हेलो दोस्तों, आज में आपको बताने वाला हूं कि स्पॉट वेल्डिंग क्या है? (What is spot welding), स्पॉट वेल्डिंग के लाभ (Advantages of Spotwelding hindi), स्पॉट वेल्डिंग के उपयोग (Uses of Spot welding hindi) :अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं
स्पॉट वेल्डिंग (Spot welding) क्या है?
बिन्दु वेल्डिंग (Spot welding)-इस प्रकार की वेल्डिंग में दो मुकीले इलेक्ट्रोड के बीच दो या दो से अधिक धातु के टुकड़ों को शिकंजे में कसते हैं। नुकीली इलेक्ट्रोड को एक लाइन में रखकर धारा प्रवाहित की जाती है ।
प्रायः पतली धातु की चद्दरों में चढ़ाव जोड़ (Lap joint) लगाने के लिए प्रयोग की जाती है। यह प्रतिरोध वेल्डिंग का एक भाग हैं इसे प्रतिरोध बिन्दु वेल्डिंग भी कहा जाता है। इसमें एक अपचायी (Step down) ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग किया जाता है। इसमें धारा प्रवाह को नुकीले इलेक्ट्रोड से वेल्डिंरा स्थल पर केन्द्रित कर निर्धारित जोड़ (Localized fusion) उत्पन्न किया जाता है। यह निर्धारित जोड़ इलेक्ट्रोड दाब के द्वारा ठंडा होने पर बिन्दु जोड़ बन जाता है। यह यांत्रिक रूप से सुदृढ़, परन्तु जल तथा वायु रोधित नहीं होती है। टाइमर नियंत्रण के द्वारा भिन्न-भिन्न मोटाई के कार्य खण्डों के अनुसार समय परिवर्तित किया जाता है।
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इलेक्ट्रोडों को चिपकने से बचाने के लिए इलेक्ट्रोडों तथा कार्यखण्ड के बीच में जंक्शन सिरे (faces) को हीटिंग से दूर रखा जाता है। इसके लिए निम्न उपाय किए जाते हैं
(i) वाटर कूल्ड इलेक्ट्रोड़ों का उपयोग
(ii) उच्च विद्युत तथा थर्मल चालकता वाले पदार्थों के इलेक्ट्रोडों का प्रयोग।
इलेक्ट्रोड के टिप को टूट-फूट से बचाने के लिए इलेक्ट्रोडों को उच्च मैकेनिकल क्षमता वाले पदार्थों से बनाया जाता है। धारा, दाब तथा वेल्डिंग समय के सही संयोजन से दक्ष वेल्डिंग स्पॉट बनाए जाते हैं। उत्पन्न ऊष्मा वेल्डिंग समय तथा धारा के वर्ग (Square) मान के गुणों के समानुपाती होती है।
वेल्डिंग करने के लिए ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक वोल्टेज का मान लगभग 10 से 12 वोल्ट होता है और धारा का मान लगभग 1000 A से 10000 A तक हो सकता है। वेल्ड करने से पहले जॉब की सतह को अच्छी तरह से साफ करना जरूरी होता है। अर्थात् जिस स्थान पर वेल्ड करना है उसे अच्छे से साफ कर लेना चाहिए। जंग लगे स्थान पर कमजोर वेल्ड होता है। जिन चद्दरों को जोड़ा जाता है उन चद्दरों की मोटाई लगभग 10 mm से 12 mm होती हैं। यदि सीटों पर उचित इलेक्ट्रोड दाब न हो तो सम्पर्क प्रतिरोध उच्च हो सकता है और वेल्डिंग स्पॉट आर्क भी उत्पन्न कर सकती है तथा 10 mm से 12 mm की चद्दरों के लिए 1/50 सैकण्ड का समय उपयुक्त रहता है।
स्पॉट वेल्डिंग के लाभ (Advantages of Spotwelding)
- स्पॉट वेल्डिंग द्वारा उच्च गति की वेल्डिंग की जाती है।
- इनके द्वारा वेल्डिंग प्रक्रम की लागत कम होती है।
- इस वेल्डिंग को कम कौशल वाला व्यक्ति भी कर सकता है।
- इस वेल्डिंग में उच्च समरूपता होती है।
- इसके द्वारा विकृति उत्पन्न नहीं होती है।
- स्पॉट वेल्डिंग को स्वचालित रूप से भी किया जा सकता है।
स्पॉट वेल्डिंग के उपयोग (Uses of Spot welding)
स्पॉट वेल्डिंग का प्रयोग प्रायः रिवेटिंग (Riveting) के स्थान पर धातु चद्दरों में चढ़ाव जोड़ (Lap Joint) बनाने में किया जाता है। यह जोड़ | वायुरोधक तथा जल सह (Waterproof) नहीं होते हैं, ये केवल यान्त्रिक सामर्थ्य प्रदान करते हैं। अतः इस वेल्डिंग का अधिकतर प्रयोग ट्रक, ट्रैक्टर, बस, कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल आदि की बॉडी के निर्माण में किया जाता है ।
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अब आप जान गए होंगे कि स्पॉट वेल्डिंग क्या है? (What is spot welding), स्पॉट वेल्डिंग के लाभ (Advantages of Spotwelding hindi), स्पॉट वेल्डिंग के उपयोग (Uses of Spot welding hindi)|