झोल (Sag) और स्पान क्या है? – What is Sag in hindi

दोस्तों आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे की What is The Sag and Span in Transmission Lines, झोल (Sag) और स्पान क्या है? – What is Sag in hindi, स्पान (Span) क्या है?- what is Span : अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं  

झोल (Sag) क्या है- What is Sag in hindi

एक नम्य चालक को यदि दो खम्भों के बीच खींचक स्वाभाविक रूप से लटका दिया जाए तो वह चालक के मध्य में एक वक्र के रूप में झूलने लगेगा। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। यदि दोनों खम्भ के ऊपरी सिरों को एक काल्पनिक रेखा द्वारा मिलाया जाए तब इस काल्पनिक रेखा तथा वक्र रेखा के मध्य में चालक के निम्नतम बिन्दु के बीच का अंतर झोल (sag) कहलाता है। इसको कभी-कभी डिप (DIP) भी कहते हैं।

What is Sag in hindi 

लाइन चालकों में झोल (Sag) निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होता है

  1. खम्भों के बीच की दूरी
  2. तार के प्रति एकांक लम्बाई का भार
  3. तार पर दिया गया तनाव
  4. तार पर हवा के वेग का दबाव
  5. तार पर ताप का प्रभाव
  6. यदि चालक पर बर्फ जम जाए तब बर्फ का भार ।

स्पान (Span) क्या है?- what is Span 

शिरोपरि लाइन के किन्हीं दो निकटवर्ती आलम्बों के बीच की दुरी को स्पान कहते हैं। चित्र द्वारा शिरोपरि लाइन में झोल व स्पान को दर्शाया गया है।

स्पान का झोल पर प्रभाव (Effect of Span on Sag) 

शिरोपरि संचरण लाइन में झोल विस्तृत के वर्ग समानुपाती होता है। अर्थात् विस्तृत बढ़ाने पर झोल बढ़ जाता है तथा विस्तृत के घटने पर झोल घट जाता है। अतः शिरोपरि लाइन में विस्तृत बढ़ाने पर अनेक लाभ व हानियां है। जो की निम्नानुसार हैं

स्पान के लाभ (Advantages) 

(i) आधारों के मध्य विस्तृत बढ़ने से एक संचरण लाइन में प्रयुक्त खम्बों (poles) की संख्या में कमी आएगी जिससे लागत मूल्य में कमी आएगी। 

(ii) यदि संचरण लाइन में कम मात्रा में खम्भे (pole) होंगे तो उनका रख-रखाव आसान व सस्ता हो जाएगा। 

(iii) दो आधारों के मध्य विस्तृत को बढ़ा कर कॉर्स आर्म को कम किया जा सकता है। 

(iv) विस्तृत में वृद्धि करके चालक के मध्य के अन्तर में वृद्धि की जा सकती है। जिससे प्रेरकत्व में कमी आती है। 

(v) विस्तृत में वृद्धि करने से प्रयुक्त चालक के व्यास (diameter) में वृद्धि होती है। जिससे कोरोना प्रभाव सीमित मात्रा में होता है। 

 

स्पान की हानियां (Disadvantages). 

(i) चूंकि झोल विस्तृत के वर्ग के समानुपाती होता है। अतः विस्तृत में वृद्धि होने पर झोल में भी वृद्धि होती है। 

(ii) विस्तृत में वृद्धि करने से झोल बढ़ता है। अतः इस झोल को कम करने के लिए टावर की ऊंचाई बढ़ानी पड़ती है। जिससे संचरण लाइन की लागत में वृद्धि होती है।

दोस्तों आज आपने सीखा कि झोल (Sag) और स्पान क्या है? – What is Sag in hindi, स्पान (Span) क्या है?- what is Span, स्पान के लाभ (Advantages), स्पान की हानियां (Disadvantages), के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो

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