ऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग विधि – Methods of Synchronizing of Alternators in hindi

हेलो दोस्तों, आज में आपको बताने वाला हूं कि ऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग क्यों की जाती हैऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग विधि – Methods of Synchronizing of Alternators in hindi:अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए

ऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग क्यों की जाती है

शक्ति संयंत्रों में बड़ी मात्रा में विद्युत शक्ति का उत्पादन किसी एक ऑल्टरनेटर द्वारा संभव नहीं हो पाता है। बड़े शक्ति संयंत्रों में एक से अधिक ऑल्टरनेटरों को समानान्तर क्रम में संचालित करके विद्युत शक्ति का उत्पादन किया जाता है।

दो या दो से अधिक ऑल्टरनेटरों को समानान्तर क्रम में चलाने को सिन्क्रोनाइजिंग (Synchronizing) कहते हैं। समानान्तर क्रम में जुड़े हुए दो ऑल्टरनेटरों में जब एक ऑल्टरनेटर सप्लाई देने में असमर्थ होता है तो दूसरा ऑल्टरनेटर लगातार सप्लाई देता है। पहले ऑल्टरनेटर को रनिंग मशीन और नए ऑल्टरनेटर को इनकमिंग मशीन कहते हैं।

ऑल्टरनेटर को समानान्तर क्रम में लगाने से पहले निम्नलिखित शर्ते पूरी की जाती है

  1. समानान्तर क्रम में संयोजित दोनों ऑल्टरनेटरों का टर्मिनल वोल्टेज समान होना चाहिए।
  2. दोनों ऑल्टरनेटरों की आवृत्ति (f) समान होनी चाहिए। 
  3. नए ऑल्टरनेटर का फेज सीक्वेन्स रनिंग ऑल्टरनेटर के फेज सीक्वेन्स के समान होना चाहिए।

पहली शर्त पूरी करने के लिए ऑल्टरनेटर की फील्ड के श्रेणी क्रम में लगे रेग्यूलेटर को एडजस्ट किया जाता है। फील्ड एक्साइटेशन को रेग्यूलेट करने से नए ऑल्टरनेटर का टर्मिनल वोल्टेज, बस-बार वोल्टेज के समान कर दिया जाता है।

दूसरी शर्त को पूरा करने के लिए ऑल्टरनेटर के प्राइम मूवर की स्पीड को एडजस्ट किया जाता है।

                                                          N=120xf/P

तीसरी शर्त के अनुसार 3-फेज के जो सिरे रनिंग ऑल्टरनेटर के बस-बार से लगे हैं वही सिरे नए ऑल्टरनेटर के लगने चाहिए। 

ऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग विधि (Methods of Synchronizing of Alternators)

3-PHASE ऑल्टरनेटरों को परस्पर समानान्तर क्रम में संयोजन विधि या कई ऑल्टरनेटरों को सामान्य बस-बार से संयोजन करने की विधि को सिन्क्रोनाइजिंग कहा जाता है। 3-PHASE ऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग विधियां निम्न प्रकार हैं

  1. 1.डार्क लैम्प विधि (Dark lamp method) 
  2. ब्राइट लैम्प विधि (Bright lamp method) 
  3. डार्क व ब्राइट लैम्प विधि (Dark and Bright lamp method) 
  4. Passanta fate (Synchroscope method) 

डार्क लैम्प विधि (Dark Lamp Method)

अब इनकमिंग मशीन का टी.पी. स्विच ‘ऑन करने के पूर्व सभी लैम्प युगलों के जलने-बुझने की जांच की जाती है जो निम्न प्रकार है

Methods of Synchronizing of Alternators in hindi

(i) लैम्प युगल जलते-बुझते रहते हैं- दोनों ऑल्टरनेटरों की फ्रीक्वेंसी में अन्तर है। इनकमिंग मशीन के प्राइम-मूवर की घूर्णन गति को समायोजित करके दोनों मशीनों की फ्रीक्वेंसी समान करें। फ्रीक्वेंसी समान होने पर लैम्प युगल बुझ जाते हैं।

(ii) लैम्प युगल एक साथ नहीं जलते-बुझते हैं- दोनों ऑल्टरनेटरों का फेज-क्रम भिन्न है। इनकमिंग मशीन के तीनों में से किन्हीं दो फेज के संयोजन आपस में परिवर्तित करके फेज-क्रम ठीक करें।

(iii) लैम्प युगल धीमे जलते हैं- दोनों ऑल्टरनेटरों की वोल्टता में अन्तर है। इनकमिंग मशीन के फील्ड रेग्यूलेटर से वोल्टता को समायोजित करें जिससे तीनों लैम्प युगल बुझ जाएं।

(iv) तीनों लैम्प युगल पूर्णतः बुझ जाते हैं- दोनों ऑल्टरनेटर्स सिन्क्रोनाइज हो गए हैं। इनकमिंग मशीन के टी.पी. स्विच को ऑन’ करें।

अब आप जान गए होंगे कि ऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग क्यों की जाती हैऑल्टरनेटरों की सिन्क्रोनाइजिंग विधि – Methods of Synchronizing of Alternators in hindi.

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