हेलो दोस्तों, इस आर्टिकल में आपको बताने वाला हूं कि डी.सी. मशीन के पोलों की संख्या का चयन- Selecting the number of poles Machine/motor , Selecting the number of poles of the D.C. Machine/motor in hindi| तो चलिए शुरू करते हैं
What is pole in DC machine/motor
डी.सी. मशीन के पोलों की संख्या का चयन- Selecting the number of poles of the D.C. Machine/motor in hindi
एक डी.सी. मशीन में उपयोग किए गए पोलों की संख्या चुम्बकीय व विद्युतीय दोनों परिपथों में महत्त्वपर्ण होती है। पोलों की संख्या का चयन करने के लिए मान लें कि मशीन का व्यास D,लम्बाई L,विशिष्ट चुम्बका व विद्युत लोडिंग स्थिर है तथा पोलों की संख्या परिवर्तित होती है।
1. आवृत्ति (Frequency)- वायु अन्तराल में फ्लक्स परिवर्तन की आवृत्ति f =pn/2 होती है। अतः पोलों की संख्या अधिक रखी जाती है ताकि आवृत्ति अधिक रहे। चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तन की आवृत्ति इतनी अधिक भी नहीं होनी चाहिए जिससे कि आर्मेचर दांतों तथा कोर में अत्यधिक लौह हानियां हो अतः आवृत्ति का मान 25 से 50 Hz के मध्य रखा जाता है जो कि छोटी मशीनों में अधिक भी हो सकता है।
2. लौह भागों का भार (Weight of Iron Parts)- पोलों की संख्या का प्रभाव अन्य भागों पर भी पड़ता है। यदि मशीन के 4 पोलों के लिए डिजाइन किया गया है तो प्रति पोल फ्लक्स Φt/4 तथा आर्मेचर कोर व योक सेक्शन में फ्लक्स Φt/8 होगा।
पोलों की संख्या पर मशीन का भार निर्भर करता है। इसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है
(i) पोलों की संख्या अधिक होने से योक का क्रॉस सेक्शन क्षेत्रफल कम हो जाता है।
(ii) पोलों की संख्या बढ़ने से आर्मेचर कोर में लोहे का भार कम हो जाता है।
(iii) पोलों की संख्या अधिक लेने से मशीन का व्यास कम हो जाता है।
उपरोक्त बिन्दुओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि पोलों की संख्या अधिक रखने से मशीन के कुल लोहे का भार कम हो जाता है।
3. मशीन का सम्पूर्ण आकार (Overall Size of Machine)- पोलों की संख्या बढ़ने पर पोल की लम्बाई में कमी आती है तथा मशीन का सम्पूर्ण बाहरी व्यास घटता है। पोलों की संख्या बढ़ने से आर्मेचर वॉयन्डिंग में ओवरहैंग (overhang) घटता है जिससे आर्मेचर की सम्पूर्ण लम्बाई घटती है। पोलों की संख्या बढ़ने से मशीन के सम्पूर्ण आकार में कमी आती है।
4. कॉपर भार (Weight of Copper)- पोलों की संख्या बढ़ने पर पोल पिच कम होती है जिससे कॉपर भार में कमी होती है।
मशीन में पोलों की संख्या अधिक होने पर आर्मेचर कॉपर की मात्रा घट जाती है तथा साथ ही वॉयन्डिंग के ओवरहैंग भाग में कमी आती है। इस प्रकार मशीन की लम्बाई कम हो जाती है। पोलों की संख्या बढ़ने से फील्ड कॉपर का भार भी कम हो जाता है। पोलों की संख्या चुम्बकीय वाहक बल (mmf) के व्युत्क्रमानुपाती होती है। 2 पोलों का चुम्बकीय वाहक बल, 4 पोलों के चुम्बकीय वाहक बल से दुगुना होता है अतः 2 पोलों में टर्न की माध्य लम्बाई 4 पोल के टर्न की माध्य लम्बाई से अधिक होती है जिससे 2 पोल के क्षेत्र में कॉपर अधिक लगता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
5. पारिश्रमिक (Labour Charge)- पोलों की संख्या बढ़ने से पारिश्रमिक बढ़ जाता है क्योंकि पोलों की संख्या ज्यादा होने से फील्ड क्वॉयल ज्यादा बनानी पड़ती है तथा ज्यादा आर्मेचर क्वॉयलों को कम्यूटेटर सेगमेन्ट पर लगाना पड़ता है, साथ ही सेगमेन्टों को असेम्बल करने एवं विद्युतरोधी करने का कार्य बढ़ जाता है।
6. कम्यूटेटर की लम्बाई (Length of Commutator)- लैप वाउण्ड आर्मेचर में ब्रुशों की संख्या पोलों की संख्या के बराबर होती है तथा वेव वाउण्ड आर्मेचर में केवल दो ब्रश प्रयोग की जाती है। डी सी. मशीन में प्रत्येक ब्रश आर्म द्वारा एकत्रितधारा उसके पोलों की संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात् पोलों की संख्या बढ़ने से प्रत्येक आर्म में ब्रशों का क्षेत्रफल कम हो जाता है या ब्रशों की लम्बाई कम कर दी जाती है इसके फलस्वरूप कम्यूटेटर की लम्बाई कम हो जाती है।
7. ब्रुश के बीच फ्लैश ओवर (Flash Over between Brushes)- पोल की संख्या बढ़ाने से कम्यूटेटर सेगमेन्ट पर ब्रुशों की संख्या बढ़ती है अतः समान व्यास के लिए ब्रुशों के बीच की दूरी कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप ब्रुशों के मध्य फ्लैश ओवर की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
Read more:-
आज आपने क्या सीखा :-
दोस्तों आज आपने सीखा कि डी.सी. मशीन के पोलों की संख्या का चयन- Selecting the number of poles Machine/motor in hindi, Selecting the number of poles of the D.C. Machine/motor in hindi, What is pole in DC machine/motor in hindi. के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो
I want a job please 🥺