ट्रांसफार्मर में हानियाँ क्या है? कितने प्रकार की होती है?

आज इस आर्टिकल में हम LOSSES IN TRANSFORMER | ट्रांसफार्मर में हानियाँ क्या है कितने प्रकार की होती है? के बारे में विस्तृत से जानेंगे| अगर आप भी जानना चाहते हो तो इस पोस्ट को पूरा पढ़िए|

ट्रांसफार्मर में हानियाँ क्या है कितने प्रकार की होती है

ट्रांसफार्मर में, स्थैतिक उपकरण होने के कारण वायु एवं घर्षण (windage and friction) हानियां नहीं होती हैं।ट्रांसफार्मर में हानियां दो प्रकार की होती है| इसमें केवल (i) ताम्र और (ii) लौह हानियां ही होती हैं।

(i) ताम्र हानियां-

ये कुण्डलन के प्रतिरोध एवं उनमें प्रवाहित होने वाली धारा के कारण होती है।

losses in transformer

धारा i का मान ट्रांसफार्मर द्वारा प्रदान किए गए भार पर निर्भर करता है। यदि भार आधा है तो ताम्र हानियां 1/4 गुणा हो जाएगी और यदि भार दुगना हो तो ताम्र हानियां 4 गुणा हो जाएगी। कुण्डलनों का प्रतिरोध ताम्र चालक की लम्बाई के समानुपाती और अनुप्रस्थ क्षेत्र के प्रतिलोमानुपाती होता है इसलिए उच्च वोल्टता कुण्डलन का प्रतिरोध निम्न वोल्टता कुण्डलन की अपेक्षा अधिक होता है। चूंकि कुण्डलन का प्रतिरोध ताप बढ़ने से बढ़ता है इसलिए कुण्डलन का प्रतिरोध सदैव परिणामित्र की गर्म स्थिति में ज्ञात करना चाहिए।

(ii) लौह हानियां-

लौह हानियों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-

(a) हिस्टेरेसिस हानियां (b) भंवर धारा (Eddy current) हानियां

(a) हिस्टेरेसिस हानियां-

चुम्बकीय फ्लक्स के प्रत्यावर्तन से क्रोड पटलों के अणु पहले एक दिशा में और फिर दूसरी दिशा में चुम्बकित होते हैं जिससे आदान ऊर्जा का कुछ भाग व्यय होता है। यह ऊर्जा अणुओं के घर्षण के कारण ताप के रूप में प्रकट होती है जो कि क्रोड को गर्म करती है। हिस्टेरेसिस हानियां प्रदाय आवृत f1 अधिकतम फ्लक्स घनत्व Bmax और क्रोड में प्रयोग किए गए धातु के गुण पर निर्भर करती हैं।

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यहां ???? एक स्थिरांक है जो कि चुम्बकीय धातु के गुण पर निर्भर करता है। हिस्टेरेसिस हानियों को कम करने के लिए ???? के कम मान वाला इस्पात का क्रोड बनाना चाहिए। ???? का मान सिलकिन इस्पात के लिए काफी कम अर्थात् 191 होता है और इसलिए परिणामित्र में सिलकिन इस्पात का क्रोड प्रयोग किया जाता है। हिस्टेरेसिस हानियां (B1.6 max) के समानुपाती एक निश्चित प्रकार के लिए है परंतु व्यावहारिक रूप मे लोहे के गुण के अनुसार (B max) पर घात 3.5 तक भी प्राप्त की गई है इसलिए हिस्टेरेसिस हानि को व्यंजक W????=????(B max)x fv वाट में प्रदर्शित करना अधिक उपयुक्त है। क्रोड में प्रयोग किए गए लोहे के गुण के अनुसार x का मान 1.5 से 2.5 के बीच आता है।

(b) भंवर धारा हानियां-

प्रत्यावर्ती फ्लक्स के कारण परिणामित्र क्रोड तथा अन्य धात्विक भागों में जैसे-अन्त क्लैम्प, बोल्ट आदि में कुण्डलन की भांति विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है, यद्यपि इस विद्युत वाहक बल का मान बहुत कम होता है तथापि क्रोड़ पटलों के कम प्रतिरोध के कारण बहुत उच्च भंवर धाराएं प्रेरित होती हैं। ये धाराएं क्रोड में कई बंद लघु परिपथ बनाती हैं जिससे ऊर्जा क्षय होती है और फलस्वरूप क्रोड गर्म हो जाता है।

भंवर धारा हानियों को कम करने के लिए क्रोड को पटलित बनाया जाता है और पटलों को परस्पर विलगन (insulate) करने के लिए उन पर वार्निश या ऑक्साइड परत चढ़ा देते हैं। भंवर धारा हानियां क्रोड पटलों की मोटाई t, प्रदाय आवृति f, अधिकतम फ्लक्स घनत्व B max , क्रोड के आयतन V पर निर्भर करती है। इन्हें निम्न सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है|
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