Types Of Conductor use in Transmission Line in Hindi

दोस्तों आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे की चालक क्या होता है- इसके प्रकार, विशेषताएं,  What Is Conductor, चालक के प्रकार, Types of Conductor: अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं 

Types Of Conductor use in Transmission Line in Hindi

चालक क्या होता है – What Is Conductor

इलेक्ट्रिसिटी को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने के लिए जिस माध्यम की आवश्यकता पड़ती है उसी को ही चालक कहा जाता है, दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि ऐसा पदार्थ जिसमें इलेक्ट्रोल या करंट का आसानी से प्रवाह हो सके उसे चालक कहते हैं| ऐसा पदार्थों का प्रतिरोध बहुत ही कम होता है और चालकता बहुत अधिक होती है इसीलिए ऐसे पदार्थों को और इलेक्ट्रिसिटी का प्रवाह करने के लिए काम में लिया जाता है

अच्छे चालक की विशेषताएं

  • एक अच्छे चलने की चालकता कंडक्टिविटी बहुत अच्छी होनी चाहिए और प्रतिरोधकता बहुत कम होनी चाहिए
  • एक अच्छा चालक यांत्रिक तौर पर भी काफी strong होना चाहिए 
  • एक अच्छे चालक में नरम होने का गुण भी होना चाहिए जिससे हम उसे गर्म करके आसानी से मोड सके.
  • एक अच्छी चलने की कीमत कम होनी चाहिए 
  • एक अच्छे चालक तन्यता का गुण होना चाहिए | 

चालक के प्रकार (Types of Conductor)

शिरोपरि व भूमिगत संचरण लाइन का एक महत्त्वपूर्ण एवं मुख्य अवयव चालक होते हैं। इसलिए चालक की आकृति एवं पदार्थ का सही चुनाव करना आवश्यक होता है। संरचना के आधार पर चालक को तीन भागों में बांटा गया है। जो कि निम्नलिखित है-

  1. खोखला चालक (Hollow conductor)
  2. बलदार चालक (Stranded conductor)
  3. ठोस चालक (Solid conductor)

1.खोखला चालक (Hollow Conductor)

चूंकि प्रत्यावर्ती धारा को चर्म प्रभाव (skin effect) सर्वाधिक प्रभावित करता है। जिसके फलस्वरूप ठोस चालक के बहुत कम भाग (area) में से धारा प्रवाहित होती है। अतः ठोस चालकों में से कम धारा प्रवाह होने के कारण इनके स्थान पर खोखले चालकों का उपयोग किया जाता है। इन खोखले (hollow) चालकों की यांत्रिक सामर्थ्य एवं तनन क्षमता कम होती है। इस प्रकार के चालकों में चालक के किसी भी भाग में बैन्ड उत्पन्न होने पर प्रतिरोध का मान बढ़ जाता है। जिसके कारण local hot spot उत्पन्न होता है। खोखले चालकों का उपयोग गैस परिपूर्ण चालकों (gas filled conductor) में किया जाता है।

2.बलदार चालक (Stranded Conductor)

इन चालकों में तार आपस में एक दूसरे से लिपटे हुए होते हैं | परिणामस्वरूप तारों की वास्तविक लम्बाई बढ़ जाती है, साथ ही इन चालकों के लचीलेपन में भी वृद्धि होती है। बलदार चालकों का उपयोग अधिकतम धारा प्रवाहित करने हेतु किया जाता है।

3.ठोस चालक (Solid Conductor)

इस तरह के चालकों का उपयोग संचरण लाइनों में नहीं किया जाता है। इन चालक तारों का उपयोग केवल भू-सम्पर्कित तार के रूप में ही किया जाता है।

संचरण लाइन में प्रयुक्त लाइन चालक अनेक प्रकार के होते हैं। लेकिन इनका चुनाव अति महत्त्वपूर्ण होता है। क्योंकि चालक पदार्थ का सही चुनाव विद्युत गुण, यांत्रिक सामर्थ्य, लागत एवं आकार आदि पर निर्भर करता है। 

विभिन्न प्रकार के लाइन चालक निम्नलिखित हैं

(a) कॉपर चालक (Copper conductor) 

(b) एल्यूमिनियम चालक (Aluminium conductor)

(c) गेल्वेनाइज्ड इस्पात एवं लौह चालक (Galvanized steel and iron conductor)

(d) स्टील प्रबलित एल्यूमिनियम चालक (Aluminium conductor steel reinforced)

(e) कैडमियम कॉपर चालक (Cadmium Copper Conductor)

 

(a) कॉपर चालक (Copper Conductor)

कॉपर चालक शिरोपरि एवं भूमिगत लाइनों के लिए एक आदर्श चालक है। क्योंकि कॉपर चालक में तार की तनन सामर्थ्य तथा विद्युत चालकता (electrical conductor) अधिक होती है। कॉपर चालक का धारा घनत्व (current density) अधिक होती है। अर्थात् कॉपर की प्रति इकाई धारा वहन क्षमता अधिक होती है। विद्युत शक्ति के संचरण एवं वितरण में सामान्यता सख्त खिंचाव कॉपर का प्रयोग किया जाता है।

ट्रांसमिशन लाइन वायर के प्रकार

कॉपर चालक के गुण निम्नलिखित हैं-

(i)इनमें कम अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है। 

(ii)इन चालकों के वायु भार (wind load) को कम किया जा सकता है। 

(iii)यह चालक एकसमांगी होते हैं।

(iv) यह चालक स्थायी नहीं होते हैं।

(v)इसकी तनन सामर्थ्य अधिकतम होती है।

(vi) · इनकी चालक संक्षारण प्रतिरोधकता उच्च होती है।

 

कॉपर चालक के दोष (Disadvantages)

(1) उच्च कीमत (cost)

(ii) कॉपर चालक की कम उपलब्धता का होना।

कॉपर चालक को संचरण एवं वितरण के लिए एक आदर्श चालक माना जाता है लेकिन वर्तमान में कॉपर चालक के स्थान पर एल्यूमिनियम चालक का उपयोग किया जा रहा है।

(b) एल्यूमिनियम चालक (Aluminium Conductor)

कॉपर की तुलना में एल्यूमिनियम सस्ता एवं हल्का होता है। लेकिन इसकी चालक तथा तनन सामर्थ्य कॉपर से कम होती है। अर्थात् एल्यूमिनियम की चालकता कॉपर की तुलना में 60% होती है। एल्यूमिनियम चालक तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल कॉपर से अधिक होता है। समान प्रतिरोध के लिए एल्यूमिनियम चालक का व्यास, कॉपर चालक के व्यास का 1.26 गुणा होता है। एल्यूमिनियम चालक हल्के होने के कारण इनका हवा में दोलन (swing) अधिक होता है। अतः इसके लिए बड़े क्रॉस आर्म की आवश्यकता होती है। इसका उपयोग उच्च संचरण लाइनों में अधिक उपयोगी होता है।

इसके निम्नलिखित गुण होते हैं।

(i) यह वजन में हल्का होता है।

(ii) इनकी कीमत कम होती है।

(iii) इनका व्यास अधिक होता है। 

(iv) इनकी उपलब्धता कॉपर की तुलना में आसान होती है।

 

एल्यूमिनियम चालक के दोष (Disadvantages)

(i) एल्यूमिनियम चालक तारों को जोड़ना एवं सोल्डरिंग करना तांबे की तुलना में कठिन होता है।

(ii) इनकी तनन सामर्थ्य कॉपर से कम होती है। 

(iii) इसकी प्रतिरोधकता उच्च होती है।

 

(c) गेल्वेनाइज्ड इस्पात एवं लौह चालक (Galvanized Steel and Iron Conductor)

इस्पात की तनन सामर्थ्यता उच्च होती है अतः गेल्वेनाइज्ड इस्पात चालक को लम्बे विस्तृत के लिए उपयोग में लाया जा सकता है इस प्रकार के चालक ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक उपयोगी होते हैं। इसकी कम चालकता एवं स्टील की उच्च प्रतिरोधकता के कारण इसका उपयोग लम्बी दूरी एवं अधिक शक्ति संचरण में नहीं किया जाता है तथा इनका उपयोग कम दूरी एवं कम शक्ति संचरण में अधिक मात्रा में किया जाता है।

इनके निम्नलिखित गुण होते हैं। |

(i) इसकी तनन सामर्थ्य उच्चतम होती है।

(ii) यह सस्ता एवं सुगमता से प्राप्त हो जाता है।

 

लौह चालक के दोष (Disadvantages)

(i) इस प्रकार के चालक में भंवर हानियां एवं हिस्टेरेसिस हानियां होती है। 

(ii) लोहे की चालकता कॉपर के तुलना में 1/9 होती है।

 

(d) स्टील प्रबलित एल्यूमिनियम चालक (ACSR)

कम तनन सामर्थ्य के कारण एल्यूमिनियम चालकों में अधिकतम झोल होता है, जिसके कारण एल्यूमिनियम चालकों का उपयोग अधिक विस्तृत के लिए उपयुक्त नहीं होता है। अतः एल्यूमिनियम लाइन चालक की तनन सामर्थ्य में वृद्धि करने के लिए उनके केन्द्रीय कोर में गेल्वेनाइज्ड इस्पात को लगाया जाता है इसलिए इसे केन्द्रीय क्रोड स्टील प्रबलित एल्यूमिनियम चालक (aluminium conductor steel reinforced) ACSR कहते हैं। इस चालक को उच्च वोल्टता संचरण के लिए उपयोग में लाया जाता है। साधारण स्टील एवं एल्यूमिनियम चालक के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रों का अनुपात 1: 6 से 1:4 होता है। एक ACSR चालक की बनावट को नीचे चित्र में दर्शाया गया है

ACSR चालक की बनावट

इस चालक के गुण निम्नलिखित हैं

(i)यह सस्ता होता है। 

(ii)समान धारा घनत्व के लिए चालक व्यास अधिकतम होने के कारण कोरोना प्रभाव अपेक्षाकृत कम होता है।

(iii)इन चालकों को अधिक विस्तृत हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है।

 

(e) कैडमियम कॉपर चालक (Cadmium Copper Conductor)

कुछ विशेष स्थिति में कॉपर को कैडमियम के साथ मिलाकर चालक की तनन सामर्थ्य को बढ़ाया जाता है। कॉपर में 1% या 2% कैडमियम मिलाने पर चालक की तनन सामर्थ्य में 50% की वृद्धि होती है। लेकिन शुद्ध कॉपर की चालकता 15% घट जाती है। इस प्रकार के चालक को लम्बी दूरी के लिए उपयोग में लिया जाता है। ये चालक केवल कम अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के लिए ही किफायती होते हैं।

आज आपने क्या सीखा :-

दोस्तों आज आपने सीखा कि चालक क्या है, चालक क्या होता है, चालक की विशेषताएं, चालक के प्रकार, चालकों के गुण और दोष के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो

1 thought on “Types Of Conductor use in Transmission Line in Hindi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top