टैरिफ के उद्देश्य और निर्धारण हेतु सिद्धान्त – Objectives of Tariff Hindi

नमस्कार पाठको, क्या आप टैरिफ के उद्देश्य और निर्धारण हेतु सिद्धान्त – Objectives of Tariff Hindi पर पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं? यदि हां तो तो इस लेख में आपको टैरिफ के उद्देश्य से संबंधित पूरी जानकारी जानने को मिलेगी।

टैरिफ के उद्देश्य (Objectives of Tariff)

सप्लाई  से विद्युत ऊर्जा शुल्क बिलों के माध्यम से प्राप्त करती है। विद्युत ऊर्जा शुल्क के लिए वह बिल राशि में विभिन्न प्रकार के व्यय को सम्मिलित करती है, ये व्यय टैरिफ कहलाते हैं।

     
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अतः एक टैरिफ की गणना हेतु निम्न उद्देश्यों एवं आवश्यकताओं को सम्मिलित किया जाता है

(i) विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन एवं वितरण पर सम्पूर्ण वार्षिक व्यय सम्मिलित होना चाहिए।
(ii)सप्लाई, ऑपरेशन, अनुरक्षण लागत तथा हानियों में हुए वार्षिक व्यय सम्मिलित होने चाहिए।
(iii) विद्युत सप्लाई से सम्बन्धित अन्य लागत जैसे-बिजली के बिल तैयार करना, मीटर व्यय आदि को सम्मिलित करना।
(iv) उपभोक्ता विद्युत व्यय का मूल्य सरलता से देने में समर्थ हो।
(v) विद्युत व्यय के मूल्य की गणना करना सरल हो ताकि उपभोक्ता को टैरिफ आसानी से समझ में आ सके।
(vi) ज्यादा उपभोक्ता होने पर भी टैरिफ समान होना चाहिए।
(vii) विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन व वितरण में जितना भी रुपया व्यय होता है, विद्युत प्रदाय वाले इस व्यय को टैरिफ की सहायता से पूरा कर लेते हैं।
(viii) पूंजीगत निवेश पर संतोषजनक शुद्ध रिटर्न आश्वस्त करना चाहिए।
(ix) विद्युत ऊर्जा उत्पादन की लागत, स्टेशन की क्षमता तथा कुल kWh उत्पादन पर भी निर्भर करती है। यदि अधिकतम मांग बढ़ती है तो स्टेशन की क्षमता भी बढ़ती है तथा टैरिफ दर कम रहने की संभावना रहती है|
(x)शक्ति गुणक (Power Factor)-शक्ति. गुणक टैरिफ निर्धारण में काफी उपयोगी होता है। यदि शक्ति गुणक कम होगा तो भार धारा का मान अधिक होगा। इस भार धारा का मान बढ़ने से I2R हानि में बढ़ोत्तरी होगी तथा टैरिफ का मान भी बढ़ेगा।

शक्ति गुणक का मान अधिक होने पर I 2R हानि कम होगी तथा हानि कम होने से उत्पादन लागत कम होगी तथा टैरिफ भी कम होगा|

टैरिफ निर्धारण हेतु सिद्धान्त (Principles for Tariff Determination) 

उपभोक्ताओं की अधिकतम मांग के आधार पर विद्युत जनरटिंग केंद्र के आकार और लागत को निश्चित किया जाता है। प्रत्यक उपभाक्ता को यह उम्मीद होती है की किसी भी समय वह अपनी अधिकतम मांग की पूर्ति कर सके अर्थात् अपनी अधिकतम मांग की पूर्ति हेतु समय सीमा निश्चित न हो|

हम जानते हैं कि विद्युत ऊर्जा को एकत्रित नहीं किया जा सकता है, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर जनरेट किया जा सकता है अतः किसी भी समय उपभोक्ता की मांग को पूरा करने के लिए विद्युत जनरेटिंग प्लांट को तैयार रखना पड़ता है। अतः चाहे विद्युत उत्पादन कम हो या अधिक, विद्युत जनरेटिंग केन्द्र पर एक स्थाई लागत को व्यय करना ही पड़ता है, इसलिए उपभोक्ता को अपनी निश्चित मांग हेतु स्थिर मूल्य का भुगतान करना अधिक उचित होता है।

उपरोक्त स्थाई लागत के अतिरिक्त अन्य व्यय जैसे- ईधन लागत जो कि उत्पन्न ऊर्जा इकाइयों के समानुपाती होता है, मशीनों का स्नेहन, ऑपरेशन स्टाफ के वेतन आदि चालू व्यय भी ऊर्जा इकाइयों पर वितरित होता है।

अतः प्रत्येक उपभोक्ता को स्थिर मूल्य के साथ-साथ उसके द्वारा उपयोग में ली गई ऊर्जा का व्यय भी देना चाहिए। यह विधि द्वि-भाग (Two part) टैरिफ कहलाती है।

आज आपने क्या सीखा :-

दोस्तों आज आपने सीखा कि टैरिफ के उद्देश्य और निर्धारण हेतु सिद्धान्त – Objectives of Tariff Hindi , टैरिफ निर्धारण हेतु सिद्धान्त, Criterion for Fixing the Tariff hindi के बारे में भी आपने जाना तो अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ में इसे शेयर कर सकते हो और अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बता सकते हो

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