श्रागे मोटर क्या है- संरचना और कार्य सिद्धांत (Schrage motor in hindi)

हेलो दोस्तों, आज में आपको बताने वाला हूं कि श्रागे मोटर क्या है (Schrage Motor in hindi), श्रागे मोटर के कार्य सिद्धान्त, श्रागे मोटर का अभिलक्षण, श्रागे मोटर के उपयोग, श्रागे मोटर की संरचना।

श्रागे मोटर क्या है (Schrage Motor in hindi) 

श्रागे मोटर एक विशेष संरचना वाली त्रिकलीय मोटर है जिसके अभिलक्षण दिष्ट धारा शन्ट मोटर के समान होते हैं। इस मोटर की गति तथा शक्ति गुणक को एक साथ नियंत्रित किया जा सकता है।

     
                    WhatsApp Group                             Join Now            
   
                    Telegram Group                             Join Now            

श्रागे मोटर की बनावट की विशेषताएं 

श्रागे मोटर की बनावट की विशेषताएं निम्न हैं

1.श्रागे मोटर में स्पीड कंट्रोल तथा शक्ति गुणक सुधार दोनों के लिए व्यवस्था होती है।

2.इन्डक्शन मोटर में स्लिप रेगुलेटर, मोटर में ही लगा होता है। 

3.इसमें तीन प्रकार की वाइन्डिगें लगी होती है, जो निम्न प्रकार है। 

(i) प्राथमिक वाइन्डिंग (Primary winding)- यह रोटर स्लॉटों के निचले भाग में आवक्षित (housed) होती है तथा इसे लाइन फ्रिक्वेन्सी (Line frequency) पर स्लिप-रिंगों तथा ब्रुशों द्वारा सप्लाई दी जाती है।. 

(ii) रेगुलेटिंग वाइन्डिंग (Regulating winding)- इसे कम्पेन्सेटिंग (Compensating) वाइन्डिंग या तृतीयक (tertiary) वाइन्डिंग के नाम से भी आवक्षित (Housed) होती है तथा डी.सी. मोटर के आर्मेकर की तरह कम्यूटेटर से संयोजित होती है।

(iii) द्वितीयक वाइन्डिंग (Secondary winding)- यह स्टेटर स्लॉटों में लगी होती है लेकिन प्रत्येक फेज वाइन्डिंग का सिरा, कम्यूटेटर पर लगे हुए ब्रुशों के एक जोड़े से संयोजित होता है। ये ब्रुशें दो अलग-अलग ब्रुश रोकर (Rocker) पर माउन्ट की जाती है जो कि स्टेटर फेज के अनुरूप केन्द्रीय रेखा से विपरीत दिशा में गति करने के लिए डिजाइन की जाती है ।

श्रागे मोटर की संरचना
श्रागे मोटर की संरचना

2. गति नियंत्रण (Speed Control)- श्रागे मोटर में तुल्यकालिक गति से कम व ज्यादा गति करना आसान कार्य है। चित्र 2 (i) में दर्शाए अनुसार, जब ब्रुश पेयर समान कम्यूटेटर सेगमेन्ट से संयोजित होता है तो द्वितीयक वाइन्डिंग शॉर्ट सर्किट हो जाती है तथा मशीन निम्न धनात्मक स्लिप के साथ इन्वर्टेड प्लेन स्क्विरल-केज Squirrel-cage) इन्डक्शन मोटर के समान संचालित होती है। ब्रुशों को एक दिशा में विभाजित करने पर, चित्र 2(ii) में दर्शाए अनुसार, अद्वैतुल्यकालिक गतियां (Subsynchronous speed) प्राप्त होती है क्योंकि इस स्थिति में द्वितीयक वाइन्डिंग का रेगुलेटिंग वोल्टेज प्राथमिक वाइन्डिंग से जनित वोल्टेज का विरोध करता है। यद्यपि, जब ब्रुशों की गति विपरीत कर दी जाती है तो वे विपरीत दिशा में विभाजित हो जाते हैं, रेगुलेटिंग वोल्टेज की दिशा विपरीत हो जाती है एवं मोटर स्पीड उच्च तुल्यकालिक (अधिकतम) मान को प्राप्त कर लेती है चित्र 2(iii) में दर्शाए अनुसार)। कम्यूटेटर अधिकतम वोल्टेज उपलब्ध कराता है जब ब्रुशों को एक पोल पिच द्वारा अलग-अलग किया जाता है।

Schrage Motor

Schrage Motor
Schrage Motor

अधिकतम तथा न्यूनतम स्पीड रेगुलेटिंग वोल्टेज के परिमाण को बदलकर प्राप्त की जाती है। श्रागे मोटर द्वारा शून्य तुल्यकालिक गति के दुगुने तक गति परिवर्तित की जा सकती है।

श्रागे मोटर के कार्य सिद्धान्त (Operating Principle) 

प्रेरण मोटर की गति द्वितीयक परिपथ अर्थात् रोटर में क्रियाशील कुल विद्युत वाहक बल पर निर्भर करती है। यदि द्वितीयक रोटर कुण्डलन को सामान्य रूप में लघुपथित कर दिया जाए तो रोटर में उत्पन्न विद्युत वाहक बल, प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा तथा मोटर सामान्य गति पर प्रचलित होगी। अब यदि उचित आवृत्ति के एक स्त्रोत से रोटर परिपथ में एक विद्युत वाहक बल अन्तःक्षेपण (inject) कराया जाए तब यदि इस अन्तःक्षेपण विद्युत वाहक बल का संघटक, प्रेरित विद्युत वाहक बल से एकदम विपरीत है तो प्रेरण मोटर की गति, सामान्य गति से कम होगी। इसके विपरीत यदि अन्तः क्षेपण विद्युत वाहक बल का संघटक, प्रेरित विद्युत वाहक बल के संघटक के फेज में है तो द्वितीयक या रोटर परिपथ के कुल विद्युत वाहक बल में वृद्धि हो जाएगी, जिससे प्रेरण मोटर की गति, सामान्य गति से अधिक हो जाएगी। इसके अतिरिक्त यदि अन्तः क्षेपण विद्युत वाहक बल का समकोणीय संघटक प्रेरित रोटर विद्युत वाहक बल से अग्रगामी हो तो मोटरका शक्ति गुणक सुधर जाएगा। 

श्रागे मोटर के दिक्परिवर्तक पर 6-ब्रुश सैट या 3 युगल ब्रुश सैट लगे रहते हैं जैसा कि चित्र 3 में दर्शाया गया है तथा द्वितीयक कुण्डलन की प्रत्येक फेज कुण्डलन एक युगल-ब्रुश पर संयोजित होती है। ब्रुश al, an तथा a एक-दूसरे से 120° पर चल ब्रुश स्पाइडर पर लगे होते हैं तथा इसी प्रकार ब्रुश b1, b2तथा b3 भी एक अन्य चल ब्रुश स्पाइडर पर एक-दूसरे से 120° पर लगे रहते हैं।

इस प्रकार ब्रुशों के दो युग्म परिवर्तक पर इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि सभी ब्रुश सम्मिलित रूप से दिक्परिवर्तक के चारों ओर घुमाए जा सकते हैं। द्वितीयक या स्टेटर कुण्डलन में अन्तःक्षेपित विद्युत वाहक बल की आवृत्ति दो ब्रुश युग्मों के विस्थापन पर निर्भर करती है। इस प्रकार श्रागे मोटर की गति तथा शक्ति गुणक को ब्रुशों के चल ब्रुशों के स्पाइडरों की स्थिति को परिवर्तित करके नियंत्रित किया जा सकता है। मोटर की गति अकेले ब्रुश युग्म के बीच विस्थापन पर निर्भर करती है, जबकि शक्ति गुणक ब्रुशों के सम्मिलित रूप से कोणीय विस्थापन पर निर्भर करता है।

 

श्रागे मोटर का अभिलक्षण (Characteristics),

चित्र 4(i) में रोटर गति तथा ब्रुश (seperation) एवं चित्र 4(ii) में बलाघूर्ण तथा गति के मध्य वक्र प्रदर्शित किए गए हैं।

श्रागे मोटर का अभिलक्षण
श्रागे मोटर का अभिलक्षण

श्रागे मोटर के उपयोग

(i) विद्युत चालन के रूप में प्रिंटिग प्रेस में। 

(ii) टेक्स्टाइल मिलों में। 

(iii) अपकेन्द्री पम्प में। 

(iv) होजरी फिटिंग तथा स्पिनिंग मशीनों में। 

(v) मशीन पैकेजिंग में।

आज आपने क्या सीखा :-

आज आपने जाना की श्रागे मोटर क्या है (Schrage Motor in hindi), श्रागे मोटर के कार्य सिद्धान्त, श्रागे मोटर का अभिलक्षण, श्रागे मोटर के उपयोग, श्रागे मोटर की संरचना |

Leave a Comment