प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली

दोस्तों आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे की प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली (Construction and Working of Non-directional Induction Type Overcurrent Relay in hindi) प्रेरण प्रकार रिले का कार्य सिद्धान्त (Working Principle of Induction Type Relay in hindi) प्रेरण प्रारूपी रिले की संरचना (Structure of Induction Type Relay in hindi): अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं 

प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली

Construction and Working of Non-directional Induction Type Overcurrent Relay in hindi- इस रिले को अर्थलीकेज इन्डक्शन टाईप रिले भी कहा जाता है। आवेरकरंट रिले उस समय परिचालन या ऑपरेट होता है जब सर्किट में करंट एक निश्चित प्रीसेट वेल्यू से अधिक हो जाता हो। इन्डक्शन टाईप नानडायरेक्शनल ओवरकरन्ट रिले का निर्माण वॉटहावर मीटर के समान ही कुछ संशोधनों के साथ किया जा सकता है।

     
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प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली

चित्र में नॉन डायरेक्शनल इन्डक्शन टाइप ओवर करंट रिले के निर्माण ब्यौरे को दर्शाया गया है।

यह दो विद्युतीय चुम्बक से बनता है। इसका उपरी सिरा अंग्रेजी के अक्षर ‘E’ आकार का होता है जबकि निचला सिरा अग्रेजी अक्षर ‘U’ के आकार का होता है। दो चुम्बक के मध्य एल्यूमिनियम डिस्क फ्री घुमती है। डिस्क का स्पीन्डल मूव्हिंग कान्टेक्ट्स को ले जाता है। और जब डिस्क घुमती है तब मूव्हिंग कान्टेक्ट्स फिक्स कान्टेक्ट्स के संपर्क में आते हैं जो कि एक ट्रीप सर्किट के टर्मीनल्स होते हैं।

ऊपरी चुम्बक में दो वाइंडिंग्स-प्राइमरी व सेकेन्डरी होती हैं। प्राइमरी वाइंडिंग्स, लाईन के सी.टी. के सेकन्डरी से जुड़ी होती है जिसे सुरक्षित किया जाना होता है इस वाइंडिंग्स को अंतराल पर टेप किया जाता है। 

इस टेपिंग को प्लग सेटिंग ब्रिज से जोड़ा या कनेक्ट किया जाता है। इस ब्रिज की सहायता से प्राइमरी वाइंडिंग के टर्नस् की संख्या को एडजस्ट किया जाता है। इस प्रकार रिले के लिए आवश्यक करन्ट सेंटिग को प्राप्त किया जाता है। सामान्यतः टेपिंग के 7 सेक्शन होते हैं जो 25 प्रतिशत के चरण में 50 प्रतिशत से 200 प्रतिशत की ओवरकरंट रेंज में होते हैं। ये वेल्यूज रिले की करंट रेटिंग के प्रतिशत होते हैं। इस प्रकार एक रिले करंट रेटिंग 10A होगी अर्थात् यह 10A की सेकन्डरी करंट रेटिंग के साथ सी.टी. से कनेक्ट होगी।

परन्तु रिले की 50 प्रतिशत सेटिंग 5A पर ही ऑपरेशन को स्टार्ट किया जा सकेगा। इसलिए करन्ट सेटिंग के एडजस्टमेंट के लिए ब्रिज साकेट के स्प्रिंग लोड जॉ के बीच एक पिन को लगाया जाता है इसके लिए एक उचित टेप वेल्यू की आवश्यकता होगी। जब एक पिन को सेटिंग में परिवर्तन के लिए हटाया जाए, जबकि रिले कार्य कर रहा हो तब रिले स्वतः ही उच्च करंट सेटिंग को अपना लेगा। इस प्रकार सी.टी. का सेकन्डरी ओपन सर्किट नहीं होगा। इस प्रकार रिले उस समय भी परिचालन करता रहेगा जब सेटिंग की प्रक्रिया में बदलाव करने के दौरान फाल्ट उत्पन्न हो रहा हो।

ऊपरी चुम्बक के सेन्ट्रल लिम्ब पर सेकेन्डरी वाइंडिंग निचले चुम्बक पर वाइंडिंग के साथ सीरिज से जुड़ी होती है। यह वाइंडिंग प्राइमरी से इन्डक्शन के द्वारा ऊर्जा प्राप्त करती है। सेकन्डरी वाइंडिंग की व्यवस्था के द्वारा उपरी व निचले चुम्बक के लीकेज फ्लेक्सेस उस स्पेस या स्थान और समय में पर्याप्त रूप से प्रतिस्थापित होगें जिसरो एल्यूमिनियम डिस्क पर घूर्णन टार्क उत्पन्न हुआ है। स्पाईरल स्प्रिंग के द्वारा कन्ट्रोल टार्क प्राप्त किया जाता है।

करंट उसके प्रीसेट वेल्यू से अधिक होने पर स्पीन्डल पर  कान्टेक्ट्स व डिस्क घूर्णन करती है ताकि ट्रिप सर्किट टर्मीनल्स के साथ कनेक्शन हो सके। डिस्क के घूर्णन करने का एंगल 0 से 360 डिग्री के बीच होता है। मूव्हिंग कान्टेक्ट्स के ट्रेवल को डिस्क के घूर्णन के कोण को एडजस्ट कर समायोजित किया जाता है। इससे रिले, वांछित टाईम सेटिंग को बतलाता है जिसे एक टाईम सेटिंग डायल पर पाईटर से इंगित किया जाता है। डायल का व्यास 0 से 1 के बीच होता है। यह डायरेक्ट ऑपरेटिंग टाईम नहीं होता है परन्तु यह मल्टीप्लायर या गुणन देता है जिसका प्रयोग रिले के वास्तविक ऑपरेटिंग टाईम को प्राप्त करने के लिए टाईम प्लग सेटिंग मल्टीप्लायर के साथ प्रयोग में लाया जाता है। टाईम प्लग सेटिंग मल्टीप्लायर कर्व को उत्पादक द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।

प्रेरण प्रकार रिले का कार्य सिद्धान्त- Working Principle of Induction Type Relay in hindi

प्रेरण प्रकार रिले का कार्य सिद्धान्त भी प्रेरण प्रकार मापना उपयन्त्रों (अमीटर, वोल्टमीटर, वाटमीटर या ऊर्जामापी आदि) के समान है। रिले में विक्षेपक बलाघूर्ण एल्यूमीनियम या तांबे की चकती में उत्पन्न भंवर धाराओं और प्रत्यावर्ती धारा चुम्बकों के फलक्सों में परस्पर प्रतिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होता है।

जब ये फलक्स को काटते है तो चकती में विद्युत वाहक बल प्रेरित होते है। ये प्रेरित वि.वा.ब. चकती में भंवर धाराएं प्रेरित करते है|

प्रेरण प्रारूपी रिले की संरचना- Structure of Induction Type Relay in hindi

इस प्रकार के रिले में दो वैद्युत चुम्बक होती हैं जिनमें ऊपर वाले वैद्युत चुम्बक में दो वाइन्डिंग होती हैं। जिसमें एक प्राथमिक वाइन्डिंग होती है और धारा परिणामित्र की द्वितीयक से जुड़ी होती है और इस पर टेपिंग होती है। 

induction non-directional relay

ये टेपिंग प्लग सेटिंग ब्रिज से जुड़ी होती है और प्रायः इसे इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि धारा के लिए प्लग सेटिंग, धारा के प्रतिशत मानों के लिए calibrate किया जा सके तथा सेटिंग डायल 0 से 1 तक के लिए केलिब्रेटेड होता है।

अतिधारा संरक्षा के लिए धारा रेटिंग 50% से 200% तक होती है। जबकि भू-दोष संरक्षा के लिए धारा की परास 10% से 70% तक होती है। प्लग की सहायता से कोई भी वांछित टेपिंग प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार इस व्यवस्था की सहायता से धारा परिणामित्र की द्वितीयक वाइन्डिंग कभी भी खुली नहीं रहती और इस प्रकार रिले में धारा परिणामित्र भी संरक्षित रहता है तथा साथ ही रिले संरक्षण में सेटिंग परिवर्तित करते समय उच्च सेटिंग पर होती है। नीचे चित्र में प्रेरण रूपी अतिधारा रिले दर्शायी गई है।

इसमें द्वितीयक वाइन्डिंग लघु पथित होती है और प्राथमिक वाइन्डिंग से प्रेरण द्वारा ऊर्जित (energized) होती है। प्राथमिक व द्वितीयक दोनों वाइन्डिंग के फ्लक्स तथा फेज व स्पेस दोनों में विस्थापन होता है और प्रेरित eddy धारा से प्रतिक्रियास्वरूप AC डिस्क पर deflecting torque लगाते हैं।

इस रिले में धारा का मान बढ़ने पर डिस्क का आघूर्ण बढ़ता है और प्रचालन समय कम होता है। इसलिए इसकी प्रकृति समय के साथ व्युत्क्रम होती है। इस प्रकार के रिले को अतिधारा रिले भी कहते हैं।

आज आपने क्या सीखा :-

दोस्तों आज आपने सीखा कि प्रेरण प्रारूपी रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली- What is strucure and working of  Induction Type Realy in hindi. इसके अलावा भी आपने जाना की प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली (Construction and Working of Non-directional Induction Type Overcurrent Relay in hindi) प्रेरण प्रकार रिले का कार्य सिद्धान्त (Working Principle of Induction Type Relay in hindi) प्रेरण प्रारूपी रिले की संरचना (Structure of Induction Type Relay in hindi). के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो

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