आज इस आर्टिकल में आप फिल्टर सर्किट क्या है? (what is filter circuit), फिल्टर परिपथ की उपयोगिता (utility of filter circuit in hindi) के बारे में जानेंगे, इस विषय में आपको बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी मिलने वाली है|
फिल्टर सर्किट क्या है? (what is filter circuit)
किसी भी rectifier का output pure DC नहीं होता है, साथ ही इन DC component में कुछ मात्रा में ripples भी होते हैं, ये ripples AC component कहलाते हैं। इन ripples को हटाने के लिए rectifier circuit तथा load के मध्य एक अन्य circuit लगाया जाता है जिसे फिल्टर सर्किट कहते हैं। फिल्टर परिपथ का मुख्य कार्य रेक्टिफायर परिपथ से प्राप्त पल्ससेटिंग डी.सी. को पूर्णतया डी.सी. में परिवर्तित करना होता है।
सामान्यतः DC voltage को ripple से अलग करने के लिए दो components inductor (L) तथा capacitor (C) का उपयोग किया जाता है। एक inductor (L)DC के लिए SC (short circuit) तथा AC के लिए OC (open circuit) की भांति कार्य करता है। एक capacitor (C)DC के लिए OC (open circuit) तथा AC के लिए SC की भांति कार्य करता है।
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फिल्टर परिपथ की उपयोगिता (utility of filter circuit in hindi)
LC सेक्शन फिल्टर-लोड प्रतिरोध के पार्श्व परिपथ में संयोजित संधारित्र फिल्टर अथवा श्रेणीक्रम में प्रेरक कुंडली द्वारा सभी लोड प्रतिरोधों के लिए उर्मिका गुणांक का मान अपेक्षित मान तक कम नहीं किया जा सकता है। | इसलिए उर्मिका गुणांक का मान अत्यल्प करने के लिए L-C फिल्टर का उपयोग करते हैं जिससे लोड प्रतिरोध के श्रेणीक्रम में एक प्रेरक कुंडली व पार्श्वपथ में संधारित्र लगा देते हैं।
एक प्रेरक कुंडली व एक संधारित्र से बना L-Cफिल्टर L आवृत्ति का होने के कारण L अनुभाग फिल्टर कहलाता है। जब दिष्टकारी से प्राप्त स्पंदमान दिष्ट वोल्टता प्रेरक कुंडली में से प्रवाहित होती है तो इसकी दिष्ट वोल्टता प्रेरकत्व की प्रतिबाधा शून्य होने के कारण निर्बाध रूप से प्रवाहित होती है, व प्रत्यावर्ती घटक के लिए प्रेरक कुंडली की प्रतिबाधा के कारण उर्मिका वोल्टता का पतन होता है। इससे निर्गत धारा में जो शेष उर्मिका धारा रह जाती है, उस धारा के लिए संधारित्र अनन्त मान की प्रतिबाधा उपस्थिति को रोकता है।
इस प्रकार यह फिल्टर परिपथ एक छलनी के समान कार्य करता है जो उर्मिका धारा को उपपथ प्रदान करके अलग कर देता है तथा दिष्ट धारा लोड प्रतिरोध में से प्रवाहित होने देता है। उर्मिका आवृत्ति के लिए लोड का प्रतिघात अधिक तथा संधारित्र का प्रतिघात कम होना चाहिए। गणितीय रूप से L-अनुभाग के फिल्टर का विश्लेषण करने के लिए फिल्टर के निवेश पर प्राप्त वोल्टता तरग रूप के जरिए विस्तार का उपयोग करते हैं।
निवेशी प्रेरकत्व का दोलित मान: L-C फिल्टर में कम लोड पर अर्थात् RL के अधिक मानों व कम लोड धारा के लिए संधारित्र अधिक प्रभावी होता है। संधारित्र निविष्ट वोल्टता के शिखर मान तक आवेशित होता है तथा लोड से अनावेशन अल्प मात्रा में ही हो पाता है जिससे निर्गत DC वोल्टता अधिक रहती है। लोड धारा बढ़ने पर संधारित्र डायोड से अनावेशन तीव्र गति से होता है जिससे मध्य वोल्टता, DC वोल्टता से कम हो जाती है। धारा बढ़ने के साथ फिल्टर में प्रेरकत्व का प्रभाव बढ़ता है और एक निश्चित माना।K के पश्चात् फिल्टर लगभग प्रेरकत्व फिल्टर की भांति कार्य करता है। चित्र में DC वोल्टता का लोड धारा के साथ परिवर्तन दिखाया गया है।
पाशर्व-पथ संधारित्र फिल्टर में डायोड का चालन अल्प समय के लिए होता है, जबकि निविष्ट वोल्टता संधारित्र पर वोल्टता से अधिक होती है। लोड प्रतिरोध RL कम होने पर संधारित्र का अनावेशन तीव्र होने से डायोड का चालन कोण बढ़ता जाता है। लोड धारा IK की स्थिति में व उससे अधिक लोड धारा के लिए डायोड चालन निरंतर होता है व प्रेरक कुंडली से धारा प्रवाह निरंतर होने से प्रेरकत्व के द्वारा वोल्टता नियमन प्रभावी हो जाता है। क्रांतिक अवस्था Idc =IK.पर मुख्य उर्मिका घटक का आयाम निर्गत दिष्ट धारा के बराबर हो जाता है।
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आज इस आर्टिकल में हमने जाना कि फिल्टर सर्किट क्या है?(what is filter circuit hindi), फिल्टर परिपथ की उपयोगिता/उपयोग (utility of filter circuit in hindi), filter paripath kya hai और L-C सेक्शन फिल्टर, इस विषय के बारे में हमने बहुत ही अच्छी तरीके से आप को समझाने की कोशिश की है मेरी द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी |
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