क्या आप ट्रांसले रक्षण पद्धति क्या है | What is Translay Protection Scheme in hindi के बारे में जानना चाहते है? यदि हां तो मै इस पोस्ट में फीडरों के रक्षण हेतु ट्रांसले रक्षण पद्धति क्या है?, के बारे में विस्तृत जानकरी शेयर कर रहा हूँ.
ट्रांसले रक्षण पद्धति क्या है? (What is Translay Protection Scheme in hindi)
यह मर्ज प्राइस विभव तंत्र का ही विकसित रूप है और इसका कार्य सिद्धांत यह है कि किसी क्षण एक सिरे पर प्रवेश करने वाली धारा दूसरे सिरे पर निकलने वाली धारा के समान होती है। यह तंत्र भू-दोष तथा कला दोष दोनों की संरक्षा के लिए प्रयुक्त होता है और यह एक कलीय, त्रिकलीय फीडर, T/F फीडर, Tee-off फीडर तथा समानान्तर फीडर के लिए प्रयोग की जा सकती है
चित्रानुसार 1ϕ फीडर की संरक्षा के लिए साधारण ट्रांसले संरक्षा तंत्र चित्र 1 में दर्शाया गया है। जब फीडर फॉल्ट रहित होता है तो लाइन के दोनों सिरों पर लगे CTs,1 व 1′ की द्वितीयक में समान धारा प्रवाहित होती है और उनसे संपर्कित वाइन्डिंग 2 तथा 2′ में समान emf प्रेरित होता है।
Coils 2 व 2′ क्रमशः 4 व 4′ के श्रेणी में परंतु परस्पर पायलट तार द्वारा विपरीत रूप से कनेक्ट होती हैं। दोष उत्पन्न होने पर एक सिरे पर लगे CT में प्रेरित emf दूसरे सिरे पर लगे धारा परिणामित्र की अपेक्षा अधिक होगा जिससे कुछ धारा प्रचालन coil 4 व 4′ तथा पायलट तार में प्रवाहित होगी और जब यह घूर्णन धारा निश्चित मान से बढ़ती है तो रिले, ट्रिपिंग परिपथ को बंद करके फीडर को सप्लाई से असंपर्कित कर देती है।
चित्र 2 में एक ट्रांसले रिले 3ϕ फीडर के लिए प्रयोग करके दर्शाई गई है। इसमें ऊपरी चुम्बकीय परिपथ में तीन वाइन्डिंग हैं। जिसमें दो प्राथमिक व एक द्वितीयक होती हैं। ऊपरी छोटी प्राथमिक वाइन्डिंग फेज फॉल्ट वाइन्डिंग होती है और इसे R व B धारा परिणामित्र से जोड़ा जाता है। इसी वाइन्डिंग के मध्य बिन्दु को y फेज के धारा परिणामित्र से जोड़ा जाता है। नीचे वाली बड़ी प्राथमिक वाइन्डिंग, लीकेज वाइन्डिंग की तरह कार्य करती है और इसे B फेज के धारा परिणामित्र व CTs के उदासीन बिन्दु जोड़ा जाता है। ऊपरी चुम्बक पर लगी द्वितीयक वाइन्डिंग मर्ज-प्राइस तंत्र की भांति विपरीत विभव T/F की तरह कार्य करती है और दूसरे सिरे पर लगे चुम्बक पर समान वाइन्डिंग के साथ दो पायलट तार के साथ विरोधी रूप में जुड़ी होती है। नीचे वाले चुम्बक पर लगी वाइन्डिंग पायलट तार के साथ श्रेणी में जुड़ी होती है।
सामान्य स्थितियों में पायलट तार में से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती क्योंकि विपरीत विभव समान होते हैं। परंतु फॉल्ट उत्पन्न होने पर वाइन्डिंग में प्रेरित विभव भिन्न हो जाता है जिससे रिले के नीचे के अवयव और पायलट तार में धारा घूमने लगती है और ऊपरी व निचले चुम्बक में उत्पन्न फ्लक्स की अभिक्रियास्वरूप डिस्क पर आघूर्ण लगता है। यह डिस्क आघूर्ण के साथ घूमकर ट्रिप परिपथ को बंद करके परिपथ को तोड़ देती है।
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