हेलो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपको बताने वाला हूं कि SCR (thyristor) क्या है ( scr kya hai), SCR (thyristor) की कार्यप्रणाली, SCR (thyristor) का अभिलाक्षणिक वक्र in hindi अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए | तो चलिए शुरू करते हैं
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SCR (thyristor) क्या है
Silicon Controlled RectifieR (SCR)Construction-यह एक four layer (P1, N1, P2, N2) तथा three जंक्शन (J1, J2, J3) अर्द्धचालक युक्ति है। इसके three terminals होते हैं-Anode, Cathode तथा Gate. P1 व N2 layer में अशुद्धि की सान्द्रता अधिक तथा P2 व N1 layer में अशुद्धि की सान्द्रता कम रखी जाती है। अतः इसी कारण जंक्शन J1 व J3 के अवक्षय परत की चौड़ाई जंक्शन J2 से कम रखी जाती है।
SCR यदि silicon की जगह Ge से बनाई जाए तो इसके लिए room temperature पर α का मान लगभग 0.5 के बराबर रहता है। जिसके कारण roon temperature पर बिना voltage लगाए यह device ON हो जाती है। ग्रह device only silicon materials से बनाई जाती है तथा यह unilateral device होती है।
SCR (thyristor) की कार्यप्रणाली in hindi
सिलिकॉन कंट्रोल रेक्टिफायर की कार्यप्रणाली को समझने के लिए निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है
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1.पश्च ब्लॉकिंग मोड (Reverse Blocking Mode)- जब एनोड के संदर्भ में कैथोड को धनात्मक बनाया जाता है तथा स्विच ‘S’ खुला होता है तब थायरिस्टर पश्च बायस में होता है। इस स्थिति में जंक्शन J1 व J3 पश्च बायस तथा जंक्शन J2 अग्र बायस में होता है तथा थायरिस्टर इस प्रकार व्यवहार करता है जैसे दो डायोडों को श्रेणी क्रम में जोड़कर उन पर पश्च बायस वोल्टेज आरोपित किया गया है। इस स्थिति में अति अल्प मात्रा में धारा प्रवाहित होती है, जिसे पश्च लीकेज धारा कहा जाता है। यदि पश्च बायस वोल्टेज का मान बढ़ाया जाता है तो इससे अल्प मात्रा में प्रवाहित होने वाली धारा अब अधिक मात्रा में प्रवाहित होने लगेगी। इससे ब्रेकडाउन उत्पन्न होता है उसे पश्च ब्रेकडाउन वोल्टेज (Reverse Breakdown Voltage) VBR कहते हैं तथा जंक्शन J1 व J3 पर एवलान्च (Avalanche) बनता है जिससे पश्च बायस वोल्टेज अचानक बढ़ जाता है। पश्च एवं लान् क्षेत्र को चित्र (b) में PQ से दर्शाया गया है तथा पश्च बायस में थायरिस्टएक खुले स्विच की भांति कार्य करता है।
2.अग्र ब्लॉकिंग मोड (Forward Blocking Mode)-जब गेट परिपथ खुला होता है तथा कैथोड़ के संदर्भ में एनोड को धनात्मक बनाकर इनके मध्य लगे वोल्टेज के मान को बढ़ाया जाता है। तब थायरिस्टर में जंक्शन J1 व J3 अग्र बायस में तथा J2 पश्च बायस में होता है। इस मोड में अति अल्प धारा प्रवाहित होती है जिसे अग्र लीकेज धारा (Forward Leakage Current) कहते हैं, जिसे चित्र (b) में दर्शाया गया है। चित्र (b) में OM थायरिस्टर के अग्र ब्लॉकिंग मोड को दर्शाता है।
3.अग्र चालन मोड (Forward Conduction Mode)-जब गेट परिपथ को बंद (Close) रखा जाता है तथा गेट टर्मिनल को कैथोड के सापेक्ष धनात्मक रखकर वोल्टता प्रदान की जाती है तो यह कैथोड (N- प्रकार) की तरफ से इलेक्ट्रॉन को आकर्षित कर जंक्शन J2 तक पहुंचाती है। इसी समय कैथोड के संदर्भ में एनोड को धनात्मक रखा जाता है, जिससे जंक्शन J1 एवं J3 अग्र बायस अवस्था में आ जाते हैं और इलेक्ट्रॉन जंक्शन J1 एवं J3 के पास विचरण करने के लिए उत्तरदायी होते हैं। अतः एनोड एवं कैथोड के मध्य लगे वोल्टेज को जैसे ही बढ़ाया जाता है तो तीनों जंक्शन J1,J2,एवं J3 तक इलेक्ट्रॉनों के पहुंच जाने के कारण थायरिस्टर तीव्र चालन अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इसे अग्र एवलान्च ब्रेकडाउन कहा जाता है।
जिस वोल्टेज पर यह ब्रेक डाउन होता है, उसे अग्र ब्रेक डाउन वोल्टेज (Forward Breakdown Voltage) कहा जाता है। अर्थात् गेट वोल्टेज प्रदान करने से थायरिस्टर में से तीव्र विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है, जिस न्यूनतम एनोड धारा पर थायरिस्टर चालू (On) हो जाता है वह धारा लेचिंग धारा (Latching Current) कहलाती है। इसी प्रकार थायरिस्टर के चालू (On) हो जाने पर वह न्यूनतम एनोड धारा जहां तक थायरिस्टर चालू (On) रह सके, होल्डिंग धारा (IH) कहलाती है।
चित्र (b) के अनुसार गेट धारा आरोपित करते ही ब्रेकडाउन होने के बाद थायरिस्टर M बिंदु पर चालू (On) होकर N बिन्दु पर स्थानांतरित हो जाता है तथा N से K बिन्दु तक अग्र चालन अवस्था में कार्य करता है।
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अब आप जान गए होंगे कि SCR (thyristor) क्या है ( scr kya hai), SCR (thyristor) की कार्यप्रणाली, SCR (thyristor) का अभिलाक्षणिक वक्र |
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