चुम्बक क्या है ? (Magnet in Hindi)
Magnet in Hindi- चुम्बकीय बल रेखायें जिस पथ का अनुसरण या उत्पन्न होती है उसे चुम्बकीय परिपथ कहा जाता है। फलक्स के चुम्बकीय पदार्थ प्रायः मृदु लोहे का बन्द परिपथ बनाया जाता है। चुम्बकीय परिपथ में विद्युत परिपथ की भाँति वोल्टता, तथ प्रतिरोध के स्थान पर चुम्बकीय वाहक,फ्लक्स और प्रतिष्टम्भ प्रयोग किये जाते हैं।
प्रकृति में पाया जाने वाला कत्थई रंग का मैग्नेटाइट (Fe,o.) पत्थर मैगनेट कहलाता है। सर्वप्रथम यह पत्थर एशिया में मैग्नीशिया नामक स्थान में पाया गया था। इसलिए इसे मैग्नेटाइट नाम दिया गया। मैग्नेटाइट शब्द सरल होकर मैग्नेट रह गया। भारत में यह पत्थर तमिलनाडु तथा उडीसा राज्यों में पाया जाता है। हिन्दी भाषा में मैग्नेट को चुम्बक कहत है। चुम्बक के गुण उसका चुम्बकत्व (magnetism) कहलाते हैं।
चुम्बक के गुण (Properties of Magnet In Hindi)
चुम्बक में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं
(i) यह लोहे के बुरादे को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। चुम्बक के वे दो भाग जहाँ सबसे अधिक लोहे का बुरादा चिपकता है, वह ध्रुव (pole) कहलाते है।
(ii) स्वतंत्रता पूर्वक लटकाया गया चुम्बक, उत्तर दक्षिण दिशा में ठहर जाता है। चुम्बक का उत्तर खोजी सिरा उत्तरी ध्रुव (north pole) तथा दक्षिण ध्रुव (south pole) कहलाता है। चुम्बक के इस दैशिक गुण के कारण उसे लोड स्टोन (leading stone or load stone) भी कहा जाता है।
(iii) दो चुम्बकों के सजातीय ध्रुवों में प्रतिकर्षण (repulsion) तथा विजातीय ध्रवों में आकर्षण (attraction) होता है।
(iv) किसी लोहे की छड़ पर यदि चुम्बक को बार-बार रगड़ा जाये तो वह भी चुम्बक बन जाती है।
(v) किसी चुम्बक को लाल गर्म करके एक दम ठंडा कर देने, पीटने या पटकने से उसका चुम्बकत्व घट जाता है या समाप्त हो जाता है|
चुम्बक का अणुक सिद्धान्त (Principle of Magnetism In Hindi)
हम जानते हैं कि प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनाया जाता है जो अणु (molecule) कहलाते हैं। कुछ पदार्थो के अणु स्वतंत्र चुम्बक की भांति व्यवहार करते हैं। सामान्य अवस्था में ये अणु, पदार्थ में अनियमित रूप से बिखरे रहते हैं और वे एक-दूसरे के प्रभाव को उदासीन कर देते हैं। फलस्वरूप, सामान्य चित्र : 1 लोहे की चुम्बकित तथा विचुम्बकित अवस्थाएँ अवस्था में पदार्थ में चुम्बकत्व नहीं होता। जब पदार्थ पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र कार्य करने लगता है तो उसके अणु-चुम्बक, चम्बकीय क्षेत्र की दिशा में व्यवस्थित होने लगते हैं। जब सभी अणु-चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में व्यवस्थित हो जाते हैं तो पदार्थ चुम्बक बन जाता है।
अणुओं में विद्यमान चुम्बकीय गुण, उसके परमाणुओं (atoms) में विद्यमान इलैक्ट्रोन्स की कक्षीय गति तथा चक्रण गति (orbital and spin motion) के कारण पैदा होता है। यही चुम्बक का अणुक सिद्धान्त कहलाता है।
चुम्बकों के प्रकार (Types of Magnets In Hindi)
चुम्बकों को निम्न दो मुख्य वर्गों में रखा जा सकता है।
(क) प्राकृतिक चुम्बक (Natural magnet)
(ख) अप्राकृतिक चुम्बक (Artificial magnet)
1. प्राकृतिक चुम्बक : प्रकति में पाया जाने वाला मैग्नेटाइट पत्थर, प्राकृतिक चुम्बक कहलाता है। इसका आकार बेडौल होता है और इसकी चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता भी काफी कम होती है। अब इनका उपयोग नहीं किया जाता।
2. कृत्रिम चुम्बक : लोहा, चुम्बकीय धातुओं व लोहे के मिश्र धातुओं (alloys) से बनाये गये चुम्बक, कृत्रिम चुम्बक कहलाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं
(i) स्थायी (Permanent) : स्थायी चुम्बक होते हैं जिनका चुम्बकत्व अनेक वर्षो तक बना रहता है। ये फौलाद (Steel) अथवा मिश्र चुम्बकीय धातुओं से बनाये जाते हैं। मिश्र चुम्बकीय धातु एल्यूमीनियम, निकिल, लौह, तांबा तथा कोबाल्ट से 8:14:15:3:24 के अनुपात में मिलाकर) बनाई जाती है। यह एलनिको (Alnico) या एल्कोनैक्स (Alconex) कहलाती है। प्रारम्भ में लौह छड़ पर चुम्बक की ‘घर्षण क्रिया से चुम्बक बनाये जाते थे परन्तु आजकल शक्तिशाली करंट वाली क्वायल के मध्य फौलाद अथवा मिश्र चुम्बकीय धातुओं की छड़ आकार, बेलनाकार अथवा घोड़े की नाल (horse shole) के आकार के होते हैं।
(ii) अस्थायी (Temporary): नर्म लोहे से बनाये गये विद्युत-चुम्बक, अस्थायी चुम्बक कहलाते हैं। ये आवश्यकतानुसार अनेक आकार के बनाये जाते हैं। अस्थायी चुम्बक के चुम्बत्व का अस्तित्व तभी तक रहता है जब तक कि उसकी क्वायल मे से करंट बहती रहती है।
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अब आप जान गए होंगे कि चुम्बक क्या है ? (Magnet in Hindi), चुम्बक के गुण (Properties of Magnet In Hindi), चुम्बक का अणुक सिद्धान्त (Principle of Magnetism In Hindi), चुम्बकों के प्रकार (Types of Magnets In Hindi). इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
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