भूमिगत केबिलें (Underground Cables)
भूमिगत केबलो का उपयोग विधुत शक्ति को लाने व ले जाने के लिए किया जाता है|
ऐसा स्थान जहा पर ओवरहेड को संचरण या वितरण के लिए प्रद्धति बाधित होता है वहां पर भूमिगत केबिलों का प्रयोग किया जाता है|
वोल्टता के आधार पर भूमिगत केबल कई प्रकार के होते है|
भूमिगत केबिल का वर्गीकरण (Classification of Underground Cables)
यांत्रिक संरचना व वोल्टता के अनुसार भूमिगत केबल को निम्न रूप से विभाजित किया जाता है।
केबिलों का वर्गीकरण निम्न रूप से किया गया है
(i) निम्न वोल्टता केबल (Lowvoltage cable)
(ii) उच्च वोल्टता केबल (High voltage cable)
(iii) श्रेष्ठ वोल्टता कबिल (Super voltage cable)
(iv) अति उच्च वोल्टता केबल (Extra high voltage cable)
(v) अति श्रेष्ठ वोल्टता केबल (Extra super high voltage cable)
(i) निम्न वोल्टता केबल:- इस प्रकार के केबल की प्रचालन वोल्टता 1 किलोवोल्ट तक होती है। इन्हें निम्न दाब केबल (Low tension cable) भी कहते हैं। इसमें कोई भी स्थिर वैद्युतिकी प्रतिबल नहीं होता है। इस प्रकार की केबिल में सामान्यतयाः पेपर विद्युतरोधक का उपयोग किया जाता है। लेकिन कभी-कभी रेसिन का उपयोग भी किया जाता है। जो की श्यानता को बढ़ाती है तथा drainage को रोकने में सहायता प्रदान करती है। यह स्ट्रेन्टेड कॉपर या एल्यूमिनियम की वृत्ताकार क्रोड (circular core) की बनी होती है। चालक को इम्प्रेग्नेटेड पेपर (Impregnted paper) के द्वारा विद्युतरोधी बनाया जाता है। पेपर विद्युतरोधक के ऊपर लीड शीथ होती है।
(ii) उच्च वोल्टता केबल:- इन केबलों की प्रचालन वोल्टता 1 किलोवोल्ट से 11 किलोवोल्ट तक होती है। इन्हें उच्च दाब केबल (High tension cable) भी कहते हैं। 3-कोर केबिल अधिक इकोनोमिकल होने के कारण इसका उपयोग अधिक किया जाता है। विकलीय सर्विस के लिए सामान्यतया निम्न प्रकार की केबिलों का उपयोग किया जाता है
(iii) श्रेष्ठ वोल्टता केबल:- इन केबलो की प्रचालन वोल्टता 11 किलोवोल्ट से 33 किलोवोल्ट तक होती है। इन्हें श्रेष्ठ दाब केबल (Super tension cable) भी कहते हैं।
(iv) अति उच्च वोल्टता केबल:- इस प्रकार केबलों की प्रचालन वोल्टता 33 किलोवोल्ट से 132 किलोवोल्ट तक होती । इन्हें अति उच्च दाब केबल भी कहते हैं। (E.H.T Cable-From 33 kv to 132 kV)
(v)अति श्रेष्ठ वोल्टता केबल:- इन केबलों प्रचालन वोल्टता 132 किलोवोल्ट से ऊपर होती है। इन्हें अति श्रेष्ठ दाब केबल भी कहते हैं।
भूमिगत केबल की संरचना (Construction of Underground Cables)
कम वोल्टता के लिए सिंगल कोर तथा उच्च वोल्टता के लिए मल्टी कोर केबल का प्रयोग किया जाता है| मल्टी कोर केबल आपसे में vulcanized bitumen और ससोचत कागज (Impregnated paper) द्वारा आपस में बंधे होते है| मल्टी कोर भूमिगत केबल की संरचना को नीचे चित्र में दिखाया गया है|
भूमिगत केबल की संरचना दर्शाई गई है। किसी केबल के मुख्यतया निम्न भाग होते हैं
(i) कोर या चालक- किसी भी केबल में एक या एक से अधिक चालक या कोर हो सकते हैं। इसका मान केबल की उपयोगिता पर निर्भर करता है। जैसे-3 चालक केबल तीन फेज में प्रयुक्त की जाती है। ये चालक मुख्यतया टिन, कॉपर या एल्युमिनियम के बने होते हैं।
(ii) इन्सुलेशन- प्रत्येक कोर या चालक किसी उपयुक्त मोटाई की इन्सुलेशन धातु से इन्सुलेटेड होता है। इस इन्सुलेशन की मोटाई चालक केबल द्वारा वहन किए जाने योग्य विभव पर निर्भर करती है। मुख्यतया इन्सुलेटेड पदार्थों के लिए इम्प्रिगेनेट पेपर, रबर आदि प्रयुक्त होते हैं।
(iii) धात्विक सतह- केबल को नमी, गैस और अन्य कारकों जैसे-अम्ल व ऐल्कीनों के प्रभाव से सुरक्षित रखने हेतु एक धात्विक सतह की लीड (Sheath) तथा इन्सुलेशन सतह पर एल्युमिनियम प्रयुक्त होता है जो उपयुक्त चित्र में वर्णित है।
(iv)बेडिंग- मैटेलिक शीथ पर एक फाइबर पदार्थ जैसे-जूट या hessian टेप की बेडिंग करते हैं। बेडिंग का उद्देश्य धात्विक शीथ को घर्षण तथा आर्मेरिंग के कारण हुए मैकेनिकल नुकसान से बचाना होता है।
(v)आर्मेरिंग- रीडिंग की सतह के ऊपर आर्मेरिंग की जाती है जिसमें स्टील टेप या स्टील तार की दो गेल्वेनीकृत स्टील की दो या एक परत होती हैं। इसका उद्देश्य केबल को लेइंग के समय मैकेनिकल नुकसान से बचाना होता है। यह क्रिया सभी केबलों में नहीं की जा सकती है।
(vi)सर्विंग- आर्मेरिंग परत को वातावरणीय परिस्थितियों से बचाने के लिए जूट जैसे रेशेदार पदार्थ की सतह बीडिंग की तरह आर्मेरिंग पर भी की जाती है। इस क्रिया को सर्विंग कहते है।
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भूमिगत केबल के लाभ व हानियां (Advantages of Underground Cable)
भूमिगत केबल के लाभ व हानियां निम्न हैं
भूमिगत केबल के लाभ (Advantages)
- इस प्रकार की केबल भूमिगत होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से ज्यादा अच्छी होती है ।
- इसमें केबल के भूमिगत होने के कारण घर्षण, ताप और अन्य यांत्रिक कारणों से फॉल्ट की सम्भावना कम होती है।
- इसका जीवनकाल भी ज्यादा होता है।
- इसमें परिपथ के कारण इन्टरफेयरेन्स कम होता है।
- इनकी मेन्टीनेंस दर कम होती है।
- इस प्रकार की केबल में appearance अच्छा व अधिक होता है।
भूमिगत केबल के हानियां (Disadvantages)
- भूमिगत केबल में धारा वहन क्षमता व विभवपात कम होता है।
- भूमिगत होने के कारण फॉल्ट का पता लगाने तथा रिपेयर में अधिक समय लगता है।
- इनकी प्रारम्भिक कीमत ज्यादा तथा flexibility कम होती है।
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आज आपने क्या सीखा :-
हेलो दोस्तों आज इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि “ भूमिगत केबिलें (Underground Cables in hindi), भूमिगत केबिल का वर्गीकरण (Classification of Underground Cables), भूमिगत केबल की संरचना (Construction of Underground Cables), भूमिगत केबल के लाभ व हानियां (Advantages of Underground Cable)” के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है. अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो आप नीचे कमेंट करके हमें बता सकते हो और इसे अपने दोस्तों के साथ में जरूर शेयर करें|
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