नमस्कार पाठको, क्या आप ऊर्जा और पर्यावरण की समस्याएं | Energy Problems in hindi पर पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं? यदि हां तो तो इस लेख में आपको Energy Problems in hindi से संबंधित पूरी जानकारी जानने को मिलेगी।
ऊर्जा समस्याएं (Energy Problems in hindi)
ऊर्जा की आपूर्ति व खपत से उत्पन्न होने वाली समस्याएं निम्न हैं
1. पर्यावरणीय सम्बन्धी समस्याएं (Environmental Problems)
ऊर्जा के उत्पादन, संचरण व वितरण से निम्न समस्याएं सामने आ रही हैं।
(i) ओजोन परत का निःशेषण (Ozone layer depletion)
(ii) ग्लोबल वार्मिंग (Global warming)
(ii) जैव विविधता में कमी (Loss of biodiversity)
(iv) हरित गृह प्रभाव सम्बन्धी समस्या (Green house effect problems)
(i) ओजोन परत का निःशेषण (Ozone Layer Depletion)-ओजोन गैस ऑक्सीजन के तीन अणुओं से मिलकर बनी होती है। इसका रासायनिक सूत्र 0, होता है। समताप मण्डल (stratosphere) में ओजोन की परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी-B किरणों (UV-B) के लिए एक प्रभावी फिल्टर का कार्य करती है।
वायुमण्डल में ओजोन का उत्पादन व क्षय स्वतः होता है।
वैज्ञानिकों की माने तो दक्षिणी ध्रुव पर एक ओजोन छिद्र (ozone hole) बन चुका है।
ओजोन एक ऑक्सीजन के सापेक्ष अस्थिर व क्लोरीन एवं ब्रोमीन पदार्थों से शक्ति क्रियाशील गैस है। CFC (क्लोरो फ्लोरो कार्बन) एक ऐसी गैस है जो समताप मण्डल में एक लाख ), अणुओं को नष्ट करता है। ओजोन परत निःशेषण से पड़ने वाले प्रभाव निम्न हैं
(a) मानव व जानवरों के स्वास्थ्य पर प्रभाव (Effects on Human and Animals Health)-सूर्य की UV किरणों की भेदन की दर बढ़ती जा रही है। जिसका मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है जैसे आंखों की बीमारियां, त्वचा का कैंसर व संक्रमण की बीमारियां आदि।
(b) पौधों पर प्रभाव (Effects on Terrestrial Plants)-जगलों व तृणभूमि में बढ़ती हुई विकिरणों के कारण प्रजातियों के संघटन में बदलाव आ रहा है। जिससे जैव विविधता (diversity) बदल रही है।
(c) जलचर परिस्थिति पर प्रभाव (Effects OnAquatic Ecosystem)अनुवर्तीयों (tropics) व उप-अनुवर्तियों में विकिरणों का उच्च स्तर पादपों के विकास (phytoplanktons) को प्रभावित कर सकता है। यह मछमियों, क्रैब, उभयचर (amphibian) व अन्य जानवरों के प्रारम्भिक उत्पत्ति के चरण को भी क्षति पहुंचा सकता है।
(d) जैव भू-रसायन चक्र पर प्रभाव (Effects on Bio-Geechemical Cycle)-बढ़ती हुई सूर्य की UV किरणें जलचर व भौगोलिक जैव भू-रसायन चक्र को प्रभावित कर सकती है। इससे ग्रीन हाउस गैसों Co2 .co आदि में वृद्धि होती है जो वातावरणीय बदलाव के लिए जिम्मेदार है।
(e) वायु की गुणवत्ता पर प्रभाव (Effects onAir Quality)-पराबैंगनी किरणों की भेदन शक्ति बढ़ने के कारण मानव स्वास्थ्य स्थलीय पौधों और बाहरी पदार्थों पर असर पड़ा है। उच्च श्रेणी की हानिकारक किरणों के दबाव के कारण प्रजातियों के घटकों में परिवर्तन हो रहा है।
(ii) ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)
ग्लोबल वार्मिंग के लिए निम्न कारक उत्तरदायी हैं
(a) पेड़ों की अंधाधुंध कटाई।
(b) वाहनों की संख्या में बढोतरी।
(c) स्थलीय व जलीय पृष्ठों का अत्यधिक खिसकना।
(d) ऊर्जा उत्पादक स्त्रोतों से ताप, धूल के कण व विभिन्न गैसों का वायुमण्डल में उत्सर्जित होना।
(e) अम्लीय वर्षा, सुनामी भूस्खलन, बाढ़, भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदाओं का घटना।
(f) जीवाश्म ईंधनों का व्यापारिक स्तर पर अत्यधिक दोहन ग्लोबल वार्मिंग से होने वाली सम्भावित समस्याएं हैं
- भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि (Rise in global temperature)
- समुद्री स्तरों में वृद्धि (Rise in sea level)
- भोजन की कमी (Food shortage and hunger)
(iii) जैव विविधता में कमी (Loss of Bio-diversity)- जैव विविधता से तात्पर्य पृथ्वी पर जीवन (life) की परिवर्तिता (variety) व इसकी जैव वैज्ञानिक विविधता से ही है। औद्योगिक देश जैव विविधता में कमी लाने के लिए सबसे बड़े उत्तरदायी हैं। लोग भोजन, ईंधन आदि की प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रजातियों का विनाश कर रहे हैं। हरे-भरे जंगलों को काटा जा रहा है। उद्योगों के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जानवरों का शिकार किया जा रहा है। फसलों, दवाइयों व रसायनों के उत्पादन हेतु पौधों व जीव-जन्तुओं का विनाश कर रहे हैं।
(iv) हरित गृह समस्याएं (Green House Problems)-कम तापमान में पौधों के विकास हेतु कांच की दीवारों व छतों का पौधा-घर ग्रीन हाउस कहलाता है। इससे पौधों के विकास हेतु उचित वातावरण मिलता है। क्योंकि यहां का ताप बाहरी ताप से अधिक रहता है। सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष पहुंच कर भीतरी गैसों को गर्म कर देती है। कांच का अवरोधक भीतरी गैसों को बाहर नहीं निकलने देता है। गैसों के निरंतर गर्म होने से भीतरी ताप बाहरी ताप से अधिक हो जाता है जिसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।
पृथ्वी तथा इसके आसपास का वातावरण ग्रीन हाउस की भांति व्यवहार करता है। ओजोन परत पृथ्वी की सूर्य की हानि कारक UV किरणों से रक्षा करती है वायु प्रशीतनों (AC) तथा रेफ्रिजरेटरों में प्रयुक्त होने वाली CFC गैस ओजोन परत को क्षति पहुंचाती है। अनुमान लगाया जाता है कि गैसों का इसी प्रकार उत्सर्जन होने से वर्ष 2030 तक ग्लोबल मौसम के तापमान में 1°C की वृद्धि हो जाएगी। जिससे कहीं सूखा तो कहीं बाढ़, कहीं तूफान आदि की समस्याएं उत्पन्न होने लगेंगी। जीवाश्म ईंधनों के दहन से अत्यधिक CO, उत्सर्जित होती है। इससे ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि होती है।
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2. अन्तरर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को खतरा
Ozone layer depletion ऊर्जा आपूर्ति अन्तरर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के समक्ष दो मुख्य संकट खड़े करती है
कच्चे तेल के स्त्रोतों पर प्रतिबंध सम्बन्धी विवाद । विश्व का 65% भाग -पूर्व में कच्चे तेल का स्त्रोत है। यदि मध्य- -पूर्व भाग द्वारा तेल की आपूर्ति को बंद कर दिया जाए तो एक बहुत बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। परमाणु शक्ति व परमाणु हथियार दूसरा बड़ा संकट है। यदि किसी देश के पास परमाणु ऊर्जा है तो परमाणु हथियारों के निर्माण की क्षमता भी विकसित होती है। अतः परमाणु ऊर्जा का विकास भी परमाणु हथियार क्षमता में वृद्धि कर अन्तरर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को विकृत कर सकता है।
3. ऊर्जा का खपत एवं विकास (Energy Consumption and Development)-आज विकासशील देशों की सबसे बड़ी चुनौती इस बढ़ती हुई आबादी में सभी को ऊर्जा उपलब्ध कराना है। ये देश पर्यावरण व ग्लोबल मौसमी परिवर्तन के प्रति सतर्क हैं लेकिन इन देशों की प्राथमिकता आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ होने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उपलब्ध करवाना है।
ऊर्जा स्त्रोतों के विकास हेतु अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। जो विदेशों से तेल आयात करने में व्यय हो जाती है। अतः विकासशील देशों की अधिकांश पूंजी तेल के आयात में व्यय हो जाती है। इससे विकासशील देशों में पावर सेक्टर में अधिक निवेश नहीं हो पाता है तथा शक्ति से सम्बन्धित समस्या ज्यों की त्यों रहती है|
आज आपने क्या सीखा :-
दोस्तों आज आपने सीखा कि ऊर्जा और पर्यावरण की समस्याएं | Environment and Energy Problems in hindi. इसके अलावा भी आपने जाना की ऊर्जा समस्याएं और पर्यावरण समस्याए क्या क्या है? (Energy Problems in hindi). के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो