रेखीय प्रेरण मोटर (Linear Induction Motor in hindi): यह एक खास प्रकार की प्रेरण मोटर होती है जो कि परम्परागत प्रेरण मोटर की घूर्णी गति की जगह रेखीय गति देती है।
रेखीय प्रेरण मोटर की संरचना
यदि रोटरी प्रेरण मोटर (Rotary Induction motor) को चित्र (i) के अनुसार axiallypoint, a व b से काटकर फैलाया जाए तो यह रेखीय प्रेरण मोटर की आकृति ले लेती है।
सबसे सरल रेखीय मोटर में एक क्षेत्र संयंत्र होता है, जिसमें स्लॉटों के अन्दर त्रिकलीय वितरित कुण्डलन होती है। यह प्राथमिक (primary) के जैसे कार्य करता है। मोटर की द्वितीयक (secondary) एक चालक (conducting) प्लेट होती है जो ताम्र या एल्यूमिनियम की बनी होती है। इस द्वितीयक में परस्पर क्रिया के फलस्वरूप धारा उत्पन्न होती है। प्राथमिक तथा द्वितीयक में से किसी को भी स्टेटर बनाया जा सकता है। दूसरा स रथ स्वतः ही रोटर बन जाता है।
चित्र (iii) में दर्शाए अनुसार चालक प्लेट के दूसरी ओर एक लोहे की चुम्बकीय प्लेट रखी जाती है, जिससे कि मुख्य फ्लक्स को कम प्रतिधान वाला रास्ता मिल सके।
परन्तु क्षेत्र को ऊर्जावान करने पर लोहे की चुम्बकीय प्लेट प्राथानेक की तरफ आकर्षित हो जाती है। जिससे द्वितीयक के दोनों ओर अस्मान फासला हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए चित्र (iv) में दर्शाए अनुसार दोहरी प्राथमिक का प्रयोग किया जाता है।
प्राथमिक तथा द्वितीयक में किसे छोटा बनाया जाए यह मोटर के उपयोग पर निर्भर करता है।
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रेखीय प्रेरण मोटर की कार्यप्रणाली (working Principle)
इसका कार्यप्रणाली परम्परागत प्रेरण मोटर के समान ही होता है। जब क्षेत्र तथा लघु परिपथ चालकों के बीच में सापेक्षिक गति होती है, उनमें धारा उत्पन्न होती है जो कि विद्युत चुम्बकीय बलों को उत्पन्न करती है। इन बलों की उपस्थिति में लैम्प के नियमानुसार चालक उस दिशा में घूर्णन करने लगते हैं जो कि उत्पन्न धारा को खत्म कर सके। परम्परागत प्रेरण मोटरों में यह गति एक अक्ष के सापेक्ष रोटरी होती है, जबकि रेखीय प्रेरण मोटर में यह सीधी होती है।
जब रेखीय प्रेरण मोटर की विकलीय प्राथमिक कुण्डलन को एक संतुलित विकलीय संयंत्र से ऊर्जावान करते हैं तो यह रेखीय तुल्यकालिक गति (N) पर घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो कि एक सीधी लाईन में एक किनारे से दूसरे किनारे तक गति करता है।
तुल्यकालिक गति,
Ns = 2 T fm/sec.
जहाँ, T = ध्रुव पिच (m में)
f = सप्लाई आवृत्ति (Hz में)
अतः रेखीय तुल्यकालिक गति ध्रुवों की संख्या पर निर्भर नहीं करती, बल्कि ध्रुव पिच तथा स्टेटर की आवृत्ति पर निर्भर करती है।
फ्लक्स रेखीयता के साथ गति करता है तथा रोटर प्लेट को उसी दिशा में खींचता है। इससे इन दोनों के बीच सापेक्षिक गति कम हो जाती है। यदि रोटर प्लेट की गति, चुम्बकीय क्षेत्र के बराबर हो जाए तो प्रेरण मोटर तुल्यकालिक गति पर दौड़ने लगती है।
यदि रोटर प्लेट को तुल्यकालिक गति से भी ज्यादा गति पर घुमाना है तो बल की दिशा को उल्टा करना होता है। इसके लिए प्रेरण जनित्र के सिद्धान्त पर आधारित रीजनरेटिव ब्रेकिंग काम में ली जाती है।
रेखीय प्रेरण मोटर का अभिलक्षण (Characteristics)
रेखीय प्रेरण मोटर का समतुल्य परिपथ और धक्का वेग वक्र घूमने वाली प्रेरण मोटर के जैसे ही होते हैं। चलायमान क्षेत्र की गति नियत आवृति पर ध्रुव पिच के समानुपाती होती है। गति व ध्रुव पिच के मध्य में वक्र v (अ) दर्शाया गया है। इस वक्र से स्पष्ट है कि कम गति प्राप्त करने के लिए ध्रुव पिच कम होना चाहिए लेकिन अधिक क्षमता की मोटरों में भारी कुण्डलन को कम ध्रुव पिच में व्यवस्थित करना मुश्किल होता है। चित्र v (ब) में थ्रस्ट-वेग अभिलक्षण बताया है।
रोटरी प्रेरण मोटर के अनुप्रयोग (Uses)
(i) वर्कशॉप में अन्दरूनी यातायात के लिए ट्रोली कार में।
(ii) क्रेन तथा कन्वेयर बेल्ट में।
(iii) विद्युत ट्रेनों में स्वचालित खिसकने वाले दरवाजों में।
(iv) उच्च विभव परिपथ वियोजकों में।
(v) वाहन के निष्पादन के लिए रिंग परीक्षण त्वरक के रूप
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आज आपने क्या सीखा :-
आज आपने जाना की रेखीय प्रेरण मोटर की संरचना (Structure of Linear Induction Motor in hindi), Linear Induction Motor in hindi, रेखीय प्रेरण मोटर की कार्यप्रणाली (Working of Linear Induction Motor in hindi), रेखीय प्रेरण मोटर का अभिलक्षण(Characteristics of Linear Induction Motor in hindi), रोटरी प्रेरण मोटर के अनुप्रयोग( uses of Linear Induction Motor in hindi)