्रण परिपथ द्वारा चालित हो तो है, उच्च आवृत्ति पर चॉप किया जाता है। दूरदर्शन ग्राह्मी में यह आवृत्ति 15.625 kHz रखी जाती है। चाप्ड दिष्ट वोल्टता को एक उच्च आवृत्ति ट्रांसफार्मर के प्राथमिक कुण्डली को दिया जाता है। द्वितीय कुण्डली के निर्गत पर उच्च आवृत्ति प्रत्यावर्ती वोल्टता मिलती है जिसे एक तेज पुनः भरण शक्ति डायोड द्वारा दिष्टकृत कर संधारित्र या प्रेरकत्व छनित्र द्वारा प्रत्यावर्ती अवयव को अलगकर शुद्ध दिष्ट वोल्टता प्राप्त की जाती है। निर्गत दिष्ट वोल्टता का कुछ भाग अलग कर एक संवेदन प्रवर्धक द्वारा प्रवर्धित कर नियन्त्रण परिपथ को पुनः निवेशित किया जाता है जो कि स्वीच ट्रांजिस्टर का ड्युटी चक्र को नियन्त्रित कर निर्गत को स्थिर रखता है। यह उपयोग में लिया गया ट्रांसफार्मर छोटा होता है। कुण्डली में लपेटों की संख्या का चयन आवश्यक निर्गत वोल्टता के अनुसार किया जाता है। एक ही ट्रांसफार्मर में कई द्वितीय कुण्डलियां लेकर आवश्यक विभिन्न दिष्ट वोल्टता प्राप्त की जा सकती है।
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SMPS की कार्यप्रणाली (Working Principle of SMPS)
SMPS की कार्यप्रणाली को चित्र (1) से समझा जा सकता है। इस चित्र में दर्शाए गए प्रत्येक खण्ड का विस्तृत विवरण यहां दिया जा रहा है।
(i) निवेशी दिष्टकारी स्टेज (Input Rectifier Stage)- यदि SMPS प्रत्यावर्ती धारा निवेश की जाती है तो प्रथम स्टेज में इस निवेशी प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदला जाता है। इस प्रक्रिया को दिष्टकरण कहा जाता है। एक स्विच को दिष्टकारी के साथ जोड़कर इसे विभव द्विगुणक (voltage doubler) की तरह बनाया जाता है। यह उच्च सप्लाई प्रक्रिया के सामान्य विभव 120V तथा 240V पर कार्य करने हेतु आवश्यक होता है। यहां दिष्टकारी अरेखीय दिष्ट धारा विभव देता है जिसे फिल्टर परिपथ को निवेश किया जाता है।
इस परिपथ द्वारा मुख्य सप्लाई से ली गई धारा, प्रत्यावर्ती धारा विभव के उच्च मानों के इर्द-गिर्द छोटी-छोटी पल्सों के रूप में होती है। इन पल्सों में उच्च आवृति ऊर्जा होती है जो शक्ति गुणांक को घटा देती है। शक्ति गुणांक के मान को नियमित रखने के लिए SMPS द्वारा कुछ नियंत्रण प्रणालियां काम में ली जाती हैं जैसे कि औसत निवेशी धारा को निवेशी प्रत्यावर्ती धारा के जैसे बनाना इत्यादि । एक SMPS जिसमें दिष्टधारा निवेश की जाती है के लिए इस स्टेज की आवश्यकता नहीं होती है। एक प्रत्यावर्ती धारा के लिए डिजाइन किया गया SMPS, दिष्ट धारा (230VAC के लिए 330VDC होगा) के लिए भी कार्य कर सकता है क्योंकि दिष्टकारी से गुजरने पर दिष्टधारा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा परन्तु प्रायोगिक रूप से यह काम में नहीं लिया जाता है क्योंकि पूर्ण लोड के लिए इस स्टेज में आधे डायोड ही काम आते हैं। अतः अवयवों की अत्यधिक हीटिंग के कारण परिपथ के जलने का खतरा रहता है।
यदि एक निवेशी रेन्ज स्विच प्रयोग में लिया जाता है तो दिष्टकारी से स्टेज निम्न विभव (120VAC) पर विभव द्विगुणक तथा उच्च विभव (240 VAC) पर दिष्टकारी की भांति कार्य करती हैं। यदि रेन्ज स्विच का प्रयोग नहीं किया जाता है तो सामान्यतः पूर्ण तरंग दिष्टकारी काम में लिया जाता है तथा अंर्तवर्तक को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि दिष्टकारी निर्गत विभवों को वह निवेशी के रूप में ले सके।
(ii) अंर्तवर्तक स्टेज (Inverter Stage)-अंर्तवर्तक, स्टेज दिष्टधारा (सीधे निवेश या दिष्टकारी स्टेज से) को एक शक्ति दोलित्र, जिसका निर्गत ट्रांसफॉर्मर बहुत छोटा तथा कम आवृति पर कार्यरत हो, से चलाकर प्रत्यावर्ती धारा में बदलता है। इस आवृति को 20 kHz से अधिक चुना जाता है ताकि वह मनुष्यों को न सुने। यहां निर्गत विभव काफी हद तक नियमित होता है। स्विचिंग एक MOSFET प्रवर्धक की भांति बनाई जाती है।
(iii) विभव रूपान्तरक तथा निर्गत दिष्टकारी (Voltage Converter and Output Rectifier)– यदि निर्गत को निवेशी से आइसोलेट करना है तो रूपान्तरित प्रत्यावर्ती धारा उच्च आवृति ट्रान्सफॉर्मर की प्राथमिक कुण्डली को चलाने हेतु काम ली जाती है। इस कारण द्वितीयक कुण्डली पर वांछित विभव प्राप्त होता है। चित्र (i) में निर्गत ट्रान्सफॉर्मर यह प्रक्रिया करता है।
यदि DC निर्गत की आवश्यकता हो तो ट्रांसफॉर्मर के AC निर्गत को दिष्टकारी किया जाता है। 10 V या अधिक निर्गत विभव के लिए सिलिकॉन डायोड काम में लिए जाते हैं। इसी तरह निम्न विभव हेतु शॉटकी डायोड दिष्टकारी में प्रयुक्त किए जाते हैं तथा अति निम्न हेतु MOSFET काम में लिये जाते हैं तथा शॉटकी डायोड की अपेक्षा इनके सापेक्ष विभव पतन भी कम होता है। इस स्टेज से प्राप्त दिष्टकारी विभव को फिल्टर परिपथ से गुजारा जाता है तथा वांछित निर्गत (output) प्राप्त होता है।
विभिन्न अनुप्रयोगों में किसी particular DCvoltage की आवश्यकता होती है, जैसे- दूरदर्शन में 12 V से 60 V तक विभिन्न DC voltage की आवश्यकता होती है। इसलिए SMPS का प्रयोग किया जाता है।
SMPS के गुण (SMPS Merits)
- Chopping rate अधिक होने से transformer का basic shape small होता है।
- Transistor उसी समय ON होता है, जब load current के लिए आवश्यक हो । अतः controlled transistor में heat loss कम होता है। इस कारण अधिक efficiency मिलती है
- एक परिपथ से lowvoltage व medium voltage प्राप्त कर सकते हैं।
- सभी output constant होते हैं। Overload खुला व बंद परिपथ सुरक्षा की व्यवस्था होती है।
- Synchronization का प्रयोग कर दूसरे परिपथ में interference को कम किया जा सकता है।
SMPS के दोष (SMPS Demerits)
- तेज switching के कारण strong interference signals उत्पन्न होते हैं।
- ऊर्जा के संकेत (trapping) के कारण उच्च frequency oscillation frequency उत्पन्न होती है जो दूरदर्शन का tuner ग्रहण कर लेता है।
- Strong induction voltage उत्पन्न होने से इसके द्वारा mainAC स्त्रोत दूषित होने की सम्भावना रहती है।
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