आकस्मिक चार्ज और ऊपरी चार्ज क्या हैं? – Overhead Charges in hindi

हेलो दोस्तों, आज में आपको बताने वाला हूं कि आकस्मिक चार्ज और ऊपरी चार्ज क्या हैं? – what is Contingencies charge and Overhead Charges in hindi:अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए

आकस्मिक चार्ज क्या हैं?

आकस्मिक व्यय (Contingencies charge)-जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह ऐसे व्यय हैं जो किसी कार्य पर आकस्मिक ही आते हैं। उदाहरण के रूप में जब हम किसी कार्य को प्रारम्भ कर देते हैं तो उसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन करना पड़ सकता है या सामग्री के मूल्यों में बढ़ोतरी हो सकती है या श्रमिक प्रभार बढ़ सकते हैं। इस प्रकार इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सामग्री के मूल्य तथा श्रमिक प्रभार पर कुछ प्रतिशत मूल्य जोड़ दिया जाता है। प्रायः आकस्मिक व्यय 3 से 5% तक सम्मिलित किया जाता है। किसी भी संस्थान या अधिष्ठापन की स्थापना के लिए लगने वाली राशि का आकलन किया जाता है, लेकिन कई बार कीमतों में अचानक आई बढ़ोतरी से खर्चा अचानक बढ़ सकता है जैसे-पेट्रोल-डीजल के दाम का अचानक बढ़ना, अन्य सामग्री उत्पाद पर टैक्स का बढ़ना, अचानक आए इस खर्च के लिए अनुमानित लागत में लागत का 2 से 6% तक अतिरिक्त मूल्य जोड़ना चाहिए ताकि अचानक आए आर्थिक भार के कारण प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की बाधा न आ सके। 

ऊपरी चार्ज क्या हैं? – Overhead Charges in hindi

ऊपरी प्रभार (Overhead Charges)-किसी भी कार्य में लगने वाले प्रत्यक्ष सामग्री मूल्य तथा प्रत्यक्ष श्रमिक मूल्य के अतिरिक्त जितना भी खर्च, कार्य, संस्थापन, परियोजना या उत्पादन को सुचारू रूप से चलाने में आता है, ऊपरी प्रभार या ऊपरी लागत (Overhead Charges in hindi) कहलाता है।

ऊपरी प्रभार के अन्तर्गत, अप्रत्यक्ष सामग्री लागत, अप्रत्यक्ष  संस्थापन या परियोजना या उत्पादन इत्यादि के लिए दफ्तरों पर आने वाले खर्च, बिजली-पानी खर्च, भाव आमन्त्रण (call of quotation) तथा निविदा (tender) प्राप्त करने पर खर्च सम्मिलत होते हैं तथा कुल 10 या 11% तक ऊपरी प्रभार या लागत वसूल करते हैं।

ऊपरी प्रभार में निम्न खर्चे सम्मिलित होते हैं

(a) ऑफिसों का खर्चा 

(b) बिजली का खर्चा

(c) साफ-सफाई का खर्चा

(d) बाजार में लाई जाने वाली सामग्री का खर्चा

(e) निविदा प्राप्त करने का खर्चा 

(f) विज्ञापन का खर्चा 

(g) दैनिक भत्ते जो कर्मचारियों को दिए जाने हैं, उनका खर्चा 

(h) सेमिनारों का खर्चा

(i) मशीन, हाथ औजार व उपकरणों का खर्चा 

(j) भवनों की मरम्मत का खर्चा

(K) समय-समय पर मशीन उपकरण, औजारों के खराब होने पर उनकी जगह नई मशीन खरीदने का खर्चा

(L) पानी की व्यवस्था पर खर्चा

इस तरह 10 से 12% तक खर्चा ऊपरी प्रभार में आता है। ऊपरी प्रभार को मुख्यतः तीन खर्चों में बांटा गया है जो कि निम्न प्रकार हैं

(i) फैक्ट्री या संस्थापन पर ऊपरी प्रभार (Overhead Charges on Factory or Installation)-इस प्रभार के अन्तर्गत वे सभी प्रभार आते हैं जो कि फैक्ट्री या संस्थापन के प्रत्यक्ष लागत के अतिरिक्त होते हैं, जैसे बिजली-पानी खर्च, भवन टैक्स तथा मशीनों, उपकरणों एवं भवन के मूल्य में घटाव (depreciation) इत्यादि।

(ii) प्रशासनिक ऊपरी प्रभार (Administrative Overhead Charges)-इस प्रभार के अन्तर्गत अधिकारियों, कर्मचारियों, लिपिक वर्ग, दफ्तर के फर्नीचर, स्टेशनरी तथा बाहर से आने वाले प्रतिनिधियों के जल-पान, स्वागत, ठहरने इत्यादि पर आने वाले खर्च सम्मिलित होते हैं।

(iii) विक्रय सम्बन्धी ऊपरी प्रभार (Sale Related Overhead Charges)-इस प्रभार में प्रशासनिक प्रभार के अतिरिक्त वे सभी खर्च आते हैं जो उत्पादित सामग्री को कार्य स्थल पर पहुंचाने, वितरण करने, बाहर भेजने, बिक्री पर कमीशन देने, सामग्री का प्रचार करने, भाव नियन्त्रण करने, ट्रांसपोर्ट व्यय तथा बिक्री अधिकारियों के वेतन पर व्यय के दौरान होते हैं।

अब आप जान गए होंगे कि आकस्मिक चार्ज और ऊपरी चार्ज क्या हैं? – what is Contingencies charge and Overhead Charges in hindi|

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