हेलो दोस्तों, आज में आपको बताने वाला हूं कि विधुत संकर्षण प्रणाली के लाभ – advantages of electric traction system in hindi:अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए
विधुत संकर्षण प्रणाली के लाभ (advantages of electric traction system)
(i) उच्च प्रारम्भन बलाघूर्ण (High Starting Torque)-रेलगाड़ी को त्वरित करने के लिए तथा पटरी के द्वारा लगाए गए घर्षण एवं गुरूत्व बल को पार करने के लिए प्रारम्भिक बलाघूर्ण उच्च होना चाहिए। गाड़ी की गति बढ़ने के साथ-साथ बलाघूर्ण अपने आप कम होता चला जाता है। इसलिए बाद में कम बलाघूर्ण की आवश्यकता होती है।
(ii) गति-बलाघूर्ण अभिलक्षण (Speed-Torque Characteristic)-रेलगाड़ी में यदि पृथक्-पृथक् चालन धुरियों (axles) पर दो पृथक मोटर लगी हुई हैं तब उनकी सापेक्ष गति धुरियों की गति पर निर्भर करती है, परन्तु सभी पहिए (wheels) एक समान नहीं घिसते, जिससे मोटर की गति तथा पहियों की परिधि गतियों में अंतर आ जाता है। लेकिन सभी पहियों की परिधि गतियां समान नहीं मानी जा सकती है, अन्यथा स्लिप के शून्य होने की दशा में सभी चालन पहियों की परिधि गति एक समान हो जाएगी। आपस में सम्बन्धित दो पहियों की परिधि गतियों के अंतर को स्लिप कहते हैं।
माना कि चित्र के अनुसार मोटरों की गतियां N1 तथा N2 है। यदि मोटर के अभिलक्षण शंट अभिलक्षण है तब N1 गति घूमने वाली मोटर का बलाघूर्ण T1, N2 गति से घूमने वाले मोटर के बलाघूर्ण T2 का लगभग आधा होगा, जैसा कि चित्र से स्पष्ट है, लेकिन ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए दोनों ही मोटरों पर समान यांत्रिक भार पड़ना चाहिए अतः शंट अभिलक्षण वाली मोटर संकर्षण कार्य के लिए उपयुक्त नहीं होती है। इसके दूसरे पक्ष में श्रेणी अभिलक्षण की मोटर की गति में अंतर के कारण उसके द्वारा उत्पन्न बलाघूर्ण (T1′ एवं T2′) पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है, जैसा कि चित्र से स्पष्ट है।
(iii). सरल गति नियंत्रण Simple Speed Control)-चूंकि विद्युत गाड़ी (electric train) को बार-बार रूकना पड़ता है, अतः संकर्षण मोटर इस प्रकार की होनी चाहिए कि उसकी गति नियंत्रण सरल विधि द्वारा की जा सके।
(iv) विद्युत ब्रेकिंग क्षमता (Electric Braking Ability)-संकर्षण मोटर का चयन करते समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि पुनर्जनन तथा रीओस्टेटिक ब्रेकिंग का सरलता से प्रयोग किया जा सके।
(v) सप्लाई वोल्टता में तीव्र उतार-चढ़ाव को सहने की क्षमता (Ability to Tolerate Fluctuation in Supply Voltage)-संकर्षण मोटर की प्रारम्भिक धारा (starting current) का मान उच्च होता है अतः सप्लाई वोल्टता में उतार-चढ़ाव (fluctuation) होना स्वभाविक ही है इसलिए संकर्षण मोटर में वोल्टता में इस उतार-चढ़ाव को सहन करने की क्षमता होनी चाहिए।
(vi) सप्लाई में अस्थाई बाधा को सहने की क्षमता (Ability to Tolerate Unstable Barriers in Supply)-संकर्षण की विद्युत वितरण प्रणाली में खण्ड विद्युत रोधकों तथा क्रॉस ओवरों (section insulator and cross-overs) को पार करते समय मोटर से सप्लाई-वोल्टता का क्षणिक विच्छेदन (separation) हो सकता है, अतः संकर्षण मोटर में इस अस्थाई बाधा को सहने की क्षमता होनी चाहिए।
(vii) समान्तर प्रचालन (Paralleloperation)-विद्युत संकर्षण ट्रेन में बहुधा एक से अधिक मोटरें प्रयोग की जाती है इसलिए संकर्षण मोटरों का गति-बलाघूर्ण एवं धारा-बलाघूर्ण अभिलक्षण इस प्रकार का होना चाहिए कि जब इन्हें यांत्रिक रूप से युग्मित करके समान्तर में प्रचालित किया जाए तब वे आपस में समान रूप से यांत्रिक भार (load) बांट सके। प्रति विद्युत कार में दो अथवा चार मोटरें समान्तर में प्रचालित की जाती है|
(viii) अतिभार क्षमता (Overload Ability)-क्योंकि विद्युत संकर्षण गाड़ियों (trains) में किसी भी समय अतिभार की स्थिति (over loaded condition) आ सकती है, इसलिए इनमें प्रयोग की जाने वाली मोटर की अतिभार क्षमता उच्च होनी चाहिए।
अब आप जान गए होंगे कि विधुत संकर्षण प्रणाली के लाभ – advantages of electric traction system in hindi|