आज के इस पोस्ट में आप जानेंगे कि बेस लोड और पीक लोड क्या हैं? ( what is base load and peak load), base load and peak load difference in hindi के बारे में जानने वाले हैं अगर आप भी यह जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए
शक्ति संयंत्र पर भार में परिवर्तन द्वारा एक परिवर्ती (variable) एकति का लोड वक्र प्राप्त होता है। शक्ति संयंत्र पर समय के अनुसार भार में परिवर्तन होता है। अतः शक्ति संयंत्र पर स्थित भार दो प्रकार के होते हैं
what is base load and peak load
(i) आधार भार (Base load)- वह अपरिवर्तनशील भार जो शक्ति तंत्र पर पूरे दिन रहता है, उसे आधार भार (base load) कहते हैं। चित्र के अनुसार 20 MW का भार शक्ति तंत्र पर पूरे दिन (24 hrs) रहता है। इसलिए यहां 20 MW भार ही आधार भार है। शक्ति संयंत्र पर आधार भार हमेशा लगभग नियत (constant) ही प्राप्त होता है।
सामान्यतया अन्तर्योजित ग्रिड (Inter-connected grid) पद्धति में, .वर्षा ऋतु में जल शक्ति केन्द्रों को आधार भार पर चलाया जाता है तथा सूखे (dry) मौसम में जब बांध में पानी घट जाता है तो तापीय शक्ति केन्द्रों को आधार भार पर चलाया जाता है। नाभिकीय शक्ति केन्द्रों (Nuclear power stations) को प्रायः आधार भार पर ही चलाया जाता है।
(ii) शिखर भार (Peak load)- शक्ति संयंत्र में आधार भार के ऊपर भार की विभिन्न शिखर मांग को शिखर भार कहते हैं या अधिकतम विद्युत भार जो कि किसी भी क्षण शक्ति संयंत्र पर आता है, उसे शिखर भार कहते हैं। चित्र में इसे दर्शाया गया है।
प्रत्येक विद्युत शक्ति केन्द्र पर विद्युत भार की मांग दिन में कई बार बदलती रहती है जिसके अनुसार कुछ जनित्रों को चलाया या बन्द किया जा सकता है। शिखर भार शक्ति केन्द्रों पर कम समय के लिए ही आते हैं इसलिए इनका भार गुणक न्यून होता है और शिखर भार ऊर्जा का मूल्य उच्च होता है। वे शक्ति संयंत्र जिन्हें आधार भार वाले शक्ति संयंत्रों के साथ शिखर भार लेने के लिए प्रयोग किया जाता है उन्हें शिखर भार peak load शक्ति केन्द्र कहते हैं।
आज आपने क्या सीखा :-
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