दोस्तों आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे रेडियल और रिंगमेन वितरण प्रणाली में अंतर– Difference between Radial and Ringmain Distribution System in hindi : अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं
(1) रेडियल तंत्र (Radial system)
यह एक सरल एवं मितव्ययी प्रणाली है, जो खुलापथ प्रणाली की तरह कार्य करती है। इसमें वितरक एक सरल चालक की तरह वैद्युत केन्द्र या उपकेन्द्रों से आगे बढ़ता है, इसलिए इसे अरीय प्रणाली कहते हैं। इस प्रणाली में वितरक किसी एक सिरे पर पोषक द्वारा पोषित (fed) होता है। इस प्रकार इस प्रणाली के अन्तर्गत वितरक में, केवल एक ही दिशा में धारा प्रवाहित होने की सम्भावना रहती है।
इस प्रणाली का प्रयोग, प्रायः लघु पैमाने पर व्यक्तिगत प्रदाय प्रणाली के लिए वहां पर होता है, जहां पर वैद्युत भार के निकट ही जनन केन्द्रों से, निम्न वोल्टता पर विद्युत-उत्पादन होता है।
निम्नलिखित कमियों के कारण, इस प्रणाली का प्रयोग अत्यन्त सीमित है
(i) इस प्रणाली में वितरक, पोषक सिरे के निकट अधिक भीतर रहता है। दूसरे वितरक के इस अंग पर यथोचित वोल्टता प्राप्त होने के कारण, निकटवर्ती उपभोक्ता अधिक लाभान्वित होता है।
(ii)वोल्टतापात के कारण वितरक के अन्य सुदूर सिरे के निकट उपभोक्ताओं को निम्न वोल्टता पर वैद्युत शक्ति प्राप्त होती है और वैद्युत भार परिवर्तन के कारण, वोल्टता स्पन्दन (Voltage fluctuation) अधिक होता है।
(iii) खुलापथ प्रदोष की स्थिति में एकल सिरा पोषित वितरक द्वारा, प्रदोषी बिन्दु के बाद वाले उपभोक्ताओं को विद्युत प्राप्त नहीं होती है।
(iv) उपभोक्ताओं को केवल एक ही विद्युतीय प्रदाय पर निर्भर रहना पड़ता _ है, जिसके विच्छेदित (cut off) होने पर, उपभोक्ताओं के विद्युत सम्बन्धी कार्य बन्द हो जाते हैं।
(v) मरम्मत एवं अनुरक्षण के समय में भी उपभोक्ताओं को विद्युत प्राप्त नहीं होती है।
(vi) उपरोक्त सभी कारणों से, इस प्रणाली की विश्वसनीयता (reliability) कम होती है। यही कारण है कि, आजकल इस प्रणाली को कम अपनाया जाता है।
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(2) रिंग प्रणाली (Ring System)
यह एक बन्द परिपथ प्रणाली है। इसमें वितरक को एक बन्द परिपथ के रूप में संयोजित किया जाता है, इसलिए इसे वलय प्रणाली कहते हैं। प्रत्येक सर्विस मेन्स के लिए वलय वितरक दो समानान्तर वितरकों की तरह कार्य करता है, इसलिए इस प्रणाली में सर्विस मेनों को दोनों तरफ से सप्लाई प्राप्त होने की सम्भावना रहती हैं, परिणामस्वरूप वितरक की मरम्मत व अनुरक्षण एवं प्रदोष अवस्था में भी उपभोक्ताओं को सप्लाई प्राप्त होती रहती है, इसलिये इस प्रणाली को अधिक विश्वसनीय समझा जाता है।
उपरोक्त अरीय प्रणाली की अपेक्षा वलय प्रणाली के निम्नलिखित लाभ हैं
(i) वलय वितरक, दो समान्तर वितरकों की तरह कार्य करता है। इस प्रकार वैद्युत भार धारा दो भागों में विभाजित हो जाती हैं, परिणामस्वरूप इस प्रणाली में अपेक्षाकृत, कम चालक पदार्थ की आवश्यकता होती है। (ii) प्रत्येक सर्विसमेन्स के लिए, वलय वितरक दो समान्तर वितरकों की तरह कार्य करता है, इसलिए इस प्रणाली की विश्वसनीयता अपेक्षाकृत अधिक है।
(iii) इस प्रणाली में किसी प्रकार का वोल्टता स्पन्दन (voltage fluctuation) नहीं होता है।
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आज आपने क्या सीखा :-
दोस्तों आज आपने सीखा कि रेडियल और रिंगमेन वितरण प्रणाली में अंतर– Difference between Radial and Ringmain Distribution System in hindi, के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो
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