ट्रांसमिशन लाइनो में ओवर वोल्टेज के कारण | Causes of overvoltage in hindi

क्या आप ट्रांसमिशन लाइनो में ओवर वोल्टेज के कारण | Causes of overvoltage in hindi के बारे में जानना चाहते है? यदि हां तो मै इस पोस्ट में ओवर वोल्टेज के कारण?, के बारे में विस्तृत जानकरी शेयर कर रहा हूँ.

ओवर वोल्टेज के कारण (Causes of overvoltage in hindi)

ओवर-वोल्टेज के मुख्यतः निम्न कारण हैं-

     
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1.बाह्य ओवरवोल्टेज (External overvoltage) 

बाह्य ओवरवोल्टेज वातावरणीय गड़बड़ियों (Atmospheric disturbances) के कारण आते हैं, जिसमें मुख्य हैं तड़ित आघात (Lightning)। ये एकदिशीय (Unidirectional) तरंगों के रूप में आते हैं जिनके अधिकतम आयाम (Amplitude) के परिपथ की प्रचालन वोल्टता (Operating Voltage) से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। इनके निम्न कारण हो सकते हैं

(i) सीधे तड़ित आघात के कारण (Because of direct lightning stroke)

(ii) लाइन के पास तड़ित डिस्चार्ज (Lightning discharge) हो जाता है जो कि विद्युत चुम्बकीय इंड्यूस्ड (Electromagnetically Induced) ओवरवोल्टेज उत्पन्न करता है।

(iii) लाइन की लम्बाई के सापेक्ष वातावरण की परिस्थितियां बदलने के कारण ओवरवोल्टेज आती है।

(iv) चार्ज बादलों के कारण विद्युत स्थैतिक ओवरवोल्टेज आती है।

(v) छोटे कणों के घर्षण के परिणामस्वरूप जैसे कि धूल या बर्फ के कण जो वातावरण में होते हैं, ये विद्युत चुम्बकीय ओवरवोल्टेज लाते हैं। 

2. आन्तरिक ओवरवोल्टेज (Internal overvoltage)

आंतरिक ओवरवोल्टेज तंत्र की प्रचालन परिस्थितियों (Operating conditions) के बदलने पर उत्पन्न होती हैं। इन्हें दो प्रकारों में विभाजित किया गया है।

(i) स्विचिंग अधिवोल्टता या उच्च आवृत्ति की क्षणिक ओवरवोल्टेज (Switching overvoltage or transient overvoltage of high frequency)-यह ओवरवोल्टेज क्षणिकाओं के सिद्धान्त के कारण उत्पन्न होती है। जब प्रदोष के समय तंत्र स्विच करता है तो यह उत्पन्न होती है। यह ओवरवोल्टेज दोलन (Oscillation) बनाती है तथा एक साइन (Sine) तरंग के रूप में होती है। इनकी आवृत्ति 100 Hz से 1000 Hz तक हो सकती है। यह कैपेसिटेंस (Capacitance) तथा इंडक्टेन्स (Inductance) से निर्धारित होती है।

एक ओवरवोल्टेज प्रतिघातक (Reactors) तथा परिणामित्रों की स्विचिंग बिना भार पर होती है तो क्षणिक प्रकार की ओवरवोल्टेज आती है। यदि किसी कला पर प्रदोष आता है तो शेष दोनों सही कलाओं के भू के संदर्भ में वोल्टता सामान्य वोल्टता से अधिक हो जाती है जब तक प्रदोष समाप्त नहीं हो जाता है। जब परिपथ वियोजक के सम्पर्क प्रदोष को समाप्त करने के लिए खुलते हैं तब विलुप्त होने के बाद रिस्ट्राइकिंग वोल्टता (Restriking Voltage) सम्पर्कों के विपरीत आता है और उसकी आवृत्ति प्रणाली वोल्टता की दुगुनी होती है। frequency phase

(ii) अस्थायी वोल्टता (Temporary Voltage)-यह ओवरवोल्टेज शक्तिप्रणाली आवृत्ति की स्थिर स्टेट वोल्टता होती है जिसके कारण भार का सम्पर्क लम्बी प्रसारण लाइनों में टूट जाता है। क्षणकालिक ओवरवोल्टेज जो कि शक्तिप्रणाली में आती है, का मान निकालने के लिए ओवरवोल्टेज कारक काम में लिया जाता है। ओवरवोल्टेज कारक (Factor) अधिकतम (Peak) अतिवोल्टता तथा निर्धारित अधिकतम प्रणाली आवृत्ति कला वोल्टता (Rated peak system voltage) का अनुपात है।

इस अनुपात को आवृत्ति कारक (Amplitude factor) भी कहा जाता है। अधिवोल्टता का अवलोकन (Examination) उनके परिमाण (Magnitude), आकार (Shapes), अवधि (Duration) एवं आवृत्ति (Frequency) के अध्ययन पर आधारित होता है। अधिवोल्टता का अध्ययन तंत्र के सभी बिन्दुओं पर किया जाता है जहां तरंगें (waves) आती हैं चाहे वह अधिवोल्टता की शुरूआत हो अथवा पूरी प्रसारण लाइन हो। परिपथों के पूर्ण रक्षण के लिए अधिवोल्टता के कारण एवं प्रभाव का ध्यान रखना पड़ता है ।

आज आपने क्या सीखा :-

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