दोस्तों आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे उच्च वोल्टता केबिल की संरचना– High Tension Cable structure in hindi : अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं
उच्च वोल्टता केबिल की संरचना (High Tension Cable)
इस प्रकार की केबिल के अन्तर्गत तीन केबिलें आती हैं, वे निम्न प्रकार हैं
(a) H-प्रकार (H-type)
(b) S.L. प्रकार (S.L.type)
(c) H.S.L. प्रकार (H.S.L.type)
निम्न वोल्टता एवं माध्यम वोल्टता के लिए बेल्टेड (पट्टेदार) केबिल प्रयोग किये जा सकते हैं क्योंकि इस वोल्टता तक परावैद्युत प्रतिबल (Dielectric stress) सीमित होता है परन्तु वोल्टता के बढ़ने पर परावैद्युत प्रतिबल बढ़ने लगता है जिसके फलस्वरूप उच्च और अति उच्च वोल्टता | केबिलों का अभिकल्प (Design) बदलना पड़ता है। उच्च वोल्टता पर । त्रिकला केबिलों में त्रिज्यांक (radial) और स्पर्शज्या (tangential) दोनों प्रकार के प्रतिबल उत्पन्न होते हैं (एक क्रोड बेल्टेड केबिल में केवल त्रिज्यांक प्रतिबल उत्पन्न होता है)। स्पर्शज्या प्रतिबल विद्युत रोधन के साथ-साथ (Along) कार्य करता है जबकि त्रिज्यांक प्रतिबल विद्युत रोधन से लम्बवत् कार्य करता है।
साधारणतया स्पर्शज्या प्रतिबल त्रिज्यांक बल की अपेक्षा लगभग 1/10 होता सामर्थ्य त्रिज्यांक दिया है अतः फलस्वरूपस current) से भिन्न O होता है। इसके साथ ही पेपर का विद्युत प्रतिरोध एवं परावैद्युत यांक दिशा में उसके स्पर्शज्या दिशा की अपेक्षा काफी अधिक होता. लस्वरूप स्पर्शज्या प्रतिबल के कारण धारिता धारा (Capacitive से भिन्न क्षरण धारा प्रवाहित होती है। ये धाराएं केबिल में शक्ति और स्थानिय तापन प्रभाव उत्पन्न करती है। जिससे किसी भी क्षण ल में दोष विकसित हो सकता है। इसके बाद साथ ही स्पर्शज्या प्रतिबल कारण बेल्टेड केबिल के विद्युतरोध में खाली स्थान (voids) और निर्वात पान (Vaccum space) बन जाते हैं। ये रिक्त स्थान को आयनित होकर बिल के विद्युतरोधन को हानि पहुंचाते रहते हैं। अतः बेल्टेड केबिल उच्च वोल्टता के लिए उपयुक्त नहीं है।
उपरोक्त समस्याओं को आच्छादित (screened) केबिलों में अर्थिंग की सहायता से क्षरण धाराओं को भू तार में से भू में प्रवाहित करके समाप्त किया जात है। नीचे विभिन्न प्रकार के H.T. केबिलों का उल्लेख किया गया
(a) H-प्रकार या आच्छादित प्रकार केबिल (H-type Cable)
चित्र 1 में H-प्रकार की केबिल को दिखाया गया है। इसका नाम H-प्रकार की इसके आविष्कारक M.Hochstadter के कारण रखा गया है। इस प्रकार के केबिलों मे कोई बेल्ट इन्सुलेशन प्रकार नहीं किया जाता बल्कि | केबिल के प्रत्येक कोड पर वांच्छित मोटाई तक पेपर लपेटा जाता है और इस पेपर के ऊपर धातुकृत (Metallized), छिद्रमय (Perforated) पेपर की एक तह लगी होती है ताकि संसेचन (Impregnation) की क्रिया सरलता से की जा सके और खाली स्थानों (voids) की सम्भावना न रहे।
इस छिद्रमय धातुकृतं पेपर का प्रसार एंव संकुचन गुणांक भी परावैद्युत (dielectric) के समान ही होता है। इसके पश्चात् तीनों कोड़ों पर सम्मिलित रूप से ताबें क तारों से निर्मित कपड़े का टेप लपेटा जाता है और इसके ऊपर बेल्ट विद्युत रोधन न प्रदान करके सीधे ही लेड शीथ प्रदान की जाती है। लोड शीथ के ऊपर पूर्व वर्णित विधि जैसे बेडिंग (bradding or bedding) आमरिंग और सर्विग की तहें प्रदान की जाती है। सभी धातु आवरण और लेड शीथ को भू तार की सहायता से भू विभव पर रखा जाता है ताकि क्षरण धारा विद्युत रोधन से प्रवाहित न हो और विद्युत रोधन में केवल त्रिज्यांक प्रतिबल ही हों।
इस प्रकार परावैद्युत हानि कम हो जाती है और साथ ही धातुकृत आवरण के कारण ताप विसरण (Heat dissipation) सतह भी बढ़ती है। अतः फलस्वरूप केबिल की धारा वहन क्षमता बढ़ती है और समान धारा वहन क्षमता के लिए H-प्रकार केबिल का आकार छोटा होता है। इस प्रकार के केबिल 66 kV वोल्टता तक के लिए उपयुक्त होता है।
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(b) S.L. प्रकार केबिल (S.L. Type Cables)
S.L. (Separately Lead Sheathed) केबिल की संरचना चित्र 2 में दिखाई गई है। इस प्रकार के केबिल में प्रत्येक क्रोड पर सर्वप्रथम संसेचित कागज का विद्युत रोधन लपेटा जाता है और तत्पश्चात् उनमें से प्रत्येक पर अलग से सीसा कोष (Lead sheath) चढ़ाई जाती है, जिससे प्रत्येक केबिल अलग से प्रतीत होती है। फिर तीनों क्रोडों को एक साथ पूरक पदार्थों (Filler material) से सम्मिलित कर केबिल पर आर्मेरिंग और सर्विग अन्य केबिलों की भांति कर दी जाती है।
इस प्रकार के केबिलों में निम्नलिखित विशेषताएं हाती हैं
(i) केबिल के तीनों कोड़ों पर सम्मिलित रूप से कोई सीसा कोष नहीं लगा होता, जिससे केबिल की बेडिंग करना सम्भव होता है।
(ii) इस प्रकार की केबिल में क्रोड से क्रोड दोष बहुत कम होता है क्योंकि क्रोड परस्पर अच्छी तरह से विद्युतरोधी होते हैं।
(iii) इसमें विद्युत प्रतिबल त्रिज्यांक होता है।
(iv) धातु शीथ के कारण भारित (Loaded) केबिलों में ताप वितरण में सहायता मिलती है, जिससे केबिलों की धारा वहन क्षमता बढ़ती जाती है।
(v) विद्युत प्रतिबल का प्रभाव केवल पेपर परावैद्युत पर ही पड़ता है, जो कि काफी समरूप होता है और फलस्वरूप रिक्त स्थान विद्युत क्षेत्र में नहीं होते।
(vi) इस प्रकार की केबिल 66KV वोल्टता तक प्रयोग की जा सकती है।
(c) H.S.L. प्रकार केबिल (H.S.L. Type Cable)
H.S.L. प्रकार का केबिल चित्र 3 में दिखाया गया है जो कि H प्रकार और S.L. प्रकार के केबिल का संयुक्त रूप है। इसमें प्रत्येक कोड को पेपर से अवरोधी करके उसके ऊपर धातुकृत पेपर कोष और फिर सीसा कोषित कर दिया जाता है। तत्पश्चात् तीनों कोड़ों को सम्मिलित करके पूरक पदार्थ (Filler material) लगाया जाता है। इसके बाद अन्य केबिलों की भांति केबिलों की ब्रेडिंग (bredding) आर्मेरिंग (Armmoring) और सर्विंग (serving) कर दी जाती है।
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आज आपने क्या सीखा :-
दोस्तों आज आपने सीखा कि उच्च वोल्टता केबिल की संरचना– High Tension Cable structure in hindi, उच्च वोल्टता केबिल के प्रकार, Types of High Voltage Cables के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो