विशिष्ट विद्युत लोडिंग और चुम्बकीय लोडिंग का चयन

हेलो दोस्तों, आज में आपको बताने वाला हूं कि विशिष्ट विद्युत लोडिंग और चुम्बकीय लोडिंग का चयनChoice of Specific Electric Loading in hindi :अगर आप भी है जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते रहिए

विशिष्ट विद्युत लोडिंग का चयन (Choice of Specific Electric Loading)

विशिष्ट विद्युत लोडिंग का चयन करने के लिए निम्न घटक (factors) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

(1) तापमान में वृद्धि (Temperature Rise)– विशिष्ट विद्युत लोडिंग के उच्च मान के लिए वाइन्डिंग के तापमान में अत्यधिक वृद्धि होती है। विद्युतरोधी पदार्थों के उपयोग से हम मशीनों के लिए उच्च विशिष्ट विद्युत लोडिंग उपयोग में लेते हैं साथ ही साथ अधिक लोडिंग चयन करते वक्त मशीन की शीतलन (cooling) व्यवस्था का भी ध्यान रखना आवश्यक है। जिन मशीनों में शीतलन अच्छा हो वहां एम्पियर चालक का मान अधिक लिया जाता है। यदि मशीन का शीतलन गुणांक कम हो तो विशिष्ट विद्युत लोडिंग के मान को प्रयोग किया जा सकता है। मशीन के साथ अच्छा वेन्टीलेशन होने से शीतलन गुणांक का मान कम और विशिष्ट विद्युत लोडिंग का मान अधिक प्रयोग में लिया जा सकता है।

(2) मशीन की गति (Speed of Machine)- यदि मशीन की गति अधिक है तथा मशीन का वेन्टीलेशन उत्तम है तो उच्च हानियों का क्षय किया जा सकता है। अतः उच्च मान की विशिष्ट विद्युत लोडिंग के लिए उच्च गति वाली मशीन उपयोग में ली जा सकती है।

(3) वोल्टेज (Voltage)- उच्च वोल्टता मशीनों में विद्युतरोधक के लिए अधिक जगह की आवश्यकता होती है इसलिए वहां चालकों के लिए कम जगह रह जाती है। वोल्टता वृद्धि से सामान्य तथा विशिष्ट विद्युत लोडिंग में कमी आती है इसलिए उच्च वोल्टता मशीनों के लिए विशिष्ट विद्युत लोडिंग का मान कम लिया जाता है।

(4) मशीन का आकार (Size of Machine)- बड़ी मशीनों में चालकों को आसानी से व्यवस्थित किया जा सकता है। अतः अधिक व्यास वाली मशीन की विशिष्ट विद्युत लोडिंग ज्यादा होती है।

(5)आर्मेचर प्रतिक्रिया (Armature Reaction)- यदि हम विशिष्ट विद्युत लोडिंग का मान उच्च लेते हैं तो आर्मेचर mmf का मान उच्च होता है या अन्य शब्दों में आर्मेचर चुम्बकीय रूप से शक्तिशाली हो जाता है। इस कारण मशीन पर लोड की स्थिति में मशीन के फील्ड द्वारा उत्पन्न किए गए फ्लक्स में अधिक डिझेशन होता है। इसके फलस्वरूप वायु अन्तराल में फ्लक्स की मात्रा में कमी होती है। इस प्रभाव को दूर करने के लिए मशीन की फील्ड वाइन्डिंग में टों की संख्या बढ़ानी पड़ती है और मशीन की लागत बढ़ जाती है। अतः विशिष्ट विद्युत लोडिंग के चयन के समय इसका ध्यान रखा जाता है।

(6) कम्यूटेशन (Commutation)-अधिक विशिष्ट विद्युत लोडिंग लेने से कम्यूटेशन के दौरान अधिक रिएक्टेन्स वोल्टेज पैदा होने से कम्यूटेशन में कठिनाई होती है। अतः कम्यूटेशन की दृष्टि से विशिष्ट विद्युत लोडिंग का मान कम होना चाहिए।

विशिष्ट चुम्बकीय लोडिंग का चयन (Choice of Specific Magnetic Loading)

विशिष्ट लोडिंग का चयन कुछ गुणकों से प्रभावित होता है। इनमें से कई गुणक तो सामान्य प्रकृति के होते हैं जो कि सभी प्रकार की मशीनों में लागू होते हैं तथा कई गुणक विशिष्ट होते हैं जो कि केवल एकल मशीनों पर लागू होते हैं। यहां पर डी.सी. मशीन के लोडिंग को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेंगे। सामान्यतया विशिष्ट चुम्बकीय लोडिंग को निम्न कारक प्रभावित करते हैं

(1) आर्मेचर के लौह दांतों में फ्लक्स घनत्व (Flux Density in Iron Teeth of Armature)- माना वायु अन्तराल के लिए फ्लक्स घनत्व का अधिकतम मान है तो आर्मेचर दांतो (teeth) में भी फ्लक्स घनत्व का अधिकतम मान प्राप्त होगा। अधिकतम फ्लक्स घनत्व (E)आर्मेचर दांतों में वहां होता है जहां दांतों की चौड़ाई सबसे कम होती है। वायु अन्तराल घनत्व के मान का चयन इस प्रकार किया जाता है कि दांतों की जड़ में फ्लक्स घनत्व का मान 2.2 टेसला (Tesla = Wb/m2) से अधिक न हो अन्यथा दांतों (teeth) के लिए आवश्यक mmf का मान बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। लौह भाग में फ्लक्स घनत्व वायु अन्तराल में औसत फ्लक्स घनत्व के समानुपाती होता है। निर्धारित से अधिक फ्लक्स घनत्व होने पर मशीन के लौह भागों में लौह हानियों में वृद्धि हो जाती है।

(2) चुम्बकन धारा (Magnetising Current)- मशीन की चुम्बकन धारा, मशीन के लौह भागों तथा वायु अन्तराल से फ्लक्स को बल लगाने के लिए आवश्यक mmf के सीधे समानुपाती होती है। वायु अन्तराल के लिए आवश्यक mmfअन्तराल में फ्लक्स घनत्व के सीधे समानुपाती होता है। यह देखा गया है कि लौह भागों से सम्बन्धित फ्लक्स घनत्व का मान, विशिष्ट चुम्बकीय लोडिंग पर निर्भर करता है। विशिष्ट चुम्बकीय लोडिंग के कम मान के चयन पर, लौह भागों में फ्लक्स घनत्व कम होता है इसलिए ये भाग रेखीय या B-H वक्र में knee भाग पर कार्य करते हैं। लौह भागों के लिए कम या लगभग नगण्य mmf के मान, जैसे-H के लिए रेखीय या B-H वक्र में knee भागों में फ्लक्स घनत्व पर प्रति मीटर लम्बाई पर mmf का मान बहुत कम होता है।

विशिष्ट चुम्बकीय लोडिंग का मान अधिक होने पर लौह भागों में फ्लक्स घनत्व इस प्रकार कार्य करता है कि ये भाग B-H वक्र में संतृप्तावस्था क्षेत्र में हो जिससे प्रति इकाई लम्बाई अत्यधिक बड़ी होती है। इसलिए विशिष्ट चुम्बकीय लोडिंग द्वारा चुम्बकन mmf के मान में वृद्धि होती है तथा चुम्बकन धारा का मान अधिक होता है।

(3) आवृत्ति (Frequency)- जब मशीन का आर्मेचर घूमता है तो आर्मेचर का चुम्बकीय परिपथ उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव के प्रभाव में प्रत्यावर्ती (एक के बाद एक) रूप से आता है। प्रत्यावर्तन (reversal) की आवृत्ति, f=pn/2 होती है। यदि प्रत्यावर्तन आवृत्ति अधिक हुई तो आर्मेचर तथा दांतों में लौह हानियां भी अधिक होगी इसलिए मशीन के वायु अन्तराल में उच्च फ्लक्स घनत्व का मान उपयोग में नहीं लेते हैं।

(4) मशीन का आकार (Size of Machine)- मशीन में फ्लक्स घनत्व का मान बढ़ने से मशीन का आकार बढ़ता है। मशीन के व्यास (D) का मान बढ़ने से मशीन के दांतों की चौड़ाई बढ़ती है।

अब आप जान गए होंगे कि विशिष्ट विद्युत लोडिंग और चुम्बकीय लोडिंग का चयनChoice of Specific Electric Loading in hindi, विशिष्ट विद्युत लोडिंग का चयन, Choice of Specific Electric Loading in hindi, विशिष्ट चुम्बकीय लोडिंग का चयन, Choice of Specific Magnetic Loading in hindi.

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